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काव्य मञ्जूषा (काव्य संकलन)
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Ebook42 pages17 minutes

काव्य मञ्जूषा (काव्य संकलन)

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About this ebook

मरद अब दूसरी औरत ले आया है
मिथिलेश कुमार राय

मरद अब दूसरी औरत ले आया है
पहली औरत
पाँच बेटियाँ जनने के बाद
दरवाजे पर बँधी पशुओँ संग
अपना दिल लगाने लगी है
मरद जब भी उसे टोकता है
उसकी आवाज कर्कश होती है
एक छोटे से वाक्य मेँ
कई तरह की भद्दी गालियाें मेँ
मरद उसे रोज बताता है
कि उसकी किस्मत कितनी फूटी हुई है

यह सब देखती-सुनती पहली औरत
चुपचुप अपना माथा धुनती रहती है
और विधाता को कोसती रहती है
लोगोँ ने उसे कुछ भी बोलते बहुत कम सुना है
रोते बहुत देखा है

मरद अब दूसरी औरत ले आया है
मिथिलेश कुमार राय

मरद अब दूसरी औरत ले आया है
पहली औरत
पाँच बेटियाँ जनने के बाद
दरवाजे पर बँधी पशुओँ संग
अपना दिल लगाने लगी है
मरद जब भी उसे टोकता है
उसकी आवाज कर्कश होती है
एक छोटे से वाक्य मेँ
कई तरह की भद्दी गालियाें मेँ
मरद उसे रोज बताता है
कि उसकी किस्मत कितनी फूटी हुई है

यह सब देखती-सुनती पहली औरत
चुपचुप अपना माथा धुनती रहती है
और विधाता को कोसती रहती है
लोगोँ ने उसे कुछ भी बोलते बहुत कम सुना है
रोते बहुत देखा है

Languageहिन्दी
Release dateApr 23, 2018
ISBN9781370254408
काव्य मञ्जूषा (काव्य संकलन)
Author

वर्जिन साहित्यपीठ

सम्पादक के पद पर कार्यरत

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    काव्य मञ्जूषा (काव्य संकलन) - वर्जिन साहित्यपीठ

    प्रकाशक

    वर्जिन साहित्यपीठ

    78ए, अजय पार्क, गली नंबर 7, नया बाजार,

    नजफगढ़, नयी दिल्ली 110043

    sonylalit@gmail.com; 9868429241

    सर्वाधिकार सुरक्षित

    प्रथम संस्करण - अप्रैल 2018

    ISBN

    कॉपीराइट © 2018

    वर्जिन साहित्यपीठ

    कॉपीराइट

    इस प्रकाशन में दी गई सामग्री कॉपीराइट के अधीन है। इस प्रकाशन के किसी भी भाग का, किसी भी रूप में, किसी भी माध्यम से - कागज या इलेक्ट्रॉनिक - पुनरुत्पादन, संग्रहण या वितरण तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक वर्जिन साहित्यपीठ द्वारा अधिकृत नहीं किया जाता।

    काव्य मञ्जूषा

    (काव्य संकलन)

    संपादन मंडल

    ललित मिश्र और ममता शुक्ला

    समर्पण

    स्वर्गीय श्री ताराकांत मिश्र

    श्रीमती मंजुला मिश्र

    श्रीमती सोनी मिश्र

    उत्कर्ष मिश्र

    मरद अब दूसरी औरत ले आया है

    मिथिलेश कुमार राय

    मरद अब दूसरी औरत ले आया है

    पहली औरत

    पाँच बेटियाँ जनने के बाद

    दरवाजे पर बँधी पशुओँ संग

    अपना दिल लगाने लगी है

    मरद जब भी उसे टोकता है

    उसकी आवाज कर्कश होती है

    एक छोटे से वाक्य मेँ

    कई तरह की भद्दी गालियाें मेँ

    मरद उसे रोज बताता है

    कि उसकी किस्मत कितनी फूटी हुई है

    यह सब देखती-सुनती पहली औरत

    चुपचुप अपना माथा धुनती रहती है

    और विधाता को कोसती रहती है

    लोगोँ ने उसे कुछ भी बोलते बहुत कम सुना है

    रोते बहुत देखा है

    दूसरी औरत गर्भ धारण नहीँ करती

    जैसे ही उसका मासिक ठहरता है

    वह अजीब-अजीब हरकतेँ करने लगती है

    जैसे वह अपने खाने मेँ

    तीखी

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