अवधपति! आ जाओ इक बार (काव्य संग्रह)
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भक्त की करुण पुकार सुनकर भक्तवत्सल परमपिता परमेश्वर हर युग में आए हैं, इसी अटूट विश्वास और अक्षय श्रद्धा से संतृप्त मानस भाव लेकर अवध पुकार रहा है अवधपति मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को। उस राम को जो भक्त की वांछित मनोकामना पूर्ति हेतु मानव ही नहीं अपितु पशु, पक्षी अथवा प्रकृति के रूप में भी अविलम्ब दौड़े चले आते हैं और आएँगे भी क्योंकि यह एक अबोध भक्त की पुकार है।
पुरातन धरोहर, वर्तमान यथार्थ एवं भविष्य की मंगल कामना से औरों की तरह मैं भी उद्वेलित होता हूँ जिसका परिणाम अवध द्वारा 'अवधपति' की पुकार है जो एकमात्र सहारा हैं।
भक्त की करुण पुकार सुनकर भक्तवत्सल परमपिता परमेश्वर हर युग में आए हैं, इसी अटूट विश्वास और अक्षय श्रद्धा से संतृप्त मानस भाव लेकर अवध पुकार रहा है अवधपति मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को। उस राम को जो भक्त की वांछित मनोकामना पूर्ति हेतु मानव ही नहीं अपितु पशु, पक्षी अथवा प्रकृति के रूप में भी अविलम्ब दौड़े चले आते हैं और आएँगे भी क्योंकि यह एक अबोध भक्त की पुकार है।
पुरातन धरोहर, वर्तमान यथार्थ एवं भविष्य की मंगल कामना से औरों की तरह मैं भी उद्वेलित होता हूँ जिसका परिणाम अवध द्वारा 'अवधपति' की पुकार है जो एकमात्र सहारा हैं।
वर्जिन साहित्यपीठ
सम्पादक के पद पर कार्यरत
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अवधपति! आ जाओ इक बार (काव्य संग्रह) - वर्जिन साहित्यपीठ
प्रकाशक
वर्जिन साहित्यपीठ
78ए, अजय पार्क, गली नंबर 7, नया बाजार,
नजफगढ़, नयी दिल्ली 110043
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रथम संस्करण - मई 2018
ISBN
कॉपीराइट © 2018
वर्जिन साहित्यपीठ
कॉपीराइट
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अवधपति! आ जाओ इक बार
(काव्य संग्रह)
लेखक
अवधेश कुमार ‘अवध’
अवधेश कुमार विक्रम शाह
साहित्यिक नाम: 'अवध'
9862744237, 8787573644
awadhesh.gvil@gmail.com
पिता: स्व० शिवकुमार सिंह
माता: श्रीमती अतरवासी देवी
निवास: मैढ़ी, चन्दौली, उत्तर प्रदेश - 232104
आदर्श: संत कबीर, तुलसीदास, दिनकर व निराला
शिक्षा: स्नातकोत्तर (हिन्दी व अर्थशास्त्र), बी. एड., बी. टेक (सिविल), पत्रकारिता व इलेक्ट्रीकल डिप्लोमा
व्यवसाय: सिविल इंजीनियर, मेघालय
प्रसारण:
ऑलइंडियारेडियोद्वाराकावयपाठवपरिचर्चा
दूरदर्शनवाराणसीद्वाराकाव्यपाठ
दूरदर्शनगुवाहाटीद्वारासाक्षात्कार
दूरदर्शनगुवाहाटीद्वाराकाव्यपाठ
प्रभारी: नारायणी साहि० अकादमी, मेघालय
सदस्य: पूर्वासा हिन्दी अकादमी
संपादन: साहित्य धरोहर, पर्यावरण, सावन के झूले, कुंज निनाद आदि
साक्षात्कार: श्रीमती वाणी बरठाकुर विभा, श्रीमती पिंकी पारुथी, श्रीमती आभा दुबे एवं सुश्री शैल श्लेषा द्वारा
शोधपरक लेख: पूर्वोत्तर में हिन्दी की बढ़ती लोकप्रियता
प्रकाशित साझा संग्रह: कवियों की मधुशाला, नूर ए ग़ज़ल, सखी साहित्य, कुंज निनाद आदि
सम्मान: विभिन्न साहित्य संस्थानों द्वारा प्राप्त
प्रकाशन: विविध पत्र-पत्रिकाओं में अनवरत जारी
सृजन विधा: गद्य व काव्य की समस्त प्रचलित विधाएं
उद्देश्य:
रामराज्यकीस्थापनाहेतुजनजागरण
हिन्दीभाषाएवंसाहित्यकेप्रतिजनमानसमेंअनुरागवसम्मानजगाना
पूर्वोत्तरवदक्षिणभारतमेंहिन्दीकोसम्पर्कभाषासेजनभाषाबनाना
तमस रात्रि को भेदकर, उगता है आदित्य |
सहित भाव जो भर सके, वही सत्य साहित्य ||
अवधेश कुमार 'अवध'
समर्पण
धर्म संस्थापक मर्यादा पुरुषोत्तम अवधपति भगवान श्रीराम के पंकज चरणों में रघुवंशी अवधेश कुमार ‘अवध’ आत्मज श्रीमती अतरवासी देवी एवं स्व0 शिवकुमार सिंह द्वारा सादर समर्पित।
अवधपति!
भक्त की करुण पुकार सुनकर भक्तवत्सल परमपिता परमेश्वर हर युग में आए हैं, इसी अटूट विश्वास और अक्षय श्रद्धा से संतृप्त मानस भाव लेकर अवध पुकार रहा है अवधपति मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को। उस राम को जो भक्त की वांछित मनोकामना पूर्ति हेतु मानव ही नहीं अपितु पशु, पक्षी अथवा प्रकृति के रूप में भी अविलम्ब दौड़े चले आते हैं और आएँगे भी क्योंकि यह एक अबोध भक्त की पुकार है।
पुरातन धरोहर, वर्तमान यथार्थ एवं भविष्य की मंगल कामना से औरों की तरह मैं भी उद्वेलित होता हूँ जिसका परिणाम अवध द्वारा 'अवधपति' की पुकार है जो एकमात्र सहारा हैं।
सनातनी छंद यथा दोहा, चौपाई एवं सरसी छंद के समन्वय में भक्ति एवं दैन्य का भाव 'अवधपति' के भक्तगण को बेहद रुचिकर है जिनकी प्रतिपुष्टि मेरे लिए उत्साह वर्द्धक है।