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यदि इच्छाएं घोड़े थे If Wishes Were Horses (हिंदी संस्करण) (Hindi Edition)
यदि इच्छाएं घोड़े थे If Wishes Were Horses (हिंदी संस्करण) (Hindi Edition)
यदि इच्छाएं घोड़े थे If Wishes Were Horses (हिंदी संस्करण) (Hindi Edition)
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यदि इच्छाएं घोड़े थे If Wishes Were Horses (हिंदी संस्करण) (Hindi Edition)

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नदी का गीत - पुस्तक 1
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बलिवेदी पर फैंकी हुई और खानाबदोश, रोज़ी ज़ालबेडोरा ने आस्‍ट्रेलिया के आंतरिक क्षेत्र के सीमा में गवर्नस की नौकरी ले ली। वहाँ उसकी मुलाकात पीपा ब्रिस्‍टोह नामक एक भावुक बच्‍ची से हुई जो अपने माता-पिता के कटु अलगाव का सामना परियों की रानी और एक सींग वाले जानवर के जादुई दुनिया में पलायन कर करती था।
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पीपा को उसके थका देने वाली पढ़ाई-लिखाई में पकड़ जमाने के नियत काम के लिए रोज़ी की नियुक्‍ती की गई और इस तरह वह पीपा के पिता, एडम एवं तेल खादानों की उत्तराधिकारिणी,उनकी स्‍वार्थी पत्‍नी ईवा, के बीच चल रही निगरानी के विवाद में एक मोहरा बन कर रह गई। जैसे-जैसे उनके बीच का तनाव बढ़ता गया और रोज़ी, ब्रिस्‍टोह परिवार के सेंकड़ों भेद की जानकार बनती गई, वैसे-वैसे उसे अपने भयाभय अतीत का भी सामना करना पड़ा। इसी दौरान उसे अपने सुरूप एवं अप्राप्‍य भावना वाले नियोक्‍ता के लिए बढ़ते आकर्षण का भी संघर्ष करना पङेगा। किन्‍तु उसे मदद एक विचित्र वयस्‍क पड़ोसी, मित्रतापूर्ण शहर और हर रात उसके सपनों में आते हुए एक घुड़सवार की छाया के रूप में मिली।
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"गर ख्‍वाईशें तुरग होतीं" पारिवारिक गाथा की वह पहली किताब है जो आस्‍ट्रेलिया के पट भूमि पर आधारित की गई है एवं जिसकी शैली जेन आयर की दिल को चीरने वाली गाथिक के मंद स्‍वर एवं अलौकिक संकेतों से अपनाई गई है।
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"एक रहस्‍यमय, जादुई भूदृश्‍य और पौराणिक कथा का एक नवीन जीवन।" —इतिहास के ब्‍लॉग का अफसाना।
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"मैं फौरन पात्रो के जीवन में खींची चली गई, और एैसा महसूस हुआ जैसे में रोज़ी के आस-पास ही हूँ जब वो अपने जीवन को बिखरने से बचाते हुए संघर्ष कर रही थी..." —न्‍यू योर्क टाइम्‍स की सर्वश्रेष्‍ठ बिकने वाली रचनाकार स्‍टेसी जोय नेटज़ेल।
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"रोज़ी और एडम, दोनों ही चोट खाए हुए इंसान हैं------- वह नन्‍ही-सी लड़की, पीपा, बड़ी ही करामाती हैं।( पीपा एक बेहद नाज़ुक बच्‍ची है, जो अपने माता-पिता के घिनौने अभिरक्षा के विवाद में इस तरह उलझी हुई है की आप उसे गले से लगाने पर मजबुर हो जाऐंगे एवं उसे सुरक्षित रखना चाहेंगे..." —डार्क लिलिथ बॉल्‍ग बुक ।
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हिंदी संस्करण, हिंदी भाषा, हिंदी किताबें, हिंदी रोमांस, रोमांस, रोमांस, मुफ्त ईबुक, मुफ्त हिंदी पुस्तक, Jane Eyre, Hindi language

Languageहिन्दी
Release dateMar 24, 2018
ISBN9781943036677
यदि इच्छाएं घोड़े थे If Wishes Were Horses (हिंदी संस्करण) (Hindi Edition)
Author

Anna Erishkigal

Anna Erishkigal is an attorney who writes fantasy fiction under a pen-name so her colleagues don't question whether her legal pleadings are fantasy fiction as well. Much of law, it turns out, -is- fantasy fiction. Lawyers just prefer to call it 'zealously representing your client.'.Seeing the dark underbelly of life makes for some interesting fictional characters. The kind you either want to incarcerate, or run home and write about. In fiction, you can fudge facts without worrying too much about the truth. In legal pleadings, if your client lies to you, you look stupid in front of the judge..At least in fiction, if a character becomes troublesome, you can always kill them off.

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    यदि इच्छाएं घोड़े थे If Wishes Were Horses (हिंदी संस्करण) (Hindi Edition) - Anna Erishkigal

    यदि इच्छाएं घोड़े थे

    नदी का गीत

    पुस्तक 1

    .

    लेखिका

    ऐना ऐरिशकीगल

    .

    हिंदी संस्‍करण

    .

    अनुवाद

    देवमित्रा अभिषेक पाल

    प्रतिलिप्‍यधिकार 2014 द्वारा सुरक्षित - ऐना ऐरिशकीगल

    (सर्वाधिकार सुरक्षित)

    सारांश

    बलिवेदी पर फैंकी हुई और खानाबदोश, रोज़ी ज़ालबेडोरा ने आस्‍ट्रेलिया के आंतरिक क्षेत्र के सीमा में गवर्नस की नौकरी ले ली। वहाँ उसकी मुलाकात पीपा ब्रिस्‍टोह नामक एक भावुक बच्‍ची से हुई जो अपने माता-पिता के कटु अलगाव का सामना परियों की रानी और एक सींग वाले जानवर के जादुई दुनिया में पलायन कर करती था।

    पीपा को उसके थका देने वाली पढ़ाई-लिखाई में पकड़ जमाने के नियत काम के लिए रोज़ी की नियुक्‍ती की गई और इस तरह वह पीपा के पिता, एडम एवं तेल खादानों की उत्तराधिकारिणी,उनकी स्‍वार्थी पत्‍नी ईवा, के बीच चल रही निगरानी के विवाद में एक मोहरा बन कर रह गई। जैसे-जैसे उनके बीच का तनाव बढ़ता गया और रोज़ी, ब्रिस्‍टोह परिवार के सेंकड़ों भेद की जानकार बनती गई, वैसे-वैसे उसे अपने भयाभय अतीत का भी सामना करना पड़ा। इसी दौरान उसे अपने सुरूप एवं अप्राप्‍य भावना वाले नियोक्‍ता के लिए बढ़ते आकर्षण का भी संघर्ष करना पङेगा। किन्‍तु उसे मदद एक विचित्र वयस्‍क पड़ोसी, मित्रतापूर्ण शहर और हर रात उसके सपनों में आते हुए एक घुड़सवार की छाया के रूप में मिली।

    गर ख्‍वाईशें तुरग होतीं पारिवारिक गाथा की वह पहली किताब है जो आस्‍ट्रेलिया के पट भूमि पर आधारित की गई है एवं जिसकी शैली जेन आयर की दिल को चीरने वाली गाथिक के मंद स्‍वर एवं अलौकिक संकेतों से अपनाई गई है।

    .

    एक रहस्‍यमय, जादुई भूदृश्‍य और पौराणिक कथा का एक नवीन जीवन। —इतिहास के ब्‍लॉग का अफसाना।

    .

    मैं फौरन पात्रो के जीवन में खींची चली गई, और एैसा महसूस हुआ जैसे में रोज़ी के आस-पास ही हूँ जब वो अपने जीवन को बिखरने से बचाते हुए संघर्ष कर रही थी... —न्‍यू योर्क टाइम्‍स की सर्वश्रेष्‍ठ बिकने वाली रचनाकार स्‍टेसी जोय नेटज़ेल।

    .

    रोज़ी और एडम, दोनों ही चोट खाए हुए इंसान हैं------- वह नन्‍ही-सी लड़की, पीपा, बड़ी ही करामाती हैं।( पीपा एक बेहद नाज़ुक बच्‍ची है, जो अपने माता-पिता के घिनौने अभिरक्षा के विवाद में इस तरह उलझी हुई है की आप उसे गले से लगाने पर मजबुर हो जाऐंगे एवं उसे सुरक्षित रखना चाहेंगे... —डार्क लिलिथ बॉल्‍ग बुक ।

    समर्पित

    मैं यह किताब उस प्रत्येक शख्‍स़ को समर्पित करना चाहूँगी जिसने भीड़ में होते हुए भी विकराल एवं भयानक अकेलेपन का अनुभव किया है।

    आभार

    मैं उन सभी लोगों का शुक्रिया करना चाहूँगी जिनकी सहायता के बिना ये उपन्‍यास हार्ड ड्राइव पर कूद-फाँदकर अपनी मौत स्‍वयं मर जाता।

    मैं अपने सदा प्रशंसक पति को धन्‍यवाद देना चाहूँगी, जिन्‍होंने मेरे लेखन के शौक को बरदाश्‍त किया। वाकई में, मैं कृतज्ञ हूँ कि वे सवेरा होते ही उठकर हमारे बच्‍चों के लिए नाश्‍ता बनाते थे और थाली से ढक कर उसे गर्म रखने के लिए छोड़ देते थे।

    मैं अपने प्‍यारे बच्‍चों का शुक्रिया करना चाहूँगी जिन्‍होंने वर्षो तक उदार उपेक्षा में गुज़ारा किया। जिस वक्‍त उनकी माँ अपने काल्‍पनिक मित्रों से बातें करती थी वे खुद उड़ान भरने योग्‍य लेखक बन रहे थे।

    मैं अपने मुख्‍य पाठक सिंडी लेपर्ड ग्रीन का तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ जिन्‍होंने उपन्‍यास की सारे त्रुटियों एवं अन्‍य चिन्‍ताजनक तथ्‍यों की ओर मेरा ध्‍यान आकर्षित किया जिससे मैं अपने लेखन में सुधार ला पाई। धन्‍यवाद!

    And I'd especially like to think my friends, Kannu Kanjuweet, for all her help and guidance in bringing my vision to life, and Debmitra Pal, with whom this Hindi Edition would not exist. Thank you!

    विषय तालिका

    सारांश

    समर्पित

    आभार

    विषय तालिका

    कहावत

    प्रस्तावना

    अध्‍याय 1

    अध्‍याय 2

    अध्‍याय 3

    अध्‍याय 4

    अध्‍याय-5

    अध्‍याय-6

    अध्‍याय-7

    अध्‍याय-8

    अध्‍याय-9

    अध्‍याय-10

    अध्‍याय-11

    अध्‍याय-12

    अध्‍याय-13

    अध्‍याय-14

    अध्‍याय-15

    अध्‍याय-16

    अध्‍याय-17

    अध्‍याय-18

    अध्‍याय-19

    पूर्वावलोकन: ड्रीम्स का खैर (नीलामी 2)

    Can't wait to see what happens next?

    मेरे पाठकों के समूह से जुड़ें

    पूर्वावलोकन: ऐ गौथिक क्रिसमस ऐन्जल

    आपके बहूमुल्‍य समय का एक क्षण देने के लिए निवेदन

    लेखिका के विषय में

    अनुवादक के विषय में

    लेखिका की अन्‍य किताबें

    फुटनोट

    कॉपीराइट

    कहावत

    गर ख्‍वाईशें तुरग होतीं, तो मोहताज़ भी सवारी करते ।

    गर शलगमें शमशीर होतीं, तो मेरे पास भी तलवार होती ।

    गर यदितथा तसला बर्तन होते,

    तो शिक्षक के हाथों के लिए कोई कार्य न होता ।

    .

    — स्कॉटिश कहावत, 1670

    प्रस्तावना

    एक उजाङ सी हवा धूप में झुलसी हुई काँटेदार पौधों को चीरती हुइ पुरे आवरण में लाल गुब्‍बार फैलाती हुई बह रही थी। ऐसे में भी एक मासूम श्‍वेत रंग की छोटी सी घोड़ी अपने नन्‍हें दोस्‍त को क्षितिज में तलाशती हुई गेट पर खड़ी थी।

    हर पल, हर क्षण ज़मीन सूर्ख नज़र आती, चारा न जाने कहाँ तक भूख मिटाती, और तो और बाँध भी अपना रूप बदलकर मात्र एक मिट्टी का रिसाव बन चुका था। खारेपन और परजीवियों के अलावा उसमें कुछ न था, जो उसे और भी बीमार कर रहा था।

    उस श्‍वेत घोड़ी के बाकी सारे साथी अपने पेट की जलन बुझाने के लिए, गहराईयों में न जाने कितनी दुर तक भटक रहे थे, पर ये श्‍वेत घोड़ी अपने नन्‍ही लड़की के इन्‍तज़ार में कहीं दूर जाने की सोच भी न सकी। उसे ये डर था की शायद दुर जाने पर उस क्षण वो उपस्थित न होगी जब वो लड़की उसकी सवारी करने आएगी।

    जब घोड़े के अनुयान ने उसे अपने हाल पर छोड़ दिया था तब उसे रह रहकर उन दोपहरों की यादें आती थी। वह दिन ही कुछ और थे जब वह नन्‍ही लड़की उसके नर्म बालों को सहलाकर चोटियाँ बनाती और प्‍यारे-प्‍यारे लुभावने रिब्‍बनों से सजाती। उसके बाद का दृश्‍य तो और भी सुनहरा था। जब बाकी सभी खुबसूरत घोड़े भी उसके साथ रिंग में सवारी करतीं और तब तलक करतीं जब तक वे शिथिल न हो जातीं परन्‍तु उस रिंग में गुँजती तो केवल अश्‍वों की उल्‍लास से भरी हिनहिनाहट।

    जब वह अपने पलकों को बंद करती तो उस छोटी सी लड़की की स्‍मृति आती जो हमेशा उसे मीठे रसीले गाजर देती थी और बड़े लाड से उसके नर्म बालों पर ब्रश फेरा करती थी।

    आह, उस नन्‍ही लड़की की कमी कितनी खलती थी।

    घोड़ी उसे दिलोजान से प्‍यार करती थी, पर ये बात उसके समझ के परे थी कि उस लड़की ने उसे दुर क्‍यों भेज दिया।

    उस लड़की से मिले कई मौसम ढलकर बीत गए, परन्‍तु हर दोपहर जब सुरज अनंत में ढूबने की तैयारी करता , वह श्‍वेत घोड़ी लड़खड़ाते हुए भी गेट पर जरूर पहुँचती। अब वह अपनी क्षीण और दुर्बल काया के साथ बड़े कठिनाई से चल पर रही थी। मगर फिर भी अत्यतं धैर्य के साथ उस नन्‍ही लड़की के आने और उसे घर ले जाने की प्रतिक्षा करती।

    अध्‍याय 1

    एक लड़की अपने पहले प्‍यार को कभी नहीं भूला पाती। लम्‍बे सुनहरे बाल, गहरी भूरी आँखे और हर बार अस्‍तबल में घुँसते ही उसके सचेत कान जो मेरे कदमों की आहट पर हरकत कर उठते थे। एक दशक तक मुझे हार्वी के सिवा किसी भी दुसरे नर में दिलचस्‍पी ही नहीं हुई। और क्‍यों हो भला, वह बड़े सब्र से दिन ढलने के वक्‍त मेरा इन्‍तज़ार जो करता था। वह मेरी दु:ख भरी दास्‍तान बड़े ही निष्‍पक्ष भाव से सुनता और फिर मुझे अस्‍तबल के बाहर की दुनिया की सैर कराता था। वहाँ मुझे पुरी आज़ादी महसूस होती थी।

    जब उस चुड़ैल ने जो खुद को मेरी माँ कहती थी, उसकी हत्‍या की, तब मैं हफ्तों तक रोई और आखिरकार घर से भाग गई। हाँ, ये सच है कि उसने पुलिस को मेरे खिलाफ भड़काया और वे मुझे हवाई अड्डे से घसीटकर वापस घर ले आए। परन्‍तु मैंने भी उसे नहीं छोड़ा। हाँ, मैंने भी ऐसा ही कुछ किया। जिस दिन मैं अठारह साल की हुई और घर से बाहर कदम रखा, उस दिन मैंने अपने पिता को फोन किया और मेरे पालन-पोषण के लिए माँ को दिए जाने वाले आर्थिक सहायता को बंद करने को कहा।

    ये उनके लिए सठीक सज़ा थी की मैंने उन्‍हें घर से बेदखल होते हुए देखा। क्‍योंकि उन्‍होंने मेरे हार्वी को उन्‍हे नापसंद करने के लिए मार डाला था।

    शायद इसी को कर्मों का फल कहते हैं कि आज मुझे भी अपना घर खोना पड़ रहा था।

    मैंने अपने आँसुओं को रोकते हुए, अपने जिन्‍दगी के दुसरे महान प्‍यार की मदद की जो मेरे बची-खूची वस्‍तुओं को उस अपार्टमेन्‍ट के बाहर ले जा रहा था जिसमें हम दोनों ने जिन्‍दगी के तीन साल गुज़ारे थे।

    जैसे ही मेरे तकिये से भरा हरे रंग के कचरे का बैग उसके लम्‍बी-दुबली का़या से टकराया वह इस भांती गुरगुराया मानों वज़नदार सामान उठा रखा हो।

    मैंने किताबों से लदी हुई मज़बूत दफ़ती उठाकर अपने लाल रंग की २००७ फोर्ड फॉल्‍कन के पीछे के सीट पर रख दी और कुछ कदम अलग हट गई ताकी वह उसे डब्‍बों के बीच की जगह में भर दे।

    ये वो सभी वस्‍तुऐं हैं जो तुम इस रिश्‍तें में लेकर आयी थी। उसने एक लय में बोला। बाकी सारा सामान मेरा है।

    भूरे बाल और भूरी-आँखें, लम्‍बी और गठीली काया, ये सभी ग्रेगोरी स्‍कलटर जैसे किसी भी वित्त के स्‍नातकोत्‍तर का प्रतिरूप था। परन्‍तु वह मेरे सामान को अपार्टमेन्‍ट से बाहर निकालने में मदद करते हुए आस्‍तीन चढ़ाए कड़क सफेद शर्ट में भद्दा-सा लग रहा था।

    हालांकि मेरे बाल लम्‍बे और आँखे अपनी गिटानों दादी जैसी काली थी फिर भी क्‍वींसलैंड विश्‍वविद्यालय के सभी हमें चार साल तक अनुरूप जोड़ा कहते थे।

    ग्रेगोरी के भूरे जूते दरवाज़े के तरफ ऐसे पड़े हुए थे, मानो वह किसी भी क्षण भयभीत होकर खुदकों उस पुराने फ्लैट के सुरक्षा घेरे में बन्‍द कर लेगें।

    सही कहा, ये सारी मेरी ही चीज़ें हैं, मैंने उसकी आँखों को अपनी काली आँखों से चीरते हुए कहा, और अब तुम्‍हें मुझसे भी छुटकारा मिल जाएगा।

    जैसे ही मैंने अपने कार के दरवाजे को पटका, ग्रेगोरी पीछे की तरफ दौड़ पड़ा मानो वह भयभीत था कि मैं उसे अभिशाप दें दूँगी या उसके सिर पर कुछ उछाल दूँगी।

    ऐसा मत कहो रोज़ी ग्रेगोरी ने अपराध बोध से गुँजते हुए स्‍वर में कहा, तुम तो ऐसा प्रतीत करा रही हो जैसे की मैं कूड़ा-करकट बाहर फेंक रहा हूँ।

    क्‍या तुम ऐसा नहीं जता रहे हो? मेरा स्‍वर कड़वाहट से तीक्ष्‍ण हो उठा।

    हम दोनों बहुत भिन्‍न थे रोज़ी, ग्रेगोरी ने कहा, हमारे बीच कभी कोई मेल था ही नहीं।

    मैंने अपने जबड़ों को भींचकर एक और तर्क-वितर्क से बचने की कोशिश की क्‍योंकि वो मुझे ही रिश्‍ते को खत्‍म करने के लिए दोषी ठहरा देता।

    हम अपने विश्‍वविद्यालय के प्रथम वर्ष मिले और द्वितीय वर्ष परिसर के बाहर रहने लगे। अगले तीन वर्ष तक मैंने किराया भरने के लिए पढ़ाई के साथ-साथ काम भी किया जब की ग्रेगोरी पढ़ाई करता रहा ताकी वह विशिष्‍टता से स्‍नातक उत्‍तीर्ण सके।

    हमारा स्‍वप्न-सा विवाह नये साल के पश्‍चात होने वाला था। पर जब उसे नौकरी का प्रस्‍ताव आया, उस नीच इंसान ने मुझसे सगाई की अँगूठी वापस देने को कहा और हमारे अपार्टमेन्ट के पट्टे को भी खत्‍म कर दिया।

    ठीक है मैंने कार की चाबी ढूंढते हुऐ अपने आँसुओं से संघर्ष की।

    तुम्‍हें दोबारा मेरी शक्‍ल देखनी की जरूरत नहीं पढ़ेगी।

    ऐसा मत कहो रोज़ी ग्रेगोरी का स्‍वर अनुरोध करने की उच्‍च सीमा तक बढ़ा, क्‍या हम दोस्‍त नहीं रह सकते?

    मैंने उसकी नज़रों से नज़र मिलाई। ग्रेगोरी की भूरी आँखें चोरी-चोरी लपक कर अपार्टमेन्‍ट के तरफ जा रही थी, जो की बस खाली होने वाली थी क्‍योंकि वो माल वाहक वैन उसके सामान को सिडनी के एक आलीशान बंगले में ले जा रही थी जिसके लिए उसने अपने नए प्रेमिका से पहली किश्‍त छल से दिलवायी थी ।

    नहीं, मैने ठोड़ी उठाकर कहा, तुम एक रक्‍तपीपासु शोषक हो, ग्रेग। और अब मैं इस्‍तेमाल होते-होते थक चुकी हूँ।

    आभास होने का वो हुनर जो मुझे मेरे गिटानों दादी से विरासत में मिली थी, मेरे अन्‍दर लहरें उत्‍पन्‍न करने लगी जब मैंने ये महसूस किया की उस खून पीने वाले घटिया आदमी से जो मेरा थोड़ा बहुत ताल्लुक था वह खत्‍म होने वाला था । मैं धपाक से अपने फॉल्‍कन के सीट पर बैठी, चाबी घुमाई और सीट बेल्‍ट लगाने से पूर्व ही मैंने गाड़ी को गियर में डाल दिया। पहिये चीं-चीं कर उठे और ग्रेगोरी चीख उठा।

    बहुत बढ़िया! काश की मैं इस चोर के पैरो पर गाड़ी चढ़ा देती। मेरी V6 एक ताकतवर गाड़ी के भांति तसल्‍ली से घूमी जैसे ही मैंने रफ्तार से ब्रिस्‍बेन को छोड़ा और A2 के तरफ बढ़ने लगी। जैसे ही मैंने रफ्तार से ब्रिस्‍बेन को छोड़ा मेरी V6 एक ताकतवार गाड़ी के भांति तसल्‍ली से घूमी और A2 के तरफ बढ़ने लगी।

    मेरी गाड़ी की मज़बूती का अनुभव अवास्‍तविक था, ये सिर्फ ध्‍वनि कम करने के यंत्र को शीघ्र बदलने का लक्षण मात्र था, फिर भी वो मज़बूत लग रहा था और मुझे उसके ताक़त के हर कतरे की जरूरत थी।

    बदतमीज़! मैने खुल हाइवे पर चिल्‍लाया, उम्‍मीद करती हूँ की कोई तुम्‍हारे साथ भी बिल्‍कुल ऐसा ही कुछ करे।

    मैं अप्रत्‍यक्ष कार चलाती रही जब तक शहरों की प्राकृतिक छटा क्षितिज से क्षितिज तक फैली हुए भूरे पीले रंग के चरागाह रूपी लहरों में न बदल गई। ये घास ग्रीष्‍म काल के प्रारंभ के सूर्य की किरणों से शुष्‍क होकर एक सौम्‍य सुनहरे रंग में बदल चुके थे जो मुझे हार्वी के बालों की याद दिला रहे थे। धीरे-धीरे मेरे आँसु भी रूक गए।

    ये अश्‍व प्रदेश था। यह बिल्‍कुल ऐसी जगह थी जैसा मैंने बड़े होते हुए बसने की कल्‍पना की थी। ये ऐसी जगह थी, जहाँ हार्वी किसी ओछें काल्‍पनिक व अधिक कीमत वाले घुड़सवारी के विद्यालय के बाढ़े में खड़ा न होकर चरणभूमि में स्‍वछंद दौड़ लगा सकता था।

    एक जानी-पहचानी सी तड़प मेरे उदर में घुमने लगी। गर ख्‍वाईशें तुरग होतीं, मैं खुद में बङ-बड़ाई। छह साल बीत चुके थे, लेकिन कुछ दर्द ऐसे होते हैं जो कभी नहीं मिटते।

    मैंने रेडियो ऑन किया जहाँ आस्‍ट्रेलिया के 40 सव्रश्रेष्‍ठ कलाकारों द्वारा युवतियों से लेकर स्‍तन तक और तो और विश्‍वासघात पर भी गाने पेश किए जा रहे थे। मैडन ब्रदर्स नाम के पॉप रॉकबैन्‍ड भी अपने बकवास विज्ञापन वाले गीत के साथ आये, और थोड़ी देर के पश्‍चात, मेरे गुस्‍से के बावजूद मेरी उँगलियाँ वी आर डन ऑन द वील नाम के गाने के लय पर थिरकने लगीं।

    जैसे ही मेरे पेटोल टंकी की लाइट झिलमिलाने लगी। मैंने नज़दीकी निकास के तरफ गाड़ी मोड़ी और तभी मुझे एक सर्वो पेट्रोल पम्‍प दिखा जो मुझे एक सर्वो हाइवे से ज्‍यादा दूर न था। शौचालय के शीघ्र दौरे के बाद मैं कतार में पैसे देने के लिए खडी हुई और काउंटर के आगे रखे हुए अखबार के स्‍टैंड में सुर्खियाँ जाँचने लगी।

    ---शुष्‍क तटवर्ती स्‍थानों में अकाल के कारण तबाही----------

    उसके पास ही एक पूरे रंगीन पृष्‍ट पर सुनहरे बालों वाली एक सुंदर युवती और उसके ऊँचे दर्जे़ के तलाक का नया अध्‍याय सारे प्रथम पृष्‍ठ पर चिपका हुआ था।

    ----------तेल के खदानों की वारिस ने वैनेज़ुएलन अरबपति के साथ उड़ान भरी---------

    मेरी आँखें अख़बारों को पार करते हुए, हॉट डॉग घुमाते यंत्र तरफ मुड़ गई । 5 डालर में दो हॉट डॉग, चिप्‍स का एक पैकेट और बुदबुदानेवाली ड्रींक मिल रही थी। जैसे-जैसे मैं उन छोटे से भूरे रहस्‍यमय मांस की नलियों को सुनहरे और रसीले रूप में बदलते देख रही थी, वैसे-वैसे मेरे अन्‍दर पैसे खर्च करने की बहस छिड़ गई।

    उस बहस के दौरान मैं लगभग उस नर्म सफेद ब्रेड के साथ पीले मस्‍टर्ड सॉस और सिरके वाली गोभी में मिश्रित करारे सॉसेज के टुकडों का स्‍वाद ले पा रही थी, परन्‍तु जब तक मुझे नौकरी नहीं मिल जाती मैं एक आम संघर्ष करने वाली युवती थी जिसके पास बहुत सारे वक्‍त तो था। परन्‍तु पर्याप्‍त पैसे न थे। इससे अच्‍छा तो ये था की मैं कार के पहली सीट पर फेंके ब्रेड व सब्जियों से बने जैम को ही खा लेती।

    मैंने काउन्‍टर के पीछे खड़े छोटे लड़के से प्रोफेसर डींगल द्वारा कागज़ के टुकङे पर लिखे हुए पते की दिशा पूछी। मुझे ये पता चला की टुवूम्‍बा यहाँ से आधे घंटे की दुरी पर है और उसके आगे के रास्‍ते के बारे में बच्‍चे को संदेह था। मैं कमरे से बाहर जाने के लिए पीछे मुड़ी और फॉल्‍कन में पेट्रोल भरने के लिए बढ़ी।

    ठीक उसी वक्‍त एक प्राचीन ब्‍यूक कार मुखालिफ पम्‍प पर आकर रूकी, यह उस श्रेणी की कार थी जो क्‍लासिक कार नाइट [1] में दिखतीं है। उस कार में से एक वयस्‍क औरत निकली और भुगतान करने के लिए अंदर चली गई।उसके उजले-नीले से बाल और गहरे गुलाबी रंग की लिपस्टिक, नारंगी पोशाक के साथ जम नहीं रहे थे। उनके समान वयस्‍क उनके पति बाहर निकले तथा पेट्रोल के ढक्‍कन को खोलकर अंदर वाले बच्‍चे द्वारा पम्‍प चलाने का इन्‍तज़ार करने लगे। उन्‍होंने मुझे एक अजीब-सी डरावनी मुस्‍कान दी।

    आप का दिन शुभ हो, मिस, उन्‍हानें कहा। तुम्‍हें यहाँ पहले तो कभी नहीं देखा?

    मैं यहाँ से बस गुज़र ही रही थी।

    जैसे ही संख्‍या 60 डालर तक बढ़ गई वैसे ही मैंने पेट्रोल पम्‍प को ताकने का ढोंग किया, ये मेरे पास बचे हुए पैसों का आधा हिस्‍सा था। अगर मैं ये नौकरी हासील न कर पाई, तो मेरी एक-एक कौड़ी साक्षात्‍कार के लिए गाड़ी दौड़ाने में ही निकल जाएगी।

    क्‍या तुम घोड़ो की नीलामी के तरफ जा रही हो? उस वृद्ध ने पुछा।

    घोड़ों की नीलामी? मेरे अंदर के घुड़सवार में एक अजीब सी उत्‍तेजना उत्‍पन्‍न हो गई।

    उस वयस्‍क आदमी ने ज़मीन पर गढ़े एक लाल गत्‍ते के सूचक के तरफ इशारा किया जिसमें नीचे की ओर मुड़ी एक तीर छोटी-सी सड़क की ओर इशारा कर रही थी। उसमें निर्दिष्‍ट था, लॉकयर घोड़े तथा ज़ीनसाज़ी की नीलामी। अगली निलामी: 1 नवम्‍बर

    वे हर महिने की पहली शानिवार को नीलामी रखते थे, वृद्ध ने बोला, किन्‍तु हाल फिलहाल अकाल से पीङित पशुधन को स्‍थान परिवर्तित करने के लिए उन्‍हें ये कार्यक्रम हर हफ्ते रखना पड़ता हैं। ज्‍य़ादातर लोग हाईवे से हटकर नीलामी के स्‍थान की खोज करने आते हैं।

    मैंने अपने पॉकेट में दबाए एक कागज़ के टूकड़े को खींचकर बाहर निकाला। ये वही कागज़ था जो प्रतिभाशाली बच्‍चों के मनोविज्ञान के पूर्व प्राध्‍यापक, प्रोफेसर डींगल ने मुझे तब दिया था जब मैंने उनके कार्यालय में हताश होकर ये बताया की मेरे पास रहने के लिए कोई जगह नहीं है।

    मेरे नाट्यून के समीप डार्लिंग डाउन्‍स में नौकरी के लिए साक्षात्‍कार है।

    मैंने उस पर्चे को उनके सामने लहराया।

    नाट्यून? उस वयस्‍क आदमी की भौहें आश्‍चर्य से सिकुड़ गई। ये तो उस ओर कहीं दूर बसा हुआ है

    बिल्‍कुल।

    जैसे पेट्रोल पम्‍प की मशीन संख्‍याओं को कटकटा रहा था हम नि:शब्‍द खड़े थे। उनकी पत्‍नी पैर घसीटते हुए निकली। उन्‍होंने अपना विशाल सफेद पर्स बाह में दबा रखा था। उन्‍होंने मुझे उस आंकने वाली दृष्टि से देखा जो हर औरत उस वक्‍त देती है जब उनके पति किसी नवयुवती से गप्‍पे लड़ाते हुए दिखते हैं।

    ये घोड़ों के नीलामी पर जा रही है? पत्‍नी ने पूछा।

    नहीं, उस वृद्ध ने कहा, ये नाट्यून जा रही है। वहाँ इसका नौकरी के लिए साक्षात्‍कार है।

    नाट्यून? वह वयस्‍क महिला ने फुफकार कर कहा, वहाँ तो मुरझाऐ हुए खेतों के सिवा कुछ भी नहीं है। अकाल ने सब कूछ नष्‍ट कर रखा है। कृषक वहाँ अपने निःसहाय पशुधन को भूखा मरने से पहले बचने के लिए आते रहते हैं। परन्‍तु पशुधन इतनी अधिक संख्‍या में होने के कारण बेचारे आखिरकार: कसाईखाने में पहूँच जाते हैं। नाट्यून के फार्म में तो कोई भी नौकरी मिलने की संभावना नहीं हैं।"

    उनके शब्‍द कठोर जरूर प्रतीत हो रहे थे परन्‍तु उनकी नीली आँखें चिंता से भर उठी जब उन्‍होंने मेरे कार के पीछे की सीट पर रखे मेरे सामान को देखा।

    मुझे एक बच्‍चे की देख-भाल करनी होगी, मैंने बताया। इस नौकरी में कमरा एवं भोजन की व्‍यवस्‍था सम्‍मलित है।

    अच्‍छा! मैं उम्‍मीद करती हूँ ऐसा हो। उस वृद्ध महिला ने कहा, क्‍योंकि उस क्षेत्र में होटल के नाम पे बहुत कुछ नहीं है। गेहूँ और गायों के अलावा वहाँ कुछ भी नहीं है।

    उस दम्‍पति ने A2 में वापस मुड़ने के लिए रास्‍ता बताया ताकी मुझे भटककर इस जगह वापस न आना पङे। जैसे ही मैंने गाड़ी निकाली, मेरा ध्‍यान लाल और श्‍वेत संकेत पर गया जिसपे लिखा था लाक्‍येर अश्‍व एवं जेनशासी की नीलामी।

    एक ज़माने में ------ नहीं। मैंने उस महत्‍वाकांक्षी विचार को मस्तिष्‍क से बाहर ठेल दिया।

    सबसे पहले मुझे एक नौकरी की तलाश करनी होगी और फिर मुझे कुछ पैसों की बचत करके एक नया मकान लेना होगा क्‍योंकि मेरी माँ के साथ रहने का विकल्‍प तो था ही नहीं, और मेरे पिता स्‍पेन तब चले गए थे जब मैं सोलह साल की थी।

    मैं टुबुम्‍बा पहूँची ठीक-ठीक वैसे ही जैसे उस बालक ने वादा किया था और फिर आस्‍ट्रेयलयन हाईवे नं 39 पर दक्षिणी-पश्चिमी दिशा की ओर अग्रसर हो गई। हाईवे सिकुड़कर दो-लेन पथ में तबदील हो गई और प्राकृतिक छवि सपाट एवं निश्चित रूप से शुष्‍क हो उठी। एक समय तो मैंने एअर कंडीशनर तक चला दिया हांलाकी बाहर इतनी गर्मी थी की ज्‍यादा फर्क न पड़ा। प्रकृति के छटा ने आश्‍वस्‍त एकरूपता बनाए रखी थी। केवल मटमैले रंग की हल्‍की सी भिन्‍नता इस बात की सूचक थी कि गेहूँ के असीम खेत, जौ और जवार के खेतों में परिवर्तीत हो चुके थे। यहाँ तक की मेरे अप्रशिक्षित आँखों के लिए इस उपजाऊ मौसम के प्रारंभ में भी फ़सल अत्‍यंत शुष्‍क लग रहे थे।

    आखिरकार मैं अपने दिए गए पते के आखिरी पढ़ाव तक पहुँच गई। मैं एक बेहद संकरे मार्ग पर मूड़ी जो कई किलोमीटर तक फैले कम घने, छोटे कद वाले पेड़ों के बीच की सीधी रेखा को चीरती हुई गुज़र रही थी, हालांकि कभी-कभी मेरी दांयी ओर पानी की झलक दिख रही थी। मैं तब तक गाड़ी चलाती रही जब तक मुझे वह कच्‍ची सड़क न दिखी जो मेरी मंजिल तक मुझे पहूँचाने वाली थी।

    एक छोटे से लकड़ी के पट्टे पर लिखा था, कोन्‍डामाईन नदी पशु-फार्म।

    उसके नीचे एक कागज़ के विज्ञापन का तख्ता जुङा हुआ था जिसमें बड़े-बड़े जामुनी रंग के अक्षरों में लिखा था —रोज़ामोंड तुम्‍हारा स्‍वागत है—

    उस चिन्‍ह के एक तरफ गुलाबी चमकीला एक सिंगा जानवर चित्रित था एवं दुसरी ओर एक परी द्वारा संरक्षित सोने के पात्र में लुप्‍त होता टेढा-मेढ़ा सा इन्‍द्रधनुष शोभा बढ़ा रहा था। मैं अपने कार से बाहर निकली। मेरे गले में एक गाँठ सी बनने लगी जब मैंने नीचे लिखे हुए बचकानी, अस्‍पष्‍ठ पाठ को पढ़ा जिसमें लाठी रूपी कुत्‍ते की आकृति के साथ लिखा था, "थन्‍डरलेन [2] से मत डरना"

    मुझे पता था उस नन्‍ही लड़की का नाम पीपा था। उसके माता-पिता का हाल ही में तलाक होने वाला था, और वह अपने पिता के साथ रहती थी जो की व्‍यापार के सिलसिले में अकसर सफ़र करते थे। इसके अतिरिक्‍त मुझे बाकी की जानकारी वहाँ पहुँचकर ही हासिल होने वाली थी।

    मैंने अपना मोबाइल फोन निकालकर उस चिन्‍ह की तस्‍वीर खींच ली। मोबा नेटवर्क का केवल एक डंडा था, अपने मित्रों को अपलोड करने के लिए प्रयाप्‍त रिसेप्‍शन भी न था, इसलिए मैंने सेव दबा दिया।

    मेरे पिता के स्‍पेन जाने के बाद किसी ने भी मुझे अभिवादन महसूस कराने के लिए इतनी फिक्र नहीं की थी। शायद ये नौकरीनुमा फिरकी इतनी भी बुरी नहीं होगी?

    जैसे ही मैंने उद्विग्न होकर पशुओं के बाङे की जाली के ऊपर एतियात से गाड़ी चलाई, वह थरथराने लगी। एक लम्‍बी कच्‍ची सड़क आच्‍छादित खेतों से घुमाकर निकल रही थी किन्‍तु सभी जगहों से भिन्‍न, वहाँ कोई गाय भी नज़र नहीं आ रही थी। आखिरकार एक विशाल सफेद अनाजघर का उभरा हुआ मध्‍य छज्‍जा दिखाई देने लगा। चारागाह की तरफ रूख करता उसका द्वार इतना विस्‍तृत था की दो-दो गाङियाँ साथ-साथ चलाई जा सकती थी।

    आंगन के उस पार एक साधारण पीला फार्म –शैली में बना घर था जो कि सफाई से कटे हुए मुरझाए कुम्‍हलाये घास, खिड़ली पर रखे खाली गमलें और अधिक बढ़े हुए बाड़ से घिरा हुआ था। जैसे ही मैं उस संकीर्ण गेट

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