Discover millions of ebooks, audiobooks, and so much more with a free trial

Only $11.99/month after trial. Cancel anytime.

Hasana Jaruri Hai
Hasana Jaruri Hai
Hasana Jaruri Hai
Ebook156 pages28 minutes

Hasana Jaruri Hai

Rating: 0 out of 5 stars

()

Read preview

About this ebook

To make people laugh is an art I have been at it since an early age. I believe that this is a blessing from God. I’ve figured out the many shades of human behavior and that is my source of humour. The characters in my poems are imaginary, but really, they are all around us, within us, which makes the reader relate to the book and laugh, making him happy.

Anand Rao is a person who quarrels with everybody, Baburam is a middle-aged, middle class person who is fan of an actress and the poem captures his funny quest to meet her. In this collection of poetry, there is a poem for everyone, and many jokes in each poem. Be prepared to laugh out loud.
Languageहिन्दी
PublisherNotion Press
Release dateSep 15, 2015
ISBN9789352063277
Hasana Jaruri Hai

Related to Hasana Jaruri Hai

Related ebooks

Related categories

Reviews for Hasana Jaruri Hai

Rating: 0 out of 5 stars
0 ratings

0 ratings0 reviews

What did you think?

Tap to rate

Review must be at least 10 words

    Book preview

    Hasana Jaruri Hai - Sanjay Kulkarni

    टोपी

    आनंदराव क्यो लढते है

    आनंदराव रोज रोज क्यो लढते

    उन्हे लगता क्यो लोग उन्हे नही समझते

    सुबह सुभह अगर चायमे चिनी कम पडती

    सुभही पत्नीसे लढाई शुरू हो जाती

    वह जब बाथरूम मे नहाने जाते

    नहाते नहाते नलका पानी बंद हुआ पाते

    बाथरूमसेही उनका चिल्लाना शुरू होता

    यह सुनकर सोसायटीका अध्यक्ष डर जाता

    उनको रास्तेपरकी गई ग़ंदगीका घुस्सा आता

    तो लोड शेडिंग का भी उन्हे घुस्सा आता

    ऑफिसमे भी वह बात बात पर लढते

    लोग कहते यह खुदको क्या समझते

    बसमे सिट देनेके लिये लढते

    तो उतरने केलिये रास्ता ना देनेपर लढते

    कंडक्टरके पास चिल्लर ना होनेपर लढते

    क़ंडक्टर चिल्लर जल्द ना देनेसेभी लढते

    मित्र कहते नेता सामाजिक प्रश्न ले लढते

    किसान मालका उचीत भाव ना मिलनेपर लढते

    कर्मचारी अपनी मॉंगोको लेके लढते

    पर आनंदराव बिन कारणही है लढते

    अग्निशामक बंबका उदघाटन

    अग्निशामक बंब हो अपने शहरमे सोचा था नगरके अध्यकने

    फाईल अग्निशामक बंब मिलाने हेतु, घुमाई फाईल विभागमे उन्होने

    बडे नेताओंका आशिर्वाद और संमत्ती ली थी उन्होने

    उदघाटन अपने करकमलोंसे हो चाहा था उन्होने

    उनके प्रयत्नोंसे अग्निशामकका स्टाफ पहिले आया

    बादमे कुछ महिनेसे अग्निबंबभी आया

    अब था इंतजार शहरमे आग लगनेका उन्हे

    पर आग क्यो नही लग रही चिंता सता रहीथी उन्हे

    नगर अध्यक्ष गये थे दुसरी शहर मंत्रिजीकी सेवामे

    तबही आग लगी थी , जब उनकी उपस्थिती ना थी शहरमे

    आग लगनेके स्थान अग्निबंब आया, पुजारी भी आया

    पर उसका उदघाटन ना होनेसे घर जल गया

    बाबूराम चले हिरोईन देखने

    बाबूरामने हिरोईन आनेका विज्ञापन देखा जैसेही

    मिलने जानेकी तयारी शूरु होगई वैसेही ।

    क्या करना होगा इसकी लिस्ट बनाई

    महिनेके किराना सामानसे वह लंबी हुई ॥

    तुरंत कपडेके दूकान पोहोचना सोचने लगे

    मुझपर कैसे कपडे होने चहिये सोचने लगे ।

    कपडेके दुकानपर पोहोंचकर कहने लगे सारे कपडे ब्रॅंडेड दो

    हिरोईंसे मिलने जाना मुझे ऐसे कपडे दो ॥

    वह दगडू न्हाईके पास जाने लगे

    अच्छे दिखनेके सब तरिके आजमाने लगे ।

    हेयरस्टाईल, फेशियल आदी करने दगडूसे कहॉ

    पैसेकी फिकर मतकरो मिल जायेंगे अगली माहॉ ॥

    कहने लगे डरावने सपने आनेसे लोग जाग जाते

    मै तो जग जाता हूं हिरोईंनके खॉंब मे आते ।

    रात रात जगनेसे सर, बदनमे हो रही थी पिडा

    किसको और केसे बताते, क्यों होरही यह पिडा ॥

    हर रातकी तरहा वह खॉबमे आयी

    बाबूलालने दौडकर उसे गले लगायी ।

    पत्नीसे मिठी मारने कारण उसकी लाथ खायी

    कहने लगी उम्रका खयाल करो मॉं पडोसमे सोयी ॥

    जैसे जैसे हिरोईन आनेके दिन नजदीक आने लगे

    उसके हर सिनेमाके सिन खॉबमे आने लगे ।

    Enjoying the preview?
    Page 1 of 1