गाब्रिएल गार्सिया मार्केज की महान कथायें
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गाब्रिएल गार्सिया मार्केज का जन्म ६ मार्च १९२७ को अराकटाका, कोलंबिया, में हुआ था। वो कोलंबिया के एक महान उपन्यासकार, लघु कथा लेखक, फिल्म साहित्यकार, और पत्रकार थे। पूरे लैटिन अमेरिका में उनको प्रेम से गैबो कहकर पुकारते हैं।
उनकी गिनती २०वीं शताब्दी के महानतम लेखकों में की जाती है। उनको १९७२ में नौस्तदत अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार और १९८२ में साहित्य के लिये नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उन्होने स्वनिर्देशित शिक्षा प्राप्त की और उन्होने अपने कानून की पढ़ाई पत्रकारिता का पेशा स्वीकारने के लिये छोड़ दी। वो शुरू से ही कोलंबिया और विदेशी राजनीति की खुल कर
आलोचना करते थे। १९५८ में उन्होने मर्सिडीज़ बरछा से विवाह किया। उनके दो पुत्र हैं: रॉड्रगौ और गान्ज़ालो।
मार्केज ने अपने लेखन जीवन पत्रकार के रूप में प्रारंभ किया और बहुत से यथार्थवादी लेख और लघु कथायें लिखी, परंतु विश्व में उनको एक महान उपन्यासकार के रूप में जाना जाता है। "वन हंड्रेड इयर्स ऑफ सॉलिट्यूड", "द ऑटम ऑफ द पेट्रईयार्क", और लव इन द टाइम ऑफ कौलेरा" उनके लिखे हुए महानतम उपन्यासों में से हैं।
उन्होने अपने लेखन से विश्व्यापी साहित्यिक और व्यवसायिक सफलता प्राप्त की है। उन्होने साहित्य में "जादुई यथार्थवाद" को लोकप्रिय बनाया और साहित्य में अपना योगदान दिया है। उनकी कथाओं में समय समय पर जादुई तत्वों और घटनाओं का चित्रण होता है।
गाब्रिएल गार्सिया मार्केज की महान कथायें
Copyright
गाब्रिएल गार्सिया मार्केज के बारे में
बड़े पंखों वाला अत्यधिक वृद्ध मनुष्य
सबसे खूबसूरत मनुष्य की जलसमाधी
नीले कुत्ते की आँखें
बड़ी अम्मा की अन्त्येष्टि
यूं ही किसी दिन
ग्राम में कुछ बुरे की आशंका
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गाब्रिएल गार्सिया मार्केज के बारे में
बड़े पंखों वाला अत्यधिक वृद्ध मनुष्य
सबसे खूबसूरत मनुष्य की जलसमाधी
नीले कुत्ते की आँखें
बड़ी अम्मा की अन्त्येष्टि
यूं ही किसी दिन
ग्राम में कुछ बुरे की आशंका
गाब्रिएल गार्सिया मार्केज के बारे में
गाब्रिएल गार्सिया मार्केज का जन्म ६ मार्च १९२७ को अराकटाका, कोलंबिया, में हुआ था। वो कोलंबिया के एक महान उपन्यासकार, लघु कथा लेखक, फिल्म साहित्यकार, और पत्रकार थे। पूरे लैटिन अमेरिका में उनको प्रेम से गैबो कहकर पुकारते हैं।
उनकी गिनती २०वीं शताब्दी के महानतम लेखकों में की जाती है। उनको १९७२ में नौस्तदत अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार और १९८२ में साहित्य के लिये नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उन्होने स्वनिर्देशित शिक्षा प्राप्त की और उन्होने अपने कानून की पढ़ाई पत्रकारिता का पेशा स्वीकारने के लिये छोड़ दी। वो शुरू से ही कोलंबिया और विदेशी राजनीति की खुल कर
आलोचना करते थे। १९५८ में उन्होने मर्सिडीज़ बरछा से विवाह किया। उनके दो पुत्र हैं: रॉड्रगौ और गान्ज़ालो।
मार्केज ने अपने लेखन जीवन पत्रकार के रूप में प्रारंभ किया और बहुत से यथार्थवादी लेख और लघु कथायें लिखी, परंतु विश्व में उनको एक महान उपन्यासकार के रूप में जाना जाता है। वन हंड्रेड इयर्स ऑफ सॉलिट्यूड
, द ऑटम ऑफ द पेट्रईयार्क
, और लव इन द टाइम ऑफ कौलेरा" उनके लिखे हुए महानतम उपन्यासों में से हैं।
उन्होने अपने लेखन से विश्व्यापी साहित्यिक और व्यवसायिक सफलता प्राप्त की है। उन्होने साहित्य में जादुई यथार्थवाद
को लोकप्रिय बनाया और साहित्य में अपना योगदान दिया है। उनकी कथाओं में समय समय पर जादुई तत्वों और घटनाओं का चित्रण होता है।
उनकी कुछ कथाओं में एक कल्पनिक ग्राम मकोंडो का चित्रण होता है। ऐसा कहते हैं की ये कल्पनिक ग्राम उनके अपने जन्म स्थान अराकटाका से प्रेरित है। उनकी अधिकांश रचनाओं में 'एकांत' मुख्य विषयवस्तु होता है।
एप्रिल २०१४ को उनकी मृत्यु के अवसर पर बोलते हुए कोलंबिया के राष्ट्रपति ने उनको कोलंबिया के महानतम व्यक्ति के रूप में संबोधित किया। ये उनके लिये सबसे बड़ा सम्मान था।
मार्केज के जन्म के तुरंत बाद ही उनके पिता एक औषधि निर्माता बन गया और अपनी पत्नी के साथ बराणकुइला चले गये। वो अपने नव शिशु गबीतो को अराकटाका में ही छोड़ गये। मार्केज का पालन पोषन उनके नाना और नानी ने किया।
दिसंबर १९३६ में उनके पिता जी आये और उनको और उनके भाई को लेकर सिन्सए चले गये। जब उनके नाना जी की मृत्यु हो गयी तो पूरा परिवार वापिस बराणकुइला आ गया और फिर सुकरे चले गये जहां गैबो के पिताजी ने अपनी औषधीशाला खोल ली।
गैबो के माता पिता उनके लिये जीवन के प्रारम्भिक दिनो में अपरिचितों की तरह ही रहे क्योंकि उनका पालन पोषन उनके नाना नानी ने किया था। उनके प्रारंभी विकास में उनके नाना और नानी का बहुत अधिक प्रभाव था।
अपने नाना जी को वो पापालेलो कहकर बुलाते थे। नाना जी ने एक हज़ार दिन की युध् में भी भाग लिया था। उनको कोलंबिया के लिबरल लोग एक हीरो के रूप में मानते थे। गैबो के
नानाजी एक बहुत ही सम्मानित व्यक्ति थे।मार्केज कहते थे की उनके नानाजी उनके लिये इतिहास और वास्तविकता से जोड़ने वाली गर्भनाल थे। उनके नाना जी एक बहुत सुन्दर कथा वक्ता भी थे।
नानाजी नन्हे गार्सिया को शब्दकोश से पाठ पढ़ते थे, उसको प्रतिवर्ष सर्कस ले जाते थे, और उन्होने ही पहली बार अपने पोते को एक स्टोर में बर्फ दिखाई थी। नन्हे गार्सिया के लिये बर्फ एक जादू थी।
वो अपने पोते गार्सिया को ये भी कहते थे, तुम कल्पना भी नहीं कर सकते की एक मरे हुए व्यक्ति का भार कितना होता है।
वास्तव में नानाजी गार्सिया को ये बताना चाहते थे की एक व्यक्ति को मारने या मरवा देने से बड़ा बोझ और नहीं होता। ये पाठ गार्सिया मारकेज़ ने अपने उपन्यासों में भी समावेशित किया।
कहते हैं गार्सिया मारकेज़ के राजनीतिक और आदर्श द्रष्टिकोण उनके नाना जी की कहानियों से प्रभावित थे।
एक बार एक साक्षात्कर में गार्सिया मारकेज ने अपने मित्र पीलिनिओ अपुलेयो मेंडोज़ा को कहा, "मेरे नानाजी, कर्नल, एक उदारवादी व्यक्ति थे। मेरे राजनीतिक विचार संभवतः उनसे ही आये हैं क्योंकि मुझे बाल्यकाल में परी कथायें ना सुनाकर मेरे नानाजी मुझे अंतिम ग्रह युध् की विनाशकारी घटनाओं के बारे में सुनाते थे।
गार्सिया मारकेज अपनी नानी से भी बहुत प्रभावित थे। उनके पालन पोषन में उनका भी उतना ही हाथ था जितना उनके नाना जी का। मारकेज कहते हैं की उनकी नानी बहुत असाधारण चीजों को भी बहुत स्वभाविक रूप में लेती थी। उनके पास भूतों और आभासों की बहुत सी कथायें थी। वो संकेतों और औषधियों के बारे में बताती थी। उनके पति ये सब चीजों के बारे में नहीं बोलते थे।
गार्सिया मारकेज कहते थे की उनकी नानी उनके लिये वास्तविकता के जादुई, अंधविश्वासी, और अभौतिक द्रष्टिकोणों की स्रोत थी। चाहे जितनी भी काल्पनिक और असंभव कथायें क्यों ना हों, वो उनको ऐसे सुनाती थी जैसे वो ठोस सत्य थी। उनकी नानी को प्रभाव बाद में गार्सिया मारकेज के उपन्यास वन हंड्रेड इयर्स ऑफ सॉलिट्यूड
में स्पष्ट दिखाई पढ़ा।
गाब्रिएल गार्सिया मार्केज ने कोलंबिया के राष्ट्रीय विश्वविध्यालय में अध्ययन करते समय अपना पत्रकार का जीवन शुरू किया। १९४८ और १९४९ में उन्होने एल यूनिवर्सल इन कार्टगेना
लिखा। बाद में उन्होने १९५० और १९५२ में एक स्थानीय समाचारपत्र में सेप्टीमस के नाम से लेख लिखना शुरू किया। मार्केज कहा करते थे, "एल हेरल्डो के लिये एक लेख लिखने के लिये मुझो तीन पीसो मिलते थे,