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सब तुम्हारा
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सब तुम्हारा
Ebook109 pages41 minutes

सब तुम्हारा

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About this ebook

“प्रणव की कविताओं से गुजरना एक युवा मन की संवेदना और प्रेम से गुजरना है। कविता लेखन एक कला है, यह गहरी साधना और परिश्रम के साथ प्रतिभा की भी मांग करती है। प्रणव की कविताओं से गुजरते हुए उनके अंदर बैठे एक भावुक और संवेदनशील कवि से हमारा सामना होता है। यह कवि अपने शब्दों में किसी तरह की बनावट के साथ न आकर एकदम सहज रूप में सामने आता है। यह सही है कि कविता में सहज होना वास्तव में बड़ा कठिन काम है। सहजता कई बार लध्धड़ गद्य या सपाटबयानी में तब्दील हो जाने का खतरा साथ लिए चलती है। यहाँ यह देखना दिलचस्प है कि यह कवि सहजता के साथ कविता की संवेदना को भी बचाने की छटपटाहट से लैस है। इनकी कविताओं में मुझे बहुत संभावनाएँ दिखायी दे रही हैं। कवि का यह पहला संग्रह है और जाहिर है कि इसमें पहलेपन की एक सुगंध भी है।”

Languageहिन्दी
Release dateMar 21, 2018
ISBN9781370020003
सब तुम्हारा
Author

वर्जिन साहित्यपीठ

सम्पादक के पद पर कार्यरत

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