Cheekhati Aawazein
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About this ebook
प्रस्तुत काव्य-संग्रह 'चीख़ती आवाज़ें' उन दबी हुई संवेदनाओं का अनुभव मात्र है जिसे कवि ने अपने जीवन के दौरान प्रत्येक क्षण महसूस किया। हम अपने चारों ओर निरंतर ही एक ध्वनि विस्तारित होने का अनुभव करते हैं परन्तु जिंदगी की चकाचौंध में इसे अनदेखा करना हमारा स्वभाव बनता जा रहा है। ये ध्वनियाँ केवल ध्वनिमात्र ही नहीं बल्कि समय की दरकार है। मानवमात्र की चेतना जागृत करने का शंखनाद है। यही उद्घोषणा जब धरातल पर आने की इच्छा प्रकट करती है तब कलम से स्वतः ही संवेदनायें शब्दों के रूप में एक 'चलचित्र' की भाँति प्रस्फुटित होने लगती हैं और मानवसमाज से एक अपेक्षा रखती है कि इन मृतप्राय हो चुके संवेदनाओं को पुनर्जीवित होने का वरदान मिले। प्राकृतिक संसाधनों का ध्रुवीकरण आज एक वृहत्त समस्या बनती जा रही है। हम अपने स्वार्थ के वशीभूत, नैतिक मूल्यों की निरंतर अवहेलना करते चले जा रहे हैं। एक तबका और अधिक धनवान होने की दौड़ में भाग रहा है जबकि दूसरा तबका निर्धन से अतिनिर्धनता की दिशा में अग्रसर है। संसाधनों का ध्रुवीकरण इसका मूल कारण है। एक तरफ 'मज़दूर' और दूसरी तरफ 'स्त्री' दोनों की दशा और दिशा आज समाज में सोचनीय है। 'चीख़ती आवाज़ें' काव्य-संग्रह में संकलित सभी रचनायें किसी न किसी 'भाव' में मानवसमाज में फैले असमानता का प्रखर विरोध करतीं हैं।
Dhruv Singh 'Eklavya'
जन्म : १९८७ वाराणसी के एक मध्यमवर्गीय 'कृषक' परिवार में। शिक्षा : विज्ञान परास्नातक,अणु एवं कोशिका आनुवंशिकी विज्ञान में विशेष दक्षता। साहित्यिक जीवन : काशीहिंदू विश्वविद्यालय में छात्र जीवन के दौरान प्रथम रचना 'बेपरवाह क़ब्रें' से साहित्यिक यात्रा का आरम्भ। अबतक कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित। वर्तमान में 'एकलव्य' और 'लोकतंत्र' संवाद मंच नामक ब्लॉगों का संचालन https://kalprerana.blogspot.in, https://loktantrasanvad.blogspot.in
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Book preview
Cheekhati Aawazein - Dhruv Singh 'Eklavya'
पुस्तक
चीख़ती आवाज़ें
लेखक
ध्रुव सिंह ‘एकलव्य’
eISBN
978-93-87856-80-6
प्रकाशक
प्राची डिजिटल पब्लिकेशन
386/2, सुभाष नगर, मेरठ, उत्तर प्रदेश – 250001, भारत
वेबसाईट : www.prachidigital.in
ई-मेल : info@prachidigital.in
सम्पर्क सूत्र : +91-9760-417-980
COPYRIGHT NOTICE
उपरोक्त कविता संग्रह में प्रकाशित सभी रचनाओं के कॉपीराइट एवं पुन: प्रकाशन अधिकार लेखक ध्रुव सिंह ‘एकलव्य’ के पास सुरक्षित है, इसलिए कोई भी व्यक्ति या संस्थान इस पुस्तक से किसी भी रचना को तोड़-मरोड़कर, कोई भी आंशिक या पूर्णरूप से या अन्य भाषा में प्रकाशित करने का प्रयास करता है तो वह कानूनी रूप से हर्जे-खर्चे व हानि का जिम्मेदार होगा।
प्रकाशकीय
ध्रुव सिंह ‘एकलव्य’ जी को उनके प्रथम काव्य-संग्रह ‘चीख़ती आवाज़ें’ के प्रकाशन के लिए शुभकामनाएं और उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं। एक लेखक के लिए उसकी पहली पुस्तक बहुत ही मायने रखती है। ‘एकलव्य’ जी ने भी अपने प्रथम काव्य-संग्रह को लेकर हमारे साथ कई बार विचार-विमर्श किया, कई बदलाव और परीक्षण के पश्चात अब यह काव्य-संग्रह आपके हाथ में है।
लेखन की बात करें तो ‘एकलव्य’ जी का लेखन बहुत ही सुलझा और सरल भाषा में है। उन्होंने समाज के गंभीर मुद्दों को कविताओं के माध्यम से बखूबी पेश किया है। उनकी कविताओं को पढ़कर ऐसा महसूस होता है कि जैसे उस घटना का साक्षात वर्णन हो रहा हो। अंत में हम इतना कहना चाहेंगे कि ‘एकलव्य’ जी का शब्द संयोजन बेहतरीन है।
-प्रकाशक