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ओस की एक बूँद
ओस की एक बूँद
ओस की एक बूँद
Ebook37 pages12 minutes

ओस की एक बूँद

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About this ebook

उसकी लाश को एक छोटे से सुन्दर लकडी के बक्से में रखा गया था और सभी लोग उस बक्से को बारी बारी से उठाकर एक पंक्ती में बंगलोर शहर के बीचों बीच स्थित कब्रिस्तान की ओर धीरे धीरे जा रहे थे। सभी की आन्खें नम थी।

सुन्दर नीली आन्खें, चमकता हुआ भूरा रंग, असाधारण स्वरूप, और निर्बोध हंसी वाली वो छोटी परी हर किसी के मन में वैठ जाती थी।

जब वो अपनी मीठी अवाज में बोलती थी तो सब का मन मोह लेती थी। उसके व्यवहार और बातों से ही पता चलता था कि उसके संस्कार उच्च थे।

लोग कहते थे कि उसमे उसके विद्वान पिता और माता के गुण मिल कर एक हो गए थे। उसके माता पिता बहुत अच्छे परिवारों से थे।

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateAug 14, 2013
ISBN9781301540433
ओस की एक बूँद
Author

Raja Sharma

Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.

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    ओस की एक बूँद - Raja Sharma

    ओस की एक बूँद

    राजा शर्मा

    Copyright

    ओस की एक बूँद

    राजा शर्मा

    कौपी राइट@२०१२ राजा शर्मा

    Smashwords edition

    All rights results

    अध्याय एक

    हर व्यक्ती उस छोटी लड्की को प्यार करता था, और ऐसा लगता था कि शायद भगवान ने उसको लोगों से इतना प्यार पाने के लिए ही दुनिया में भेजा था।

    वो इन्सान के रूप में एक छोटी सी परी ही तो थी क्योंकी जो भी उसको देखता उसको अपनी गोद में उठाना चाह्ता था।

    किसी ने सोचा भी नहीं था कि वो इतनी छोटी सी उमर में यह दुनिया छोड कर चली जायेगी। पास पड़ोस के सभी लोग उस नन्ही परी की अन्त्येष्टी में भाग लेने आए थे।

    उसकी लाश को एक छोटे से सुन्दर लकडी के बक्से में रखा गया था और सभी लोग उस बक्से को बारी बारी से उठाकर एक पंक्ती में बंगलोर शहर के बीचों बीच स्थित कब्रिस्तान की ओर धीरे धीरे जा रहे थे। सभी की आन्खें नम थी।

    सुन्दर नीली आन्खें, चमकता हुआ भूरा रंग, असाधारण स्वरूप, और निर्बोध हंसी वाली वो छोटी परी हर किसी के मन में वैठ जाती थी।

    जब वो अपनी मीठी अवाज में बोलती थी तो सब का मन मोह लेती थी । उसके व्यवहार और बातों से ही पता चलता था कि उसके संस्कार उच्च थे।

    लोग कहते थे कि उसमे उसके विद्वान पिता और माता के गुण मिल कर एक हो गए थे । उसके माता पिता बहुत अच्छे परिवारों से थे ।

    उस सुन्दर परी के पिता उसकी माँ को कहा करते थे, हमारी बेटी बडी होकर बिल्कुल तुम्हारी तरह ही दिखेगी।

    माँ मुस्कुरा के कहा करती थी, और उसका दिमाग बिल्कुल आपकी तरह होगा!

    "ना जाने क्यों

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