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एक दिन सभी स्त्रियाँ नग्न हो जाएंगी
एक दिन सभी स्त्रियाँ नग्न हो जाएंगी
एक दिन सभी स्त्रियाँ नग्न हो जाएंगी
Ebook77 pages22 minutes

एक दिन सभी स्त्रियाँ नग्न हो जाएंगी

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एक दिन सभी स्त्रियाँ नग्न हो जाएंगी
तुम जानते हो
स्त्रियों को अपनी देह से प्रेम होता है
उनकी जान उनकी देह में ही होती है
इसीलिए वे इसे सजाती सँवारती
और सलीके से ज़ाहिर करती हैं
वे कभी भी पूर्णतः नग्न नहीं होतीं

एक दिन सभी स्त्रियाँ नग्न हो जाएंगी
तुम जानते हो
स्त्रियों को अपनी देह से प्रेम होता है
उनकी जान उनकी देह में ही होती है
इसीलिए वे इसे सजाती सँवारती
और सलीके से ज़ाहिर करती हैं
वे कभी भी पूर्णतः नग्न नहीं होतीं

एक दिन सभी स्त्रियाँ नग्न हो जाएंगी
तुम जानते हो
स्त्रियों को अपनी देह से प्रेम होता है
उनकी जान उनकी देह में ही होती है
इसीलिए वे इसे सजाती सँवारती
और सलीके से ज़ाहिर करती हैं
वे कभी भी पूर्णतः नग्न नहीं होतीं

Languageहिन्दी
Release dateMay 8, 2018
ISBN9780463427477
एक दिन सभी स्त्रियाँ नग्न हो जाएंगी
Author

वर्जिन साहित्यपीठ

सम्पादक के पद पर कार्यरत

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    Book preview

    एक दिन सभी स्त्रियाँ नग्न हो जाएंगी - वर्जिन साहित्यपीठ

    प्रकाशक

    वर्जिन साहित्यपीठ

    78ए, अजय पार्क, गली नंबर 7, नया बाजार,

    नजफगढ़, नयी दिल्ली 110043

    सर्वाधिकार सुरक्षित

    प्रथम संस्करण - मई 2018

    ISBN

    कॉपीराइट © 2018

    वर्जिन साहित्यपीठ

    कॉपीराइट

    इस प्रकाशन में दी गई सामग्री कॉपीराइट के अधीन है। इस प्रकाशन के किसी भी भाग का, किसी भी रूप में, किसी भी माध्यम से - कागज या इलेक्ट्रॉनिक - पुनरुत्पादन, संग्रहण या वितरण तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक वर्जिन साहित्यपीठ द्वारा अधिकृत नहीं किया जाता।

    एक दिन सभी स्त्रियाँ नग्न हो जाएंगी

    ललित कुमार मिश्र

    ललित कुमार मिश्र

    साहित्यिक उपनाम

    विदेह निर्मोही, सोनीललित, प्रकृति नवरंग

    9868429241 sonylalit@gmail.com

    जन्मस्थान: बिहार

    जन्मतिथि: 16 मार्च 1976

    शिक्षा: स्नातक, राजधानी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय

    विधाएं: कविता, लघुकथा

    एक दिन सभी स्त्रियाँ नग्न हो जाएंगी

    तुम जानते हो

    स्त्रियों को अपनी देह से प्रेम होता है

    उनकी जान उनकी देह में ही होती है

    इसीलिए वे इसे सजाती सँवारती

    और सलीके से ज़ाहिर करती हैं

    वे कभी भी पूर्णतः नग्न नहीं होतीं

    तुम फिर भी उसकी मर्जी के बिना

    बार-बार उसकी देह कब्जाते हो

    उसपर महाभारत रच जाते हो

    पर क्या कभी तुमने सोचा है

    अगर उनका देह प्रेम खत्म हो जाए

    उन्हें नग्न होने में आनंद मिलने लग जाए

    देह की भूख उनमें भी जग जाए

    और वे भी नित नई देह पर

    महाभारत रचने लग जाए

    तुम चंद सेकंड भी नहीं टिक पाओगे

    दस दस मिलकर भी उसकी भूख नहीं मिटा पाओगे

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