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ध्यान के माध्यम से स्वयं को तरोताज़ा एवं रोग-मुक्त करें
ध्यान के माध्यम से स्वयं को तरोताज़ा एवं रोग-मुक्त करें
ध्यान के माध्यम से स्वयं को तरोताज़ा एवं रोग-मुक्त करें
Ebook267 pages2 hours

ध्यान के माध्यम से स्वयं को तरोताज़ा एवं रोग-मुक्त करें

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About this ebook

इस पुस्तक में दिए गए ज्ञान और अभ्यासों का प्रयोग करने से, आपके शरीर में मौजूद बीमारियाँ ठीक हो सकती हैं, और आप एक तरोताज़ा, स्वस्थ अवस्था में बने रह सकते हैं। भले ही आपका शरीर रोग-ग्रस्त नहीं है, तब भी आप इस पुस्तक को पढ़ सकते है, ताकि आप यह बेहतर तरीके से समझ पाए की:

  1. कैसे ब्रह्मांडीय ऊर्जाएं आपको अपनी सेवाएं प्रदान करती हैं।
  2. ईश्वर, ब्रह्मांडीय ऊर्जा, आदि से आपका क्या सम्बन्ध है।

यह पुस्तक समझाती है की:

  1. आप कैसे ईश्वर की ऊर्जा को अवशोषित कर अपने शरीर में मौजूद किसी भी बीमारी का उपचार कर सकते हैं।
  2. किस तरह से ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं को स्वयं को बेहतर तरीके से सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रेरित करें, ताकि आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हुए एक बेहतर एवं स्वस्थ जीवन व्यतीत कर पाएं।
  3. ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं पर सकारात्मक प्रभाव के माध्यम से आप किस तरह खुद का उपचार कर स्वस्थ बने रह सकते हैं, क्योंकि ब्रह्मांडीय ऊर्जा आपके विचारों, भावनाओं, उद्देश्यों, आदि के आधार पर आपको अपनी सेवाएं प्रदान करती हैं।
  4. आप किस तरह अपने होलोग्राफिक शरीर के माध्यम से रोग-मुक्त हो सकते हैं।
  5. सार्वभौमिक कानूनों के बारे में, जिनके माध्यम से आपका उपचार होता है।
  6. वे प्रथाएं जिनमें ची और प्राण शामिल हैं, उनका किस प्रकार सफलतापूर्वक उपयोग, किसी भी दवाई के बिना लोगों के उपचार के लिए किया गया है।
  7. किस प्रकार आपकी आत्मा की अशुद्ध ऊर्जाएं आपके शरीर को रोग-ग्रस्त होने के लिए प्रभावित करती हैं, और किस प्रकार आपकी आत्मा की शुद्ध ऊर्जाएं आपके शरीर के उपचार को प्रभावित करती हैं।
  8. कैसे आप आत्म जागरूक अवस्था के माध्यम से आसानी से ठीक हो सकते हैं।
  9. कैसे आप अपने मन, बुद्धि और स्मृतियों पर अधिक नियंत्रण पा सकते हैं; और यह किस तरह आपके उपचार में सहायक होगा।
  10. आप किस प्रकार ईश्वर से एक करीबी रिश्ता विकसित कर सकते हैं, जिसके माध्यम से आपको अच्छे स्वास्थ्य सहित जो भी चाहिए या पाना है, उसके लिए आपको ईश्वर की सहायता प्राप्त होगी।
  11. कैसे आप अपनी आभा और वातावरण के भीतर एंजेलिक (दैवीय) संसार की ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं; और यह कैसे आपके रोगों को ख़त्म करने में मददगार होगा।
  12. दूरस्थ उपचार के माध्यम से, कैसे आपका और दूसरों का उपचार हो सकता है।
  13. कैसे आपके पास वे हाथ हो सकते हैं, जो आपके स्पर्श मात्र से उपचार करने में सक्षम हों।
  14. कैसे ब्रह्मांडीय ऊर्जाएं, बेहतर पोषक तत्त्व और औषधीय मूल्यों वाला भोजन प्रदान कर सकती हैं।
  15. कैसे ईश्वर का स्मरण करते हुए सोने से, आपका शरीर रोग-मुक्त हो सकता है। 

इस पुस्तक में दिए गए ज्ञान और ध्यान दिशानिर्देशों का उपयोग कर, आप ईश्वर से संपर्क स्थापित कर अपने शरीर की उपचार प्रक्रिया का आरम्भ करेंगे, इनके संपर्क में आने के माध्यम से:

  1. ईश्वर की रोग हरनेवाली शक्तिशाली ऊर्जा, और
  2. ईश्वर की ऊर्जा द्वारा सक्रीय की गयी ब्रह्मांडीय ऊर्जा। ये शक्तिशाली ब्रह्मांडीय ऊर्जाएं (ची या प्राण), ईश्वर और आपको अच्छी तरह अपनी सेवाएं प्रदान करती हैं, क्योंकि वे एक शक्तिशाली स्तर पर हैं।  इस प्रकार, आपके शरीर के सारे रोग तुरंत समाप्त किये जा सकते हैं।

 आप ताज़ा होने और बने रहने के लिए, अपने आपको ईश्वर की ऊर्जा के संपर्क में भी ला सकते हैं।

Languageहिन्दी
PublisherBadPress
Release dateMay 12, 2018
ISBN9781507197981
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    ध्यान के माध्यम से स्वयं को तरोताज़ा एवं रोग-मुक्त करें - Brahma Kumari Pari

    विषय सूची

    लेखिका के बारे में

    अध्याय 1: प्रस्तावना

    अध्याय 2: उपचार एवं ताज़गी महसूस करने के लिए आत्मा को सशक्त करना

    अध्याय 3: ईश्वर द्वारा रोगों से मुक्ति

    अध्याय 4: होलोग्राफिक बॉडी के माध्यम से ठीक होना

    अध्याय 5: कालचक्र के अनुसार बीमार एवं रोग मुक्त होना

    अध्याय 6: जागरूक आत्मा तथा जागरूक शरीर

    अध्याय 7: उपचार हेतु ईश्वर से प्रेममय सम्बन्ध

    अध्याय 8: चिकित्सा से जुड़े सार्वभौमिक कानून

    अध्याय 9: संगम-युग की आभा और पर्यावरण द्वारा उपचार

    अध्याय 10: दूरस्थ उपचार

    अध्याय 11: निर्माण और उपचार में मानव आत्मा की ऊर्जा की भूमिका

    अध्याय 12: स्पर्श और मालिश के माध्यम से उपचार

    अध्याय 13: ऊर्जा प्रदान करने वाले खाद्य और पेय पदार्थों का सेवन

    अध्याय 14: ईश्वर का स्मरण करते हुए सोने और जागने के लाभ

    ब्रह्मा कुमारी परी द्वारा लिखी अन्य पुस्तकें

    लेखिका के बारे में

    1970 के दशक से लेखिका ध्यान का अभ्यास कर रही है। 1994 में उनका ब्रह्मा कुमारी के ज्ञान से परिचय हुआ, और तभी से वह एक बीके (वह जो ब्रह्मा कुमारियों के ज्ञान का उपयोग करते है) बन गयी। एक बीके बनने के बाद, लेखिका लगातार ईश्वर की ऊर्जा का इस्तेमाल ताज़ा महसूस करने के लिए, खुद का उपचार करने के लिए, शुद्ध होने तथा स्वर्ण युग में जाने के लिए कर रही हैं। इस पुस्तक के माध्यम से, लेखिका अपने द्वारा अर्जित किये हुए ज्ञान और अनुभवों से लोगो का मार्गदर्शन कर रही है, कि किस तरह खुद को और दूसरों को तरोताज़ा, शुद्ध, एवं रोग-मुक्त रखा जाए।

    1996 से, लेखिका इन विषयों पर लेख और पुस्तकें लिख रही हैं:

    1. होलोग्राफिक यूनिवर्स।

    2. लेखिका के विभिन्न आध्यात्मिक अनुभव।

    3. वह ब्रह्मांडीय उर्जा जो विश्व के साथ साथ स्वर्ण-युग को भी प्रदान करती हैं।

    4. विभिन्न प्राचीन ग्रंथ एवं मिथक।

    5. ब्रह्मा कुमारियों के राज योग, ध्यान अभ्यास, इतिहास, आदि।

    उनके कुछ प्रारंभिक लेख, उपचार प्रक्रियाओं के बारे में थे,जो व्यापक शोध और अभ्यास से लिखे गए थे। उन्होंने लिखा था की किस तरह चक्र, एक्यूपंक्चर प्वाइंट्स,आदि के माध्यम से उपचार किया जा सकता है। जब उन्होंने वह लेख लिखे, तो उन्हें सिर्फ अपनी जान-पहचान के लोगो में वितरित किये, ऑनलाइन प्रकाशित नहीं किये थे। उपचार पर लिखे गए उनके उन लेखों के आधार पर, वह कुछ किताबें लिखने की योजना बना रही है, जिसमे वह बताएंगी की किस तरह ईश्वर की ऊर्जा का इस्तेमाल करके मानव शरीर का उपचार किया जाए। वर्तमान पुस्तक उनमें से पहली है। आप क्यों और कैसे ईश्वर की ऊर्जा द्वारा खुद का एवं दूसरों का उपचार कर सकते है यह पुस्तक उसका प्रारंभिक स्पष्टीकरण देती है।

    अध्याय 1: प्रस्तावना

    यह पुस्तक ब्रह्मा कुमारियों के ज्ञान (बीके ज्ञान) के आधार पर लिखी गयी है। इसीलिए, इस पुस्तक में लिखा सभी कुछ आपको ईश्वर से जुड़ने में मदद करेगा ताकि आप प्रभु के कंपन का प्रयोग कर खुद को रोग-मुक्त और/या तरोताज़ा कर सके।

    ब्रह्मा कुमारियों का उद्देश्य ईश्वर की ऊर्जा का प्रयोग कर भौतिक शरीर को ठीक करना नहीं है, क्योंकि ईश्वर ने ब्रह्मा कुमारियों की स्थापना स्वर्ण-युग की दुनिया को फिर से बसाने के लिए की थी। इसीलिए, भौतिक शरीर का उपचार सुनिश्चित करना ब्रह्मा कुमारियों के सदस्यों की ज़िम्मेदारी नहीं है। उनकी प्रमुखता केवल यह सुनिश्चित करना है की आत्मा शुद्ध और मज़बूत हो। हालांकि, मेरे (लेखिका) सहित, कई और ब्रह्मा कुमारियों ने पाया है की, अगर हम परमात्मा की ऊर्जा को भौतिक शरीर के उपचार के उद्देश्य से इसकी ओर निर्देशित करते है, तो शरीर ठीक हो जाता है। मैं इसके तर्क को समझने का प्रयास कर रही थी, और जब मुझे इसका तर्क समझ आया, तब मैंने यह किताब लिखी।

    यदि आप कड़ी मेहनत कर थकान या बोरियत महसूस करते है, या आप बीमार है, या किसी दोष से जूझ रहे है, तो इस पुस्तक की सामग्री आपको ताज़ा एवं आनंदित महसूस करने में मदद करेगी। आप को यह भी सिखाया जायेगा की किस तरह ईश्वर की ऊर्जा का उपयोग कर आप खुद के, अथवा दूसरों के शरीर का उपचार कर उन्हें रोग-मुक्त कर सकते है।

    यह किताब पढ़ कर आप ईश्वर (परमात्मा या सर्वोच्च आत्मा) से जुड़ सकते है। आप इस पुस्तक में दी गयी प्रथाओं का उपयोग ताज़ा महसूस करने, खुद अथवा दूसरों का उपचार करने, परम आनंद प्राप्त करने, आध्यात्मिक रूप से शुद्ध एवं मज़बूत होने के लिए कर सकते है। यदि आप इस पुस्तक में दिए गए ज्ञान को स्वीकार करते है एवं इसका प्रयोग करते है, तो आप संगम-युग में आते है। संगम-युग वह युग है जब यह विश्व स्वर्ण-युग में बदल जायेगा। यदि आप ऐसा इरादा रखते है, तो आप इस पुस्तक में दिए गए ज्ञान का इस्तेमाल स्वर्ण-युग में प्रवेश करने के लिए भी कर सकते है जहां आप एक ताज़ा एवं स्वस्थ जीवन जी सकते है। हालांकि, इस पुस्तक में दिया गया ज्ञान यह सिखाने पर ज़ोर नहीं देता की आप स्वर्ण-युग में कैसे प्रवेश पा सकते है। स्वर्ण-युग में कैसे प्रवेश किया जाए, यह जानकारी आपको मेरी पुस्तक ग्रो रिच व्हाइल वॉकिंग ईंटो द गोल्डन एज्ड वर्ल्ड (Grow Rich while Walking into the Golden Aged World) में मिलेगी। वर्तमान पुस्तक केवल आपको ताज़ा और रोग-मुक्त रहना सिखाने पर ज़ोर देती है।

    जब आप यह पुस्तक पड़ेंगे, आप ईश्वर से जुड़ाव महसूस करेंगे, क्योंकि मैं यह ज्ञान आपको ईश्वर के यंत्र के तौर पर दे रही हूँ, और इसीलिए भगवान उन सभी की मदद करेंगे जो उनसे जुड़ना चाहते है। आप तब तक ईश्वर से जुड़े रहेंगे जब तक आप उनसे जुड़े रहना चाहते है। अगर आप सिर्फ ज्ञान प्राप्त करने के उद्देश्य से यह पुस्तक पढ़ रहे है, और ईश्वर से संपर्क बनाना नहीं चाहते, तो आप उनसे नहीं जुड़ेंगे। यह सब आप क्या चाहते है उस पर निर्भर करता है।

    ईश्वर सभी धर्मों में विभिन्न नामों द्वारा पूजे जाते हैं। इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता की आप उनका ध्यान किस नाम से करते हैं। आप जिस भी नाम से चाहे ईश्वर का ध्यान कर सकते हैं। हालांकि, ब्रह्मा कुमारी में दिए गए ज्ञान के अनुसार, ईश्वर ने शिव के रूप में खुद का उल्लेख किया हैं, शिव अर्थात अर्थ, तर्क, विश्व पर उपकार करने वाला, सम्पूर्ण सृजन का मूल, आदि।

    हिन्दू धर्म में, और ब्रह्मा कुमारियों के ज्ञान के अनुसार, पार्वती शिव की पत्नी हैं। 1996 से, ध्यान के दौरान, मैंने अक्सर खुद को ईश्वर की पत्नी, पार्वती के रूप में अनुभव किया हैं। पार्वती के रूप में, मैं हमेशा ताज़ा महसूस करने में सक्षम थी, बल्कि मुझे थका हुआ होना चाहिए था क्योंकि मैंने बहुत काम किया था और/या मैं बीमार थी। मैं ताज़ा महसूस करने में सक्षम थी क्योंकि ईश्वर के कंपन ने मुझे आध्यात्मिक तौर से उच्च स्तर पर रखा था। जो भी मनुष्य इस पुस्तक को पढ़ेगा वह भी इस प्रकार ताज़ा महसूस करने में सक्षम होगा।

    वर्ष 2000 के आसपास, मैंने कई बार ऐसे मानसिक दृश्य (visions) देखे हैं जिनमे, चक्र का अंत दिखता हैं (समय किस तरह चक्रीय तरीके से बहता हैं जानने के लिए अध्याय 5 देखे), और मेरे पास सुनहरे हाथ होंगे जो उपचार कर पाएंगे। मैं नहीं जानती मुझ मे यह क्षमता इस समय है या नहीं। शायद भविष्य में, मैं यह कर पाऊ। मैंने गौर किया है की, 1996 में मैंने जो मानसिक दृश्य देखा था, वह सच हो रहा है, उदाहरण के लिए, मैंने देखा था की चक्र के अंत में, मैं विश्व स्तर पर एक भूमिका निभाऊंगी, और मैंने उसकी शुरुआत कर दी है। मानसिक दृश्यों में, मुझे इस बात का कोई सुराग नहीं मिला की किस साल में यह घटनाये होंगी। दूसरों के कथन अनुसार और मेरे इर्द गिर्द जो हो रहा है उसके आधार पर, मैं उस वर्ष को पहचानने की कोशिश कर रही थी, जब वो घटनाये हो सकती है। उदाहरण के लिए, वैसे तो मुझे इस बात का कोई सुराग नहीं मिला की मैं किस साल में विश्व स्तर पर भूमिका निभाऊंगी, लेकिन जो इस समय हो रहा है उसे देखते हुए, मैं कहूँगी की मैं विश्व स्तर पर पहले से ही एक भूमिका निभा रही हूँ। मुझे इस बात का भी कोई सुराग नहीं मिला की वह सुनहरे हाथ मेरे पास किस वर्ष में होंगे जिनसे मैं उपचार कर पाऊँगी। यह सत्य समय के साथ की उजागर होगा। यह भी मुमकिन है की वह मानसिक दृश्य (जिसमे मैं अपने सुनहरे हाथों से उपचार कर रही हूँ) सिर्फ यह बताने के लिए था की जो भी मैं लिखूंगी वह लोगों के उपचार में मदद करेगा। आखिर, मैं यह पुस्तकें अपने हाथों द्वारा ही तो लिख रही हूँ। क्योंकि ईश्वर इस किताब को पढ़ने वाले हर मनुष्य के उपचार में सहायता करेंगे, इसीलिए ऐसा लगता है की उनका उपचार मेरे हाथों द्वारा जो भी लिखा गया है उससे हो रहा है। यह भी संभव है की ईश्वर मेरे जरिये उन सभी को ऊर्जा प्रदान करेंगे, उनका उपचार करने के लिए जो यह पुस्तक पढ़ेंगे (फिर चाहे मैं इस बात से अनभिज्ञ ही क्यों न रहुँ की वह मेरा प्रयोग कर रहे हैं)।

    होलोग्राफिक यूनिवर्स पर लिखी मेरी किताब को पढ़ने वाले कुछ लोगों ने मुझे बताया है कि, जब वह मेरी किताब में लिखी गयी सामग्री को समझने के उद्देश्य से उसे तीव्रता से पढ़ते है, तब उन्हें होलोग्राफिक यूनिवर्स का अनुभव करने में बहुत ही शक्तिशाली सहायता प्राप्त होती है। एक व्यक्ति का कहना है कि, किताब में लिखे शब्दों द्वारा उन्हें ऐसी शक्ति प्राप्त होती है जो उन्हें होलोग्राफिक यूनिवर्स का अनुभव करने में मदद करती है। कुछ लोगों का मानना है कि जो मदद उन्हें प्राप्त हुई वह मेरी ओर से आ रही थी। संभव है कि ईश्वर उन्हें मेरे या पुस्तक में लिखे शब्दों के ज़रिये कम्पन और सहायता प्रदान कर रहे हो। यह भी हो सकता है कि मेरे पास इस भौतिक दुनिया में एक शरीर है, और मुझे इन पुस्तकों को लिखने के लिए उपयोग किया गया है इसीलिए, ईश्वर मेरे द्वारा उन लोगों कि सहायता कर रहे है जो मेरी पुस्तकें पढ़ रहे हैं (हालांकि, मैं इस बात से अनभिज्ञ हूँ कि वह मेरा प्रयोग उन लोगों कि मदद के लिए कर रहे हैं)। इसी तरह, जब आप इस पुस्तक में दिए गए ज्ञान और ध्यान प्रथाओं का उपयोग अपने उपचार के लिए करेंगे, तो ईश्वर आपका उपचार करेंगे। इस पुस्तक में दिए गए ब्रह्मा कुमारियों के ज्ञान के माध्यम से आप परमात्मा से जुड़ाव महसूस करेंगे एवं रोग-मुक्त हो जायेंगे।

    ईसा मसीह को भौतिक शरीर कि चिकित्सा में सक्षम माना गया हैं, और ईशु कि वापसी अब, संगम-युग से, ईश्वर कि वापसी को दर्शाती हैं। सिर्फ ईश्वर ही हैं जिनके पास ऐसी करिश्माई शक्तियाँ हैं जो उपचार कर सकती हैं, और हम ईश्वर द्वारा दूसरों कि मदद करने का साधन मात्र हैं। क्योकि अब मैं पार्वती हूँ, ईश्वर कि अर्धांगिनी, और मैं आत्मसमर्पण कि स्थिति में हूँ इसलिए, मैं ईश्वर/ईशु को इजाज़त देती हूँ कि वह मेरा प्रयोग ईश्वरीय सेवा में कर सकते हैं, क्योंकि वह मेरे आधे भाग हैं। इस प्रकार, ईश्वर मेरा प्रयोग कर रहे होंगे, भले ही मैं इस बात से अनभिज्ञ हूँ। मैं जानती हूँ कि ईश्वर मेरा प्रयोग लाभकारी प्रयोजनों के लिए ही करेंगे।

    वैसे भी, यह पुस्तक आपको आध्यात्मिक प्रयास करना सिखाती हैं, ताकि आप भगवान कि ऊर्जा से अवगत हो अपना उपचार कर पाए। आप ईश्वर से सम्बन्ध विकसित कर के, उनकी ऊर्जा के संपर्क में आकर अपना उपचार कर पाएंगे। मैं इन पुस्तकों को लिखने के लिए अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रही हूँ, और मैं इन किताबों के विज्ञापन के लिए भी भुगतान कर रही हूँ ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगो तक यह पुस्तकें पहुंच सके। एक बार यह पुस्तक आपके हाथ में आ गयी, फिर सब कुछ इस बात पर निर्भर करता हैं कि आप इससे क्या करना चाहते हैं। क्योंकि मैं यह पुस्तक ईश्वर के साधन के रूप में लिख रही हूँ, इसीलिए जब तक इस पुस्तक में दिए गए ज्ञान को जो भी स्वीकार और इस्तेमाल करेगा, ईश्वर अपने आप उनकी सहायता करेंगे। तो अगर आप अपना उपचार चाहते हैं, तो इस पुस्तक में बताये गए तरीके के अनुसार खुद को ईश्वर कि ओर मोड़ ले।

    इस पुस्तक में इस बात का विवरण है, कि किस तरह आप परमात्मा कि ऊर्जा का उपयोग ताज़ा महसूस करने और खुद (आत्मा और भौतिक शरीर) का उपचार करने में कर सकते हैं। ईश्वर कि ऊर्जा से कोई कैसे खुद का उपचार कर पाता हैं, इस बात का भी संक्षिप्त में विवरण दिया गया हैं। इस पुस्तक में दिए गए ध्यान करने के दिशानिर्देशों और ब्रह्मा कुमारियों के ज्ञान का उपयोग आप ईश्वर कि ऊर्जा को

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