मेरी कलम रो रही है (काव्य संग्रह)
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"मेरी कलम रो रही है" कविता संग्रह प्रस्तुत करते हुए मुझे अतीव प्रसन्नता हो रही है। मेरी ये कविताएँ साहित्य के हर पहलू को छूती हुई मानव चेतना को पुष्ट करती जाती हैं। जहाँ सागर की विशालता हो, वहाँ एक बूंद के रूप में स्मृतियों में अंकित चंद भावनाओं को उकेर कर मैं आशा करता हूँ कि मेरे आत्म विश्वास का यह तुहिन कण भी सागर की अनंत धाराओं में शनै शनै चलते रहने का विश्वास न खोएगा !
"मेरी कलम रो रही है " को वर्जिन साहित्यपीठ ने प्रकाशन हेतु आमंत्रित किया है। मैं ललित मिश्र महोदय के प्रति आभारी हूँ जिनका मार्गदर्शन नवलेखन के लिए प्रसाद बना हुआ है !
"मेरी कलम रो रही है" कविता संग्रह प्रस्तुत करते हुए मुझे अतीव प्रसन्नता हो रही है। मेरी ये कविताएँ साहित्य के हर पहलू को छूती हुई मानव चेतना को पुष्ट करती जाती हैं। जहाँ सागर की विशालता हो, वहाँ एक बूंद के रूप में स्मृतियों में अंकित चंद भावनाओं को उकेर कर मैं आशा करता हूँ कि मेरे आत्म विश्वास का यह तुहिन कण भी सागर की अनंत धाराओं में शनै शनै चलते रहने का विश्वास न खोएगा !
"मेरी कलम रो रही है " को वर्जिन साहित्यपीठ ने प्रकाशन हेतु आमंत्रित किया है। मैं ललित मिश्र महोदय के प्रति आभारी हूँ जिनका मार्गदर्शन नवलेखन के लिए प्रसाद बना हुआ है !
"मेरी कलम रो रही है" कविता संग्रह प्रस्तुत करते हुए मुझे अतीव प्रसन्नता हो रही है। मेरी ये कविताएँ साहित्य के हर पहलू को छूती हुई मानव चेतना को पुष्ट करती जाती हैं। जहाँ सागर की विशालता हो, वहाँ एक बूंद के रूप में स्मृतियों में अंकित चंद भावनाओं को उकेर कर मैं आशा करता हूँ कि मेरे आत्म विश्वास का यह तुहिन कण भी सागर की अनंत धाराओं में शनै शनै चलते रहने का विश्वास न खोएगा !
"मेरी कलम रो रही है " को वर्जिन साहित्यपीठ ने प्रकाशन हेतु आमंत्रित किया है। मैं ललित मिश्र महोदय के प्रति आभारी हूँ जिनका मार्गदर्शन नवलेखन के लिए प्रसाद बना हुआ है !
वर्जिन साहित्यपीठ
सम्पादक के पद पर कार्यरत
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मेरी कलम रो रही है (काव्य संग्रह) - वर्जिन साहित्यपीठ
प्रकाशक
वर्जिन साहित्यपीठ
78ए, अजय पार्क, गली नंबर 7, नया बाजार,
नजफगढ़, नयी दिल्ली 110043
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रथम संस्करण - मई 2018
ISBN
कॉपीराइट © 2018
वर्जिन साहित्यपीठ
कॉपीराइट
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मेरी कलम रो रही है
(काव्य संग्रह)
कवि
रूपेश कुमार
अपनी बात
मेरी कलम रो रही है
कविता संग्रह प्रस्तुत करते हुए मुझे अतीव प्रसन्नता हो रही है। मेरी ये कविताएँ साहित्य के हर पहलू को छूती हुई मानव चेतना को पुष्ट