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गरीब का नव वर्ष
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गरीब का नव वर्ष
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गरीब का नव वर्ष

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About this ebook

उस मोटी औरत के बाद एक आदमी आया था। रस्सी से बाँधे हुए पांच मुर्गे उस आदमी के दायें हाथ में उल्टे लटक रहे थे। मुर्गे अपनी मृत्यू के आभास से चिल्ला रहे थे।

बालेश्वर सोच्ने लगा कि यदि उस आदमी को रस्सी से बाँध कर उल्टा लटका दिया जाए तो उसको कैसा लगेगा। एक क्षण को तो उसके मन में विचार आया कि उस आदमी के हाथ से मुर्गे छीन ले और उनको स्वतन्त्र कर दे पर उसने देखा कि वो आदमी उसकी सवारी था और घर पहुंचने के बाद वो उसे पैसे देने वाला था। बालेश्वर को महसूस हुआ की कुछ पैसे के लिए हम कितनी आसानी से जीव जंतुओं को मार देते हैं।

बालेश्वर जिस गांव से शहर आया था उस गांव में सभी लोग शाकाहारी थे और जीव जंतुओं की हत्या को महापाप माना जाता था.

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateAug 8, 2013
ISBN9781301168002
गरीब का नव वर्ष
Author

Raja Sharma

Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.

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    गरीब का नव वर्ष - Raja Sharma

    गरीब का नव वर्ष

    राजा शर्मा

    कौपी राइट

    गरीब का नव वर्ष

    राजा शर्मा

    Copyright@2010 Raja Sharma

    Smashwords Edition

    All rights reserved

    बदला बदला सा शहर

    आज कुछ तो जरूर फरक था, एक अजीब सा आभास था ।

    उसके रिक्शा में बैठने वाले सभी लोग हाथों में बडे बडे पैकेट लेकर जा रहे थे । किसी के हाथ में मुर्गे थे तो किसी के हाथ में थैले में रखी शराब की बोतलें थी । कोई मिठाई के डिब्बे लेकर जा रहा था ।

    बालेश्वर को समझ नही आ रहा था कि आज ऐसा क्या खास था। आज ही के दिन लोग इतनी चीजें क्यों खरीद रहे थे।

    आज ना तो कोइ त्योहार था और ना ही कोइ विशेष अवसर। वो सोचते सोचते अपना सिर खुज्लाने लगा। वो रिक्शे की पिछ्ली सीट पर वैठ कर थोडी देर आराम करने लगा ।

    अभी वो पिछ्ली सीट पर आराम करने ही लगा था कि आवाज आयी, गान्धीनगर चलोगे?

    बालेश्वर ने सिर हिला कर हामी भर दी।

    यात्री को

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