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Ebook53 pages28 minutes

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About this ebook

श्रीकृष्ण कुमार पाठक
जन्म: 19 जनवरी 1941, जिला गढ़वा झारखण्ड में
शिक्षा: स्नातक, राजनीति शास्त्र में प्रतिष्ठा
लेखन-प्रकाशन: कई पत्र-पत्रिकाओं में कविता, कहानी, लघुकथा, व्यंग्य आदि रचनाएँ प्रकाशित। प्रथम लघुकथा संग्रह ‘टुकड़ा-टुकड़ा आदमी’ एवं कविता संग्रह ‘शब्द्बीज’ प्रकाशित। कविता, कहानी एवं बाल कहानी के लिए पुरस्कृत, जिला स्तरीय सम्पूर्ण लेखन के लिए बिबन देवी पुरस्कार से सम्मानित।
केंद्र सरकार के रक्षा लेखा विभाग से सेवानिवृत
संपर्क: सन्डे मार्केट रोड, टाउन घर के निकट, रातू, राँची- 835222 (झारखण्ड)
श्रीकृष्ण कुमार पाठक
जन्म: 19 जनवरी 1941, जिला गढ़वा झारखण्ड में
शिक्षा: स्नातक, राजनीति शास्त्र में प्रतिष्ठा
लेखन-प्रकाशन: कई पत्र-पत्रिकाओं में कविता, कहानी, लघुकथा, व्यंग्य आदि रचनाएँ प्रकाशित। प्रथम लघुकथा संग्रह ‘टुकड़ा-टुकड़ा आदमी’ एवं कविता संग्रह ‘शब्द्बीज’ प्रकाशित। कविता, कहानी एवं बाल कहानी के लिए पुरस्कृत, जिला स्तरीय सम्पूर्ण लेखन के लिए बिबन देवी पुरस्कार से सम्मानित।
केंद्र सरकार के रक्षा लेखा विभाग से सेवाश्रीकृष्ण कुमार पाठक
जन्म: 19 जनवरी 1941, जिला गढ़वा झारखण्ड में
शिक्षा: स्नातक, राजनीति शास्त्र में प्रतिष्ठा
लेखन-प्रकाशन: कई पत्र-पत्रिकाओं में कविता, कहानी, लघुकथा, व्यंग्य आदि रचनाएँ प्रकाशित। प्रथम लघुकथा संग्रह ‘टुकड़ा-टुकड़ा आदमी’ एवं कविता संग्रह ‘शब्द्बीज’ प्रकाशित। कविता, कहानी एवं बाल कहानी के लिए पुरस्कृत, जिला स्तरीय सम्पूर्ण लेखन के लिए बिबन देवी पुरस्कार से सम्मानित।
केंद्र सरकार के रक्षा लेखा विभाग से सेवानिवृत
संपर्क: सन्डे मार्केट रोड, टाउन घर के निकट, रातू, राँची- 835222 (झारखण्ड)
निवृत
संपर्क: सन्डे मार्केट रोड, टाउन घर के निकट, रातू, राँची- 835222 (झारखण्ड)

Languageहिन्दी
Release dateApr 11, 2018
ISBN9781370990504
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Author

वर्जिन साहित्यपीठ

सम्पादक के पद पर कार्यरत

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    यहाँ सलाह मुफ्त में मिलती है - वर्जिन साहित्यपीठ

    प्रकाशक

    वर्जिन साहित्यपीठ

    78ए, अजय पार्क, गली नंबर 7, नया बाजार,

    नजफगढ़, नयी दिल्ली 110043

    सर्वाधिकार सुरक्षित

    प्रथम संस्करण - अप्रैल 2018

    ISBN 978-13-70990-50-4

    कॉपीराइट © 2018

    वर्जिन साहित्यपीठ

    कॉपीराइट

    इस प्रकाशन में दी गई सामग्री कॉपीराइट के अधीन है। इस प्रकाशन के किसी भी भाग का, किसी भी रूप में, किसी भी माध्यम से - कागज या इलेक्ट्रॉनिक - पुनरुत्पादन, संग्रहण या वितरण तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक वर्जिन साहित्यपीठ द्वारा अधिकृत नहीं किया जाता।

    यहाँ सलाह

    मुफ्त में मिलती है

    (लघुकथा संग्रह)

    लेखक

    श्रीकृष्ण कुमार पाठक

    श्रीकृष्ण कुमार पाठक

    जन्म: 19 जनवरी 1941, जिला गढ़वा झारखण्ड में

    शिक्षा: स्नातक, राजनीति शास्त्र में प्रतिष्ठा

    लेखन-प्रकाशन: कई पत्र-पत्रिकाओं में कविता, कहानी, लघुकथा, व्यंग्य आदि रचनाएँ प्रकाशित। प्रथम लघुकथा संग्रह टुकड़ा-टुकड़ा आदमीएवं कविता संग्रह शब्द्बीजप्रकाशित। कविता, कहानी एवं बाल कहानी के लिए पुरस्कृत, जिला स्तरीय सम्पूर्ण लेखन के लिए बिबन देवी पुरस्कार से सम्मानित।

    केंद्र सरकार के रक्षा लेखा विभाग से सेवानिवृत

    संपर्क: सन्डे मार्केट रोड, टाउन घर के निकट, रातू, राँची- 835222 (झारखण्ड)

    shrikkpathak@gmail।com

    कलाकार

    वे हाथ में दो फूल ले आये, बोले, ‘‘पहचानो, इनमें असली कौन है?"

    मैंने बारी-बारी से दोनों फूलों को छूकर देखा। उनमें एक असली था, दूसरा नकली- कागज़ का फूल था। दोनों फूल समान रूप से सुन्दर दिख रहे थे।

    यह असली है। मैं बोला।

    और दोनों फूलों में अधिक सुन्दर कौन-सा है? मैंने कागज़ के फूल की ओर इशारा कर दिया।

    क्यों?

    क्यों? जैसे सवाल न पूछा जाकर जवाब तलब किया जा रहा हो। मैं कुढ़कर रह गया, बोला, इसलिए कि इसमें कलाकार ने आत्मा जड़ दी है।

    और उसमें?

    मैं नहीं जानता कि उसे किसने बनाया। मैं न तो उसके कलाकार को जानता हूँ, न ही उसकी आत्मा को। इसलिए यही फूल मेरी दृष्टि में अधिक सुन्दर है। कोई और प्रश्न?

    नहीं। वे बोले और दोनों फूलों को ले जाकर मेरे गुलदस्ते में सजा गए।

    दो दिनों बाद गुलाब के उस फूल की पंखुडियां झड़ गई थीं। उसका सूखा डंठल अभी भी गुलदस्ते में पड़ा था। नौकर आया और सूखे डंठल को गुलदस्ते से निकाल कर बाहर फ़ेंक गया। अब वह अकेला कागज़ का फूल पहले की अपेक्षा कहीं अधिक सुन्दर दिख रहा था।

    मैं उनकी अज्ञानता पर मुस्कुराया। मुझे यूं मुस्कुराता

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