Discover millions of ebooks, audiobooks, and so much more with a free trial

Only $11.99/month after trial. Cancel anytime.

कुछ एहसास लिखे हैं
कुछ एहसास लिखे हैं
कुछ एहसास लिखे हैं
Ebook119 pages1 hour

कुछ एहसास लिखे हैं

Rating: 0 out of 5 stars

()

Read preview

About this ebook

अभी तो सुबह के ८-३० हुए थे। जल्दी तैयार होकर नित्या एक्स्ट्रा क्लास के लिए अपनी कार लेकर निकल ही रही थी कि रीमा आंटी और उनकी बड़ी बहू सब्जी ले रहे थे, उनको 'गुड़ मोर्निग' कहकर बातें करने खड़ी रही।
‘क्यों आज जल्दी जा रही हो?’
‘हाँ, ट्राफीक की वजह से पहूचने में शायद देर हो जाये, एक्स्ट्रा क्लास ऐटेन्ड करनी है'
'अब ओर कितना पढोगी? शादी करनी है कि नहीं?'
अभी तो सुबह के ८-३० हुए थे। जल्दी तैयार होकर नित्या एक्स्ट्रा क्लास के लिए अपनी कार लेकर निकल ही रही थी कि रीमा आंटी और उनकी बड़ी बहू सब्जी ले रहे थे, उनको 'गुड़ मोर्निग' कहकर बातें करने खड़ी रही।
‘क्यों आज जल्दी जा रही हो?’
‘हाँ, ट्राफीक की वजह से पहूचने में शायद देर हो जाये, एक्स्ट्रा क्लास ऐटेन्ड करनी है'
'अब ओर कितना पढोगी? शादी करनी है कि नहीं?'
अभी तो सुबह के ८-३० हुए थे। जल्दी तैयार होकर नित्या एक्स्ट्रा क्लास के लिए अपनी कार लेकर निकल ही रही थी कि रीमा आंटी और उनकी बड़ी बहू सब्जी ले रहे थे, उनको 'गुड़ मोर्निग' कहकर बातें करने खड़ी रही।
‘क्यों आज जल्दी जा रही हो?’
‘हाँ, ट्राफीक की वजह से पहूचने में शायद देर हो जाये, एक्स्ट्रा क्लास ऐटेन्ड करनी है'
'अब ओर कितना पढोगी? शादी करनी है कि नहीं?'
अभी तो सुबह के ८-३० हुए थे। जल्दी तैयार होकर नित्या एक्स्ट्रा क्लास के लिए अपनी कार लेकर निकल ही रही थी कि रीमा आंटी और उनकी बड़ी बहू सब्जी ले रहे थे, उनको 'गुड़ मोर्निग' कहकर बातें करने खड़ी रही।
‘क्यों आज जल्दी जा रही हो?’
‘हाँ, ट्राफीक की वजह से पहूचने में शायद देर हो जाये, एक्स्ट्रा क्लास ऐटेन्ड करनी है'
'अब ओर कितना पढोगी? शादी करनी है कि नहीं?'
अभी तो सुबह के ८-३० हुए थे। जल्दी तैयार होकर नित्या एक्स्ट्रा क्लास के लिए अपनी कार लेकर निकल ही रही थी कि रीमा आंटी और उनकी बड़ी बहू सब्जी ले रहे थे, उनको 'गुड़ मोर्निग' कहकर बातें करने खड़ी रही।
‘क्यों आज जल्दी जा रही हो?’
‘हाँ, ट्राफीक की वजह से पहूचने में शायद देर हो जाये, एक्स्ट्रा क्लास ऐटेन्ड करनी है'
'अब ओर कितना पढोगी? शादी करनी है कि नहीं?'
अभी तो सुबह के ८-३० हुए थे। जल्दी तैयार होकर नित्या एक्स्ट्रा क्लास के लिए अपनी कार लेकर निकल ही रही थी कि रीमा आंटी और उनकी बड़ी बहू सब्जी ले रहे थे, उनको 'गुड़ मोर्निग' कहकर बातें करने खड़ी रही।
‘क्यों आज जल्दी जा रही हो?’
‘हाँ, ट्राफीक की वजह से पहूचने में शायद देर हो जाये, एक्स्ट्रा क्लास ऐटेन्ड करनी है'
'अब ओर कितना पढोगी? शादी करनी है कि नहीं?'

अभी तो सुबह के ८-३० हुए थे। जल्दी तैयार होकर नित्या एक्स्ट्रा क्लास के लिए अपनी कार लेकर निकल ही रही थी कि रीमा आंटी और उनकी बड़ी बहू सब्जी ले रहे थे, उनको 'गुड़ मोर्निग' कहकर बातें करने खड़ी रही।
‘क्यों आज जल्दी जा रही हो?’
‘हाँ, ट्राफीक की वजह से पहूचने में शायद देर हो जाये, एक्स्ट्रा क्लास ऐटेन्ड करनी है'
'अब ओर कितना पढोगी? शादी करनी है कि नहीं?'
अभी तो सुबह के ८-३० हुए थे। जल्दी तैयार होकर नि

Languageहिन्दी
Release dateApr 11, 2018
ISBN9781370475407
कुछ एहसास लिखे हैं
Author

वर्जिन साहित्यपीठ

सम्पादक के पद पर कार्यरत

Read more from वर्जिन साहित्यपीठ

Related to कुछ एहसास लिखे हैं

Related ebooks

Reviews for कुछ एहसास लिखे हैं

Rating: 0 out of 5 stars
0 ratings

0 ratings0 reviews

What did you think?

Tap to rate

Review must be at least 10 words

    Book preview

    कुछ एहसास लिखे हैं - वर्जिन साहित्यपीठ

    Enjoying the preview?
    Page 1 of 1