Bhrst Kute
By Mr. Shankar
()
About this ebook
गुंडा दोनोँ हाथोँ से दनादन गोलियां चला रहा था। उसने कयी पुलिस वालोँ के भेजे उड़ा दिये । हार कर पुलिस वालोँ को पीछे हटना पड़ा। उसने जैसे ही पुलिस की गाड़ियोँ को पार किया . सुधा ने उस पर गोली चलादी। गोली उसके पैर मे जा लगी । वह जोर से उछला और बाईक पर पीछे मुँह करके बैठ गया ।फिर वापस उसकी गन ने धुँवां उगला और एक गोली गाड़ी के काँच तोड़ते हुए सुधा के हाथ मे घुस गयी। सुधा एकदम चीख उठी । गुस्से मे उसने अपनी गन की सारी गोलियां बाईक सवार पर दाग दी।
Mr. Shankar
iam love psychology and book reading .
Related authors
Related to Bhrst Kute
Related ebooks
लघुकथा मंजूषा 5 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकुछ ख़्वाब भेज दूँ Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअजीब कहानियाँ Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsPrema (Hindi) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsGreat Love Story Rating: 1 out of 5 stars1/5फलक तलक: दि गॉड इज़ डेड Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsBhayanak mahal: भयानक महल Rating: 5 out of 5 stars5/5लू शुन की महान कथायें Rating: 1 out of 5 stars1/5Agyatvas Ka Humsafar (अज्ञातवास का हमसफ़र) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 15) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsPrema (प्रेमा) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsदोराह (राह ए वफ़ा) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsप्रणीता: एक मर्डर मिस्ट्री Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsChamatkar Aur Beti Ka Dhan (Hindi) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 31) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअधूरा इश्क़ अधूरी कहानी: Love, #1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsचलो कुछ जाग जाएं Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsनाही है कोई ठिकाना (कहानी) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsसहेजी कतरन Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsFitoor Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAparimeet Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsप्रेरणा कथाएं: भाग एक Rating: 3 out of 5 stars3/5Sweet Love Remembered (in Hindi) Rating: 1 out of 5 stars1/5Kacche Dhage Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकम्बख्त यादें: तेरी यादों से जिंदगी गुलजार कर ली मैने। Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsस्नेह बंधन: उद्धरण पुस्तक Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 28) Rating: 0 out of 5 stars0 ratings51 Shreshth Vyangya Rachnayen: Lality Lalit (51 श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएं लालित्य ललित) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमहाकवि ‘उन्मत्त’ की शिष्या (व्यंग्य संकलन) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsPratigya (Hindi) Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Reviews for Bhrst Kute
0 ratings0 reviews
Book preview
Bhrst Kute - Mr. Shankar
s
भ्रष्ट कुत्ते उपन्यास
लेखक
Pooja gudeshar
© All rights reserved No body publisher ,institution ect.is authorized to publish key act of this book in any from. Legal action will be taken against the defaulter.
यह उपन्यास उस स्थिति को बयां करता है। जब भारत मे भ्रष्टाचार बेहद बढ. जाएगा । आम व्यक्ति इससे परेशान हो जाएगा । सरकार के प्रति जनता का विश्वास खत्म हो जाएगा । पुलिस पूरी तरह गुंडों को पनाह देने लगेगी। देस के करोङों युवा बेरोजगार हो जाएंगे । तब एक क्रांति होगी ,जो सारे सिस्टम को बदलदेगी । यहां पर उसी की एक झलक दी गई है।
संपर्क .......shankarskm4@gmail.com
1
आज पूजा बहुत उदास बैठी थी । उसके चेहरे पर जमाने भर का दुःख और आंखों मे आंसू उसकी उदासी को साफ साफ बयां कर रहे थे। उसने बी टेक किया था । आज वह नौकरी की तलास मे कई कम्पनियों के पास गयी परन्तु उसको किसी ने नौकरी नहीं दी । प्लेसमेंट वालों ने तो उसके कई हजार रूपये लूटे । हद तो तब हो गयी जब एकने उसकी अस्मत को ही मांग लिया । अब वह हिम्मत हार चुकी थी । आज उसे लग रहा था जैसे वह गहरे समुद मे डूब रही हो और लोग बाहर खङ खङे तमाशा देख रहे हो । वह सोच रही थी कि कितने अरमान सजाए थे उसने पढने से पहले और आज क्या मिला? सिर्फ हतासा और निरासा इससे तो अच्छा होता वह कभी नहीं पढती कभी नहीं । अचानक उसका फोन बज उठा उसने बेपरवाह अंदाज मे फोन रिसीव किया
हैलो
वह रुखी सी आवाज मे बोली
हैलो जान क्या कर रही हो?
उसे आवाज को पहचानते देर नहीं लगी वह उसका फ्रेंङ राकेश था
उसने राकेश की बात का कोई जवाब नहीं दिया
हैलो नाराज हो क्या यार ?
मेरे पास तुम्हारे लिए एक अच्छा सा काम है।"
वह खिल खिलाते हुए हंसी और जोर से बोली
काम और मेरे लिए हो ही नहीं सकता , मेरे को कोन काम देगा?
नहीं यार ऐसा मत बोलो अभी मैं मरा नहीं हूं।
वैसे क्या काम है?
देखो सब बातें फोन पर नहीं हो सकती ऐसा करो तुम अपनी स्कूटी लेकर स्टेशन के पास आ जाओ।
राकेश तुम कोई गङ बङ तो नहीं करोगे ?
......नहीं यार तुम्हारी कसम।
उधर से फोन कट चुका था । पूजा भी जल्दी से अपनी स्कुटी को स्र्टाट कर तेजी से स्टेशन की ओर बढने लगी । उसक मन ने भी दौङना आरम्भ कर दिया था।
सच ही है । सच्चे दोस्त मुशीबत मे काम आते हैं । उसका एक ही तो दोस्त है , राकेश ,जो दिलका बहुत अच्छा है । उसके मां बाप मरने के बाद वही उसका सब कुछ है । वह विचारों के बवंडर मे उलझी
हुई पता नहीं कब स्टेशन पर पहुंच गई। जब राकेश ने उसका हाथ पकङा तो वह बाहरी दुनियां मे आई ।
यार क्या है आज कल बहुत सोचती हो?
"नहीं बस ऐसे ही सोच रहीं थी ।
"उसने स्कुटी को साइड मे लगाते हुए बोली ।
राकेश ने उसको अपने पीछे आने को कहा और खुद एक पतली गली मे घुस गया । पूजा एक पल सोचेने के अंदाज मे रुकी और फिर उसके पीछे ही चल पङी । वे दोनो जल्दी ही एक दरवाजे के पास पहुंच कर रुके । राकेश ने आगे बढते हुए दरवाजा खट खटाया । किसी पुरूष ने दरवाजा खोला और दोनों तुरन्त ही अन्दर प्रवेश कर गये । अन्दर बङा मेदान था । वे दोनो मेदान को पार करने लगे पूजा के मन मे हल चल मची हुई थी । वह चारो तरफ खङे 50 .. 100 आदमियों को देख रही थी । उसको कुछ भी समझ मे नहीं आ रहा था । वैसे भी वह शक्की किस्म की लङकी थी। परन्तु आज पता नहीं उसका मुंह क्यों बंद था? वह किसी सम्मोहित सी होकर राकेश के पीछे चल रही थी। वे दोनो सीढियों को पार करते हुए जैसे ही ऊपर पहुंचे ,राकेश ने पूजा को बांहों मे भर लिया । पूजा को गूस्सा आगया और वह छुटने के लिए झटपटाने लगी । परन्तु राकेश की पकङ से निकलने मे नाकामयाब रही। तब तक राकेश उसे कमरे मे लेजाकर बेड पर लिटा चुका था । और खुद पास पङी एक कुर्सी पर बैठ गया ।
अच्छा तो मेरे को वो सब कुछ कराने के ईरादे से यहां लाए हो ।
वह अब गुस्से पागल हो चुकी थी ।
"नहीं यार तुम गलत .....
स्टाप
पूजा ने गुस्से कहा तो राजेश के शब्द बीच मे ही अटक गए। वह पूजा के उबलते हुए चेहरे को गौर से देख रहा था ।
देखो आज से हमारे बीच कुछ नहीं रहा । अब मैं जा रहीं हुं और अइंदा मेरे पास भी आए तो ठीक नहीं होगा । मुझे तुम से यह आसा न थी कि तुम देह व्यापार जैसा बेकार का तरीका पैसे कमाने के लिए प्रयोग करोगे ।
वह बेड से खङी हो कर चल पङी।
नहीं यार तुम गलत समझ रही हो जरा एक बार मेरा पूरा प्लान तो सुन लो ।
राकेश अब बेताब सा नजर आ रहा था ।
"वह एक पल रुकी और बिना पीछे मुङे बोली
बक दो जल्दी से
"जानती हो