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स्किज़ोफ्रेनिया से जीवित बच कर निकल आना
स्किज़ोफ्रेनिया से जीवित बच कर निकल आना
स्किज़ोफ्रेनिया से जीवित बच कर निकल आना
Ebook226 pages1 hour

स्किज़ोफ्रेनिया से जीवित बच कर निकल आना

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इक्कीस वर्ष की आयु में रिचर्ड कार्लसन जूनियर को पैरानॉयड स्किज़ोफ्रेनिया हुआ । उनके  रोग के लक्षण प्रारम्भिक किशोरावस्था में प्रत्यक्ष हुए । आधुनिक मनोरोग-विज्ञान ने उन्हें एक दशक से भी अधिक समय तक बहुत निराश किया । फिर पुलिस के साथ हुई घटना के पश्चात उन्हें वस्तुतः इस बात का बोध हुआ कि उनका पैरानॉयड स्किज़ोफ्रेनिया से पीड़ित होना मिथ्या नहीं था, तथा अंततः वे स्वास्थ्यलाभ की लंबी राह पर चल पड़े । दस वर्ष से भी अधिक लम्बी  समय-अवधि के पश्चात् उनके जीवन में बहुत बड़ा सुधार आया है । अपने उपचार के दौरान, रिचर्ड ने अवसाद, ओब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर एवं प्रमाद-आलस्य पर विजय प्राप्त की ।

रिचर्ड की कहानी को अपनी, अपने किसी परिजन अथवा गंभीर मनोरोग से जूझ रहे किसी रोगी की कहानी न बनने दें । एक-दूसरे एवं स्वयं के प्रति सदैव ईमानदार रहें । अधिक सीखने को इच्छुक रोगी, परिजन, देखरेख करने वाले, छात्र एवं मेडिकल व्यवसायी वेबसाइट www.survivingschizophrenia.com देखें ।

Languageहिन्दी
PublisherBadPress
Release dateJan 16, 2019
ISBN9781547512287
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    स्किज़ोफ्रेनिया से जीवित बच कर निकल आना - Richard Carlson Jr.

    अस्वीकरण: इस पुस्तक में प्रस्तुत जानकारी को चिकित्सासम्बन्धी परामर्श नहीं माना जाए। लेखक चिकित्सा के व्यवसाय  से नहीं है। मानसिक रोगियों को सदैव पेशेवर चिकित्सकों से परामर्श करना चाहिए।

    यद्यपि ‘स्किज़ोफ्रेनिया से जीवित बच कर निकल आना’ कोई कल्पित रचना नहीं है, तो भी कुछ तथ्यों एवं अन्य विवरणों में परिवर्तन किए गए हैं।

    अध्याय 1

    ईमानदार रहें

    जानकारी महत्त्वपूर्ण है। इसलिए कृपया ध्यान दें ।

    गंभीर मानसिक रोग से जूझने के अपने अनुभव से मैंने जो सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण बात सीखी है, वह यह है कि आप दूसरों एवं स्वयं के प्रति ईमानदार रहें । ईमानदारी सफल एवं संतोषप्रद जीवन की आधारशिला मात्र ही नहीं है – उसके बिना न तो आपका आवश्यक उपचार हो सकता है तथा न ही आपको वास्तविक स्वास्थ्यलाभ की अनुभूति हो सकती है ।

    झूठ बोल-बोल कर अपने जीवन को व्यर्थ न करें ।

    अपने मनोचिकित्सकों एवं परिवार के प्रति ईमानदार न होने के कारण दस वर्षों से अधिक समय तक मेरा पर्याप्त उपचार नहीं हो सका । अपने जीवन के उन दस वर्षों की पुनः प्राप्ति मुझे नहीं हो सकती ।

    इसी घड़ी ईमानदार होने में संकोच न करें। इसी बात पर आप का जीवन निर्भर हो सकता है ।

    अध्याय 2

    न्यू यॉर्क सिटी  में जन्म

    1970 के दशक के आरंभ में स्टौर्क ने मुझे मेरी माँ की गोद में डाल दिया था । मेरे पिता मध्यमवर्गी एवं कैथोलिक थे, तथा हम एक यहूदी मोहल्ले के निकट किसी अच्छी गली में रहते थे । क्या आपको मालूम था कि स्किज़ोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्तियों की शहरी वातावरण में जन्म लेने तथा रहने की संभावना अधिक होती है? मेरी बाल्यावस्था का एक बड़ा भाग न्यू यॉर्क शहर में बीता, अतः मुझे अक्सर यह सोच कर आश्चर्य होता है कि इस का कितना अंतर पड़ा है ।

    मेरी माता एक परिश्रमी महिला थी, जो घर पर रहकर मेरी एवं मेरे छोटे भाइयों, माइक और स्टीव, की देखभाल किया करती थी । मेरे पिता एक महान पिता थे । उन्होंने मेरे समक्ष एक अनुकरणीय उदहारण प्रस्तुत किया । एक बार वे मुझे अपशिष्ट जल उपचार केंद्र ले गए, जहाँ वे काम किया करते थे । वे और मेरी माँ हमारा बहुत ध्यान रखते थे। उन दिनों जीवन परिपूर्ण प्रतीत होता था ।

    मेरी सबसे पुरानी स्मृतियाँ  अपने दादा-दादी की हैं, जो हमारे घर की पहली मंजिल पर रहते थे । मेरे माता-पिता, भाई-बहन और मैं ऊपरी मंजिल पर रहते थे । उन्हें देखने के लिए हर सुबह मैं पाजामा पहने दौड़ कर नीचे चला जाता था । सत्रह वर्ष की आयु में दादाजी पोलैंड से आकर यहाँ बस गए थे । दादीमाँ का जन्म तो अमेरिका में हुआ था, परन्तु वे पोलैंड में बड़ी हुई थी । मुझे उनसे बहुत प्रेम था । दादीमाँ के बारे में जो बातें मेरी स्मृति में अंकित हैं , उनमें से एक है उनका रात के खाने में मेरे लिए पिएरोजिस बनाना । अपने दादा-दादी के कारण मेरे लिए मेरी पोलिश परंपरा इतनी महत्त्वपूर्ण  है ।

    मेरे दादाजी बहुत ही अच्छे अनुकरणीय व्यक्ति  थे – मैं बड़ा होकर बिलकुल  उनके जैसा बनने की प्रतीक्षा नहीं कर सकता था । मैं अपने पिता का सम्मान  करता था, जो कि बहुत ही अच्छे पिता थे, परन्तु दादाजी तो मेरी स्मृतियों में ही बसे हैं । वे एक अच्छे व्यक्ति थे, तथा हम इकट्ठे  शहर में लंबी सैर पर निकल जाते थे ।

    जब मैं चार वर्ष का था, तो  मैंने अपने खिलौने  बैटमोबाइल कार के साथ हमारे पड़ोसी टेडी द्वारा उनके सामने वाले प्रांगण में लगाए गए  ताज़ा सीमेंट में टायर ट्रैक बना दिए थे, तथा दादाजी ने बाद में मेरे लिए उस सीमेंट को समतल किया था ।

    दादाजी के सिर पर बाल नहीं थे । वे मोटा चश्मा लगाते थे तथा धुम्रपान करने के कारण, उनसे सिगार की गंध आती थी ।

    ऐसा मत करो! दादाजी ने मुझे खिड़की से  देखा तो चिल्लाकर कहा । नहीं! फिर भी  मैं ताज़ा सीमेंट पर अपने नए  बैटमोबाइल को चलाता  रहा । बैटमोबाइल के पहिए और मेरे छोटे-छोटे हाथ सूख रहे सीमेंट से मैले हो गए थे । दादाजी दौड़ते हुए बाहर आए तो सूरज बादलों के पीछे से प्रकट हुआ ।

    व्रूम, व्रूम, व्रूम!, मैं बैटमोबाइल को और तेज़ी से दौड़ाते हुए बड़बड़ाया । बैटमैन और रौबिन को दुष्ट जोकर को पकड़ना था ।

    दादाजी ने मेरी कलाई पकड़ी और मेरी खिलौना कार को गंदगी से बाहर निकाला । मैं अवज्ञा में चिल्लाया, नहीं, दादाजी! । मैंने अपनी पीठ मोड़ ली और गाड़ी से लिपट गया । मैं बिल्कुल भी न हिलने का प्रयास करने लगा । अच्छी तरह मेरे हाथ धुलवाने के लिए वे मुझे तहखाने की खड़ी सीड़ियों से नीचे ले गए ।

    लेकिन जोकर! बैटमैन और रौबिन को मेरी मदद की ज़रूरत है!

    सीमेंट में मत खेलो, रिचर्ड, उन्होंने मुझे डांटते हुए कहा । गुस्से में उनका स्लाव भाषा का उच्चारण और भी सुस्पष्ट हो जाया करता था ।

    मोबाइल, मैंने और खेलने कि चाह में कहा, फिर भले ही उस समय वे मेरी आस्तीनों को ऊपर कर रहे थे । मेरा  खिलौना लौटाने की जगह उन्होंने उसे साफ़ कर फिर मेरे हाथ धोए।

    मुझे अब  भी बैटमैन की सहायता करने की आवश्यकता थी । इसलिए मैंने उनसे घर के पिछवाड़े में खेलने की अनुमति मांगी । उनके हाँ बोलते ही मैं विशालकाय झाड़ियों की गंदगी की ओर भागा । गीली मिटटी में से बच कर निकलते हुए मेरी छाती में झनझनाहट होने लगी ।

    व्रूम, व्रूम, व्रूम! बैटमोबाइल गोथम बैंक की ओर दौड़ पड़ा ।

    मैंने जोकर को रोक दिया! मैं हीरो हूँ!

    मेरे  माता-पिता एवं दादा-दादी मुझसे बहत ज्यादा  प्रेम करते थे ।

    अध्याय 3

    उत्तरी न्यू यॉर्क में मेरी बाल्यावस्था

    अभी मैं इतना बड़ा भी नहीं हुआ था कि मुझे बालवाड़ी में डाला जा सके, उस समय मेरे माता-पिता ने उत्तरी न्यू यॉर्क के छोटे-से शहर स्टॉर्मविल में एक मकान बनाया था । मेरे माता-पिता नहीं चाहते थे कि मेरा लालन-पालन शहर में हो, क्योंकि उनका मानना था कि शहरी वातावरण बच्चों के लिए कठोर होता है । वे यह भी सुनिश्चित करना चाहते थे कि मुझे अच्छी शिक्षा प्राप्त हो । सन् 1975 में हमारे घर में सफ़ेद ट्रिम के साथ पीले साइडिंग थी ।

    पिताजी ने हमारे घर के पिछवाड़े में एक छोटा-सा तालाब बनवाया हुआ था, जो लिलि पुष्प के पत्तों, मछलियों एवं चिंगटों से भरा हुआ था । एक दिन पिताजी ने अपने कारखाने से एक बड़ा-सा मेंडक लाकर उसे हमारे तालाब में डाल दिया ।

    मेरी नज़रों में स्टॉर्मविल किसी भी बालक के लिए बड़ा होने के लिए पूरी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ स्थान था । मुझे न केवल अपने घर के पिछवाड़े के तालाब से, बल्कि हमारे आस-पड़ोस के नदी-नालों से मेंडक, बेंगची, टोड, कछुए, सांप, सरटिके, सैलामैंडर एवं असंख्य अन्य जीव-जंतु पकड़ने में बहुत मज़ा आता था । मैं किसी सैन्य दल की अग्रगामी टुकड़ी में होने का खेल खेला करता था, अपने खिलौने ट्रकों से एक निर्माण स्थल की देख-रेख किया करता था, तथा स्टॉर्मविल के  अपने  घर में अन्य प्रकार की मौज-मस्ती किया करता था । हमारे घर के आँगन में बहुत ही स्वादिष्ट जंगली रसभरी एवं ब्लैकबेरी उगा करती थी ।

    हमारे प्रांगण से पेड़ हटाने के लिए एक बार मेरे पिताजी बुलडोज़र के साथ एक आदमी को ले कर आए और उस आदमी ने मुझे अपना बुलडोज़र चलाने की पेशकश की । बहुत ही संकोची स्वभाव का होने के कारण मैंने इनकार कर दिया । काश मैंने ऐसा नहीं किया होता । अपने संकोची स्वभाव के कारण मैं बड़ा होते-होते काफ़ी रोचक अनुभवों से वंचित रह गया ।

    बुलडोज़र से नीचे उतरते हुए छेदों वाली सफ़ेद टीशर्ट, पुराने कारीगरों वाली हरे रंग की ऊपरी पोशाक तथा पीले-भूरे रंग के घिसे हुए जूते पहने हुए उस आदमी ने मुझसे पूछा, अपने आंगन में मेरा बुलडोज़र चलाने के बारे में तुम्हारा क्या ख्याल है?

    मैं दौड़ कर चुपचाप अपने पिताजी के पीछे हो गया तो उन्होंने मुड़कर मुझे देखा । मुझे आशा नहीं थी कि मुझे आज कुछ ऐसा करने की पेशकश की जाएगी, जो इतना मजेदार होगा! कल्पना कीजिए – मैं, पांच वर्ष का बालक, किसी सचमुच के निर्माण कर्मी की तरह बुलडोज़र चला रहा हूँ । बेचैनीभरी घबराहट से मेरे सीने में सनसनाहट होने लगी । उस दोपहर बारिश हुई थी, तथा गर्मियों की उमस के कारण पसीने से भीगी मेरी शर्ट मेरे सीने से चिपक गई थी ।

    अपने कूल्हों पर हाथ रखे मेरी माँ ज़ोर देकर बोली, आकर उन्हें हाँ बोलो, रिचर्ड!

    मैंने अपने जूतों की ओर देखा तथा पिताजी मुझपर अपनी आँखें टिकाए हुए घुटनों के बल बैठ गए । शरमाओ मत । तुम उसे चलाकर देख सकते हो कि कैसा लगता है, उन्होंने कहा।

    मेरी बड़ी चाहत थी कि बुलडोज़र चलाकर देखूं, परन्तु मेरे होंठ मानो सिल गए थे ।

    उन्हें हाँ बोलो, मेरी माँ ने पुनः कहा, तथा मैं उस भले आदमी से परे हट गया ।

    क्षणभर के लिए अपनी माँ के चेहरे पर निगाह डालते हुए मैंने उत्तर दिया, मुझे शर्म आ रही है । काश उस स्थिति से वे मुझे बचा लेती !

    तुम्हें मज़ा आएगा, मेरा हौंसला बढ़ाते हुए वे बोली । कोशिश तो करो।

    मैं तुम्हारी बगल में बैठूंगा, तुम्हें कुछ नहीं होगा, उस आदमी ने मुझसे वायदा करते हुए कहा ।

    वास्तव में मैं बुलडोज़र तो चलाना चाहता था, लेकिन अपने जूतों की ओर देखते हुए मैंने अपना सिर हिलाते हुए इनकार कर दिया । एक मिनट बाद मैं वहां से चला गया तथा घर के पिछवाड़े में आश्रय ले लिया । वहां अपने अपशिष्ट जल उपचार केंद्र में मल-मैल को इधर-उधर करते हुए मैं अपने खिलौने बुलडोज़र से खेलने लगा । उस भले आदमी की नज़रों से दूर रहकर मुझे चैन महसूस हुआ । परन्तु मैं उसके बुलडोज़र को चलाने

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