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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 14)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 14)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 14)
Ebook140 pages1 hour

कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 14)

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About this ebook

विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की चौदहवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

बहुत धन्यवाद

राजा शर्मा

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateApr 11, 2018
ISBN9781370839179
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 14)
Author

Raja Sharma

Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.

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    कथा सागर - Raja Sharma

    राजा शर्मा

    www.smashwords.com

    Copyright

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 14)

    राजा शर्मा

    Copyright@2018 राजा शर्मा Raja Sharma

    Smashwords Edition

    All rights reserved

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 14)

    Copyright

    दो शब्द

    कदम तो चलिए Kadam to Chaliye

    रहस्यमय प्रकाश Rahasyamaya Prakash

    बेटा तुम्हारा शुक्रिया Beta Tumhara Shukriya

    नैतिकता का बगीचा Naitikta Ka Bageecha

    झरने का रखवाला Jharney Ka Rakhwaala

    चित या पट Chit Ya Pat

    सफलता की कहानियां Safalta Ki Kahaniyaan

    औरत रोती क्यों है Aurat Roti Kyon Hai

    डैडी कचरा उठाते हैं Daddy Kachra Uthatey Hain

    बूढ़ी माँ Boodhi Maan

    ख़ुशी की तलाश Khushi Ki Talaash

    ये संभव है Ye Sambhav Hai

    बेटे का चित्र Bete Ka Chitra

    है तो मेरी पत्नी ही Hai To Meri Patni Hi

    अमेरिकन करोड़पति (सत्य कथा) American Crorepati

    अपनी अपनी समझ Apni Apni Samajh

    कब क्या हो जाए Kab Kya Ho Jaaye

    इतने वर्षों बाद Itne Varshon Baad

    अंतिम यात्री Antim Yatree

    बचपन की बातें Bachpan Ki Batein

    तीन लाल गोलियां Teen Laal Goliyan

    अफ़ग़ानिस्तान का लड़का Afghanistan Ka Ladka

    दुष्ट शिक्षिका Dusht Shikshika

    भगवान् से बातचीत Bhagwaan Se Baatcheet

    दो शब्द

    विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

    इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की चौदहवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

    कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

    बहुत धन्यवाद

    राजा शर्मा

    कदम तो चलिए Kadam to Chaliye

    बहुत समय पहले, चार कुष्टरोगी समारिआ शहर के मुख्य द्वार पर बैठा करते थे और भीख मांगा करते थे. सभी लोग उनको देखते थे और उनसे सहानुभूति रखते थे. आने जाने वाले प्रत्येक १०० लोगों में से १० तो उन कुष्टरोगियों के कटोरों में सिक्के डाल ही देते थे.

    एक समय ऐसा भी आया जब उनके पडोसी देश की फौजों ने समारिआ शहर को अपने घेरे में ले लिया और सभी रास्ते बंद कर दिए.

    समारिआ में चीज़ों का अकाल हो गया और भुखमरी फ़ैल गयी. किसी भी आने जाने वाले के पास उन कुष्टरोगियों को देने के लिए पैसे नहीं थे. बेचारे कुष्टरोगियों के लिए पेट भरना बहुत मुश्किल हो गया.

    एक दिन वो चारों कुष्टरोगी आपस में अपनी स्तिथि के बारे में चिंतन करने लगे. एक कुष्टरोगी ने कहा, मृत्यु हमारे बहुत पास है. क्या हम भूख के कारण मर जाएंगे?

    दूसरे कुष्टरोगी ने कहा, "मेरे विचार में हमको शत्रुओं के ठिकानो की तरफ जाना चाहिए और भीख मांगनी चाहिए.

    वो लोग जब ये देखेंगे के हम तो कुष्टरोगी हैं, वो हमारे ऊपर दया करेंगे और कुछ दे देंगे, और अगर वो हमको मार भी देते हैं तो तलवार से मरना भूख से मरने से तो अच्छा ही होगा.

    काफी समय तक बात चीत करने के बाद उन चारों कुष्टरोगियों ने अपने शत्रु, अस्सीरिएंस, के कैम्पों की तरफ जाने का निर्णय लिया.

    जब वो चारों कुष्टरोगी शत्रुओं के कैम्पों की तरफ बढ़ रहे थे, भगवान् ने उनके क़दमों की आवाज़ों को घोड़ों और रथों की आवाज़ों में परिवर्तित कर दिया.

    अस्सीरिएंस फौजियों ने आवाजें सुनकर सोचा के एक बहुत बड़ी सेना उनकी तरफ बढ़ रही थी. वो सब कुछ पीछे छोड़कर वहां से भाग गए.

    उन कुष्टरोगियों को छोड़ कर गए सामान में हीरे, मोती, सोने के सिक्के, और बहुत सी बहुमूल्य वस्तुएं प्राप्त हुई. उनको आभास हो गया के अब वो जीवन भर शान से रह सकते थे. वो सब सामान उठा कर समारिआ ले आये और अपने घरों में रख दिया.

    खूब अच्छे से खाने पीने के बाद, उन चारों कुष्टरोगियों ने राजा के महल में जाकर राजा को बता दिया के कैसे उन्होंने समारिआ को शत्रुओं से बचा लिया था.

    राजा ने देखा के चार कुष्टरोगियों ने जोखिम उठा कर कदम उठाया था और देश को बचा लिया था. राजा ने उन चारों कुष्टरोगियों के उपचार के लिए शाही वैद्यों की व्यवस्था कर दी.

    कुछ महीनो में उन चारों का कुष्ट रोग समाप्त हो गया और वो राजा के सलाहकार बन गए और सुखमय जीवन बिताने लगे.

    इतनी दयनीय अवस्था में होते हुए भी उन्होंने साहस का परिचय दिया था और स्वयं को और अपने देश को भी बचा लिया था. भगवान् ने भी उनका साथ दिया था.

    मित्रों,

    जब जीवन पर आ पड़े और कोई भी रास्ता ना हो, या व्यापार में क्षति हो जाए और कोई भी रास्ता ना हो तो साहसी कदम उठा ही लेने चाहिए, क्योंकि अंत तो होने ही वाला होता है तो क्यों न साहस करके सामना किया जाए और भविष्य को अच्छा बनाया जाए.

    अगर करना ही है तो अभी ही कदम उठाइये और आगे बढिये. अभी अगर आप कोई भी काम शुरू करते हैं और साहस दिखाते हैं तो परिणाम अच्छे ही होंगे.

    रहस्यमय प्रकाश Rahasyamaya Prakash

    बहुत समय पहले एक पहाड़ पर दो भिक्षु एक साथ जुडी हुई अलग अलग गुफाओं में रहते थे. वो दोनों भिक्षु अपना अधिकांश समय समाधि में लीन रहकर बिताते थे. वो अपनी समाधि सिर्फ खाना खाने के लिए और आये हुए लोगों से मिलने के लिए ही तोड़ते थे.

    उनको मिलने के लिए आने वाले लोग उन दोनों भिक्षुओं का बहुत सम्मान करते थे और शांति से बैठ कर उनके उपदेश सुनते थे. उन भिक्षुओं के सामने बैठ कर लोगों को

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