घमंडी सियार व अन्य कहानियाँ (बालकथा संग्रह)
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खुशियां जब मिलती हैं, तो मन को लुभाती है। ये हरेक चीज से मिल सकती है। किसी से मिलने पर खुशी मिलती है। कभी सम्मान मिलने पर हम इसे प्राप्त करते हैं। कभी पुस्तक छपने पर मन प्रफुल्लित हो जाता है। कभी कोई रिश्ता बन जाता है तो मन खुशियों से भर जाता है। ये सब खुशियां प्राप्ति करने के रास्ते हैं। जो जानेअनजाने हमें प्राप्त होते हैं।
बहुत अच्छा लगता है जब अच्छे-अच्छे काम होते हैं। अच्छेअच्छे लोग मिलते हैं। उन से हम प्रेरित होते हैं। छोटीछोटी सफलताएं हमें लुभाती है। किसी की बधाई और शुभकामनाएं हमें प्रेरित करती है। यही सब बातें हमें खुशियों से भर देती है। बस? इन्हें प्राप्त करने की कला और इन्हें मनाने का मन होना चाहिए।
खुशियां जब मिलती हैं, तो मन को लुभाती है। ये हरेक चीज से मिल सकती है। किसी से मिलने पर खुशी मिलती है। कभी सम्मान मिलने पर हम इसे प्राप्त करते हैं। कभी पुस्तक छपने पर मन प्रफुल्लित हो जाता है। कभी कोई रिश्ता बन जाता है तो मन खुशियों से भर जाता है। ये सब खुशियां प्राप्ति करने के रास्ते हैं। जो जानेअनजाने हमें प्राप्त होते हैं।
बहुत अच्छा लगता है जब अच्छे-अच्छे काम होते हैं। अच्छेअच्छे लोग मिलते हैं। उन से हम प्रेरित होते हैं। छोटीछोटी सफलताएं हमें लुभाती है। किसी की बधाई और शुभकामनाएं हमें प्रेरित करती है। यही सब बातें हमें खुशियों से भर देती है। बस? इन्हें प्राप्त करने की कला और इन्हें मनाने का मन होना चाहिए।
वर्जिन साहित्यपीठ
सम्पादक के पद पर कार्यरत
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घमंडी सियार व अन्य कहानियाँ (बालकथा संग्रह) - वर्जिन साहित्यपीठ
प्रकाशक
वर्जिन साहित्यपीठ
78ए, अजय पार्क, गली नंबर 7, नया बाजार,
नजफगढ़, नयी दिल्ली 110043
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रथम संस्करण - मई 2018
ISBN
कॉपीराइट © 2018
वर्जिन साहित्यपीठ
कॉपीराइट
इस प्रकाशन में दी गई सामग्री कॉपीराइट के अधीन है। इस प्रकाशन के किसी भी भाग का, किसी भी रूप में, किसी भी माध्यम से - कागज या इलेक्ट्रॉनिक - पुनरुत्पादन, संग्रहण या वितरण तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक वर्जिन साहित्यपीठ द्वारा अधिकृत नहीं किया जाता।
घमंडी सियार व अन्य कहानियाँ
(बालकथा संग्रह)
लेखक
ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"
ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’
09424079675 opkshatriya@gmail।com
जन्म दिनांक: 26 जनवरी 1965
शिक्षा: 5 विषय में एम ए, पत्रकारिता, कहानी-कला, लेख-रचना, फ़ीचर एजेंसी का संचालन में पत्रोपाधि
व्यवसाय: सहायक शिक्षक
लेखन: बालकहानी, लघुकथा, लेख व कविता
उपलब्धि: 111 बालकहानियों का 8 भाषा में प्रकाशन व अनेक कहानियां विभिन्न पत्रपत्रिकाओं में प्रकाशित
प्रकाशित पुस्तकें:
लेखकोपयोगीसूत्रव100पत्रपत्रिकाएं(कहानीलेखनमहाविद्यालयद्वाराप्रकाशित)
कुएंकोबुखार
आसमानीआफत
कौनसारंगअच्छाहै?
कांव-कांवकाभूत
बच्चों!सुनोंकहानी
गुलदस्ता(लघुकथासंग्रह)
पुरस्कार:
इंद्रदेवसिंहइंद्रबालसाहित्यसम्मान-2017
स्वतंत्रतासैनानीओंकारलालशास्त्रीसम्मान-2017
बालशौरिरेड्डीबालसाहित्यसम्मान- 2015
विकासखंडस्तरीयकहानीप्रतियोगितामेंद्वितीय2017
लघुकथामेंजयविजयसम्मान-2015प्राप्त
काव्यरंगोलीसाहित्यभूषणसम्मान- 2017प्राप्त
जनकपुरनेपालमेंसृजनसाहित्यसम्मान-२०१८मेंप्राप्त
समर्पण
बच्चों की जिज्ञासाओं को बढ़ाने तथा
उनका मनोरंजन करने के
साथ-साथ ज्ञानवर्धन के लिखी गई
इन कहानियों में बच्चों के लिए
शिक्षाप्रद बातें भी हैं।
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बच्चों के लिए समर्पित
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अपनी बात
खुशियां जब मिलती हैं, तो मन को लुभाती है। ये हरेक चीज से मिल सकती है। किसी से मिलने पर खुशी मिलती है। कभी सम्मान मिलने पर हम इसे प्राप्त करते हैं। कभी पुस्तक छपने पर मन प्रफुल्लित हो जाता है। कभी कोई रिश्ता बन जाता है तो मन खुशियों से भर जाता है। ये सब खुशियां प्राप्ति करने के रास्ते हैं। जो जानेअनजाने हमें प्राप्त होते हैं।
बहुत अच्छा लगता है जब अच्छेअच्छे काम होते हैं। अच्छेअच्छे लोग मिलते हैं। उन से हम प्रेरित होते हैं। छोटीछोटी सफलताएं हमें लुभाती है। किसी की बधाई और शुभकामनाएं हमें प्रेरित करती है। यही सब बातें हमें खुशियों से भर देती है। बस? इन्हें प्राप्त करने की कला और इन्हें मनाने का मन होना चाहिए।
मेरा पहला पत्र जब सरिता में छपा तो मुझे बहुत बड़ी ख़ुशी मिली थी। उस के लिए मेरे गुरू डॉ महाराज कृष्ण जैनजी कहानी लेखन महाविद्यालय ने मुझे प्रेरित किया था। उन्हीं की प्रेरणा से मैं बहुत कुछ लिख कर छपा पाया हूं। मेरे कई लेख उन्हीं की प्रेरणा से अच्छीअच्छी पत्रिका में छपे हैं।
दूसरी प्रेरणा मुझे मेरे पिताश्री केषवराम क्षत्रियजी से मिली थी। आप जिंदादिल व खुशमिजाज इनसान थे। उन्हों ने मुझे मुसीबत में हंसना सीखाया है। कैसे मुसीबतों का सामना किया जाता है। माता श्रीमती सुशीलादेवी जी ने मेरे मन में हिम्मत का संचार किया है। वहीं मेरी जीवनसंगिनी श्रीमती गीता क्षत्रिय ने मुझे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से तनमनधन से सहयोग व सहारा दे कर सदा प्रेरित किया है।
मेरे पुत्र राहुल क्षत्रिय से मैं बहुत कुछ सीखा हूं। इसी ने मुझे फेसबुक और वाट्सएप्प से अवगत करवाया। उसी की बदौलत मैं फोटोशाप में बहुत कुछ काम कर पाया हूं। उसी ने पहलापहल मल्टीमीडिया मोबाइल मुझे उपहार में दिया था। मेरी पुत्री प्रियंका क्षत्रिय से मैं पूरी तन्मयता से काम करने और अपने को सुंदर व सुदृढ़ तरीके से रखने की प्रेरणा प्राप्त कर पाया हूं। मेरी पुत्रवधु दीपिका क्षत्रिय से जहां मैं धैर्य के साथ कार्य करने और काम को सुंदर, व्यवस्थित और मन लगा कर करने की बातें सीखा पाया हू।
मेंरे भाई साहब आदरणीय अरूणाकुमारजी ने पूरी लगन व हिम्मत से कार्य करने की प्रेरणा दी। वहीं छोटे भाई महेंद्रसिंह क्षत्रिय से जुझारीपन व सहयोग की भावना सीख कर जीवन में उतार पाया हूं।
इस लेखन यात्रा में अनेक विद्वानों से मेरा परिचय हुआ है। इन में सर्वश्री व आदरणीय दिल्लीप्रैस के परेशनाथजी, योगराज प्रभाकरजी , मधुदीपजी गुप्ता, राजकुमार जैन राजनजी, डा विमला भंडारीजी, किशोर कुमार श्रीवास्तवजी, अखंड गहमरीजी सहित अनेक रचनाकारों से मिला। इन से बहुत कुछ सीखा और प्रेरित हुआ हूं। इस संग्रह की प्रेरणा बालसाहित्यकार राजकुमार जैन राजनजी ने सलुंबर सम्मान समारोह में जाते वक्त दी थी। उसी की बदौलत यह संभव हो पाया है।
जानेअनजाने अनेक विद्वानों ने मुझे प्रेरित किया है। कई पत्रिकाओं ने नियमित छाप कर मेरा हौसला बुलंद किया है। शुभतारिका, नईदुनिया, चौथासंसार, दौनिक भास्कर, बालभारती, पराग, नंदन, चंपक, सरससलिल, सरिता, मुक्ता, जीवन संगीनी, समझझरोखा, हंसती दुनिया, लोटपोट, बालहंस, समाजकल्याण, जयविजय, साहत्यकुंज, वेबदुनिया, फीचर ऐजेंसी आदि अनेक पत्रपत्रिकाओं ने मुझे नियमित रूप प्रकाशित व प्रसारित किया है।
वर्जिन सहित्यपीठ प्रकाशन का विशेषतौर पर आभारी हूं। उन्हों ने