गुलदस्ता
()
About this ebook
अपनी बात
खुशियां जब मिलती हैं तो मन को लुभाती है। ये हरेक चीज से मिल सकती है। किसी से मिलने पर खुशी मिलती है। कभी सम्मान मिलने पर हम इसे प्राप्त करते हैं। कभी पुस्तक छपने पर मन प्रफुल्लित हो जाता है। कभी कोई रिश्ता बन जाए तो मन खुशियों से भर जाता है। ये सब खुशियां प्राप्ति के रास्ते हैं। जो जाने-अनजाने हमें प्राप्त होते हैं।
बहुत अच्छा लगता है जब अच्छेअच्छे काम होते हैं। अच्छे-अच्छे लोग मिलते हैं। उन से हम प्रेरित होते हैं। छोटीछोटी सफलताएं हमें लुभाती है। किसी की बधाई और शुभकामनाएं हमें प्रेरित करती है। यही सब बातें हमें खुशियों से भर देती है। बस ! इन्हें प्राप्त करने की कला और इन्हें मनाने का मन होना चाहिए।
अपनी बात
खुशियां जब मिलती हैं तो मन को लुभाती है। ये हरेक चीज से मिल सकती है। किसी से मिलने पर खुशी मिलती है। कभी सम्मान मिलने पर हम इसे प्राप्त करते हैं। कभी पुस्तक छपने पर मन प्रफुल्लित हो जाता है। कभी कोई रिश्ता बन जाए तो मन खुशियों से भर जाता है। ये सब खुशियां प्राप्ति के रास्ते हैं। जो जाने-अनजाने हमें प्राप्त होते हैं।
बहुत अच्छा लगता है जब अच्छेअच्छे काम होते हैं। अच्छे-अच्छे लोग मिलते हैं। उन से हम प्रेरित होते हैं। छोटीछोटी सफलताएं हमें लुभाती है। किसी की बधाई और शुभकामनाएं हमें प्रेरित करती है। यही सब बातें हमें खुशियों से भर देती है। बस ! इन्हें प्राप्त करने की कला और इन्हें मनाने का मन होना चाहिए।
वर्जिन साहित्यपीठ
सम्पादक के पद पर कार्यरत
Read more from वर्जिन साहित्यपीठ
श्रीरामचरितमानस: एक वृहद विश्लेषण Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsचिंगारियाँ Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsएक दिन सभी स्त्रियाँ नग्न हो जाएंगी Rating: 4 out of 5 stars4/5प्रेम प्रसून (काव्य संग्रह) Rating: 5 out of 5 stars5/5बड़ी उम्र की स्त्रियों का प्रेम Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsलघुकथा मंजूषा 3 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsफिट्'टे मूंह तुंदा (डोगरी काह्'नी ते लेख संग्रैह्) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमैं और मेरे एहसास (काव्य संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकाव्य-काँकरियाँ Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकड़वे सच Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsदिल की आवाज Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsसब तुम्हारा Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsस्कूल का दादा (मनोरंजक व शिक्षाप्रद बालकथाएँ) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsबच्चे सोचते हैं (काव्य संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsप्यार के फूल Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsएक थी माया Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअजनबी शहर Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमानवीय संवेदना की धुरी पर एक खोया हुआ आदमी (लघुकथा संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकहानियों में बचपन Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsघमंडी सियार व अन्य कहानियाँ (बालकथा संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsलोकतंत्र और रेलगाड़ी Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsएक ख्वाब की मौत (कहानी संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकटघरे में राम Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsगाज Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअन्तर्द्वन्द्व Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsटेम्स की सरगम Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsबचपन के झरोखे से (काव्य संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकाव्य मञ्जूषा (काव्य संकलन) Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Related to गुलदस्ता
Related ebooks
अपनी-अपनी व्यथा (लघुकथा संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsघमंडी सियार व अन्य कहानियाँ (बालकथा संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsSuper-Hit Jokes: To keep you in good humour Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsLove Or Compromise Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअनकही बातें: Fiction, #1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsगुदगुदाते पल (कहानी संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsJeevan Me Safal Hone Ke Upaye: Short cuts to succeed in life Rating: 0 out of 5 stars0 ratings21 Shreshtha Balman ki Kahaniyan: Madhya Pradesh (21 श्रेष्ठ बालमन ... प्रदेश) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsसंवेदना आपकी Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsQuad Lamhe Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 2) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमुझे न्याय दो Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsसत्य की खोज (गीत मंजरी) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsTeri Meri Sex Story Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 6) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsYogi Kathaamrt : Ek Yogi Ki Atmakatha Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsडायरेक्ट सेलिंग बिज़नेस के सफलता के 7 स्टेप्स: Jagdish Kalal Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsबचपन से पचपन तक Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकाव्यधारा Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsएक अपूर्व समस्या: अष्ट योगी, #2 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 17) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsचाय कुल्हड़ में Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsजीवन जीना कैसे सीखें Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsदोराह (राह ए वफ़ा) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsKahaniya Bolti Hai Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 10) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsएक तरफा Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsआखिर कब तक?: एक सच्ची दासतां Rating: 5 out of 5 stars5/5Inspirational Stories in Hindi प्रेरणा कथाएं हिंदी में (Part One) Rating: 1 out of 5 stars1/5Kaun Hai Woh? Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Reviews for गुलदस्ता
0 ratings0 reviews
Book preview
गुलदस्ता - वर्जिन साहित्यपीठ
प्रकाशक
वर्जिन साहित्यपीठ
78ए, अजय पार्क, गली नंबर 7, नया बाजार,
नजफगढ़, नयी दिल्ली 110043
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रथम संस्करण - मई 2018
ISBN
कॉपीराइट © 2018
वर्जिन साहित्यपीठ
कॉपीराइट
इस प्रकाशन में दी गई सामग्री कॉपीराइट के अधीन है। इस प्रकाशन के किसी भी भाग का, किसी भी रूप में, किसी भी माध्यम से - कागज या इलेक्ट्रॉनिक - पुनरुत्पादन, संग्रहण या वितरण तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक वर्जिन साहित्यपीठ द्वारा अधिकृत नहीं किया जाता।
गुलदस्ता
(लघुकथा संग्रह)
लेखक
ओमप्रकाश क्षत्रिय प्रकाश
ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’
09424079675 opkshatriya@gmail।com
जन्म दिनांक: 26 जनवरी 1965
शिक्षा: 5 विषय में एम ए, पत्रकारिता, कहानी-कला, लेख-रचना, फ़ीचर एजेंसी का संचालन में पत्रोपाधि
व्यवसाय: सहायक शिक्षक
लेखन: बालकहानी, लघुकथा, लेख व कविता
उपलब्धि: 111 बालकहानियों का 8 भाषा में प्रकाशन व अनेक कहानियां विभिन्न पत्रपत्रिकाओं में प्रकाशित
प्रकाशित पुस्तकें:
लेखकोपयोगीसूत्रव100पत्रपत्रिकाएं(कहानीलेखनमहाविद्यालयद्वाराप्रकाशित)
कुएंकोबुखार
आसमानीआफत
कौनसारंगअच्छाहै?
कांव-कांवकाभूत
बच्चों!सुनोंकहानी
गुलदस्ता(लघुकथासंग्रह)
पुरस्कार:
इंद्रदेवसिंहइंद्रबालसाहित्यसम्मान-2017
स्वतंत्रतासैनानीओंकारलालशास्त्रीसम्मान-2017
बालशौरिरेड्डीबालसाहित्यसम्मान- 2015
विकासखंडस्तरीयकहानीप्रतियोगितामेंद्वितीय2017
लघुकथामेंजयविजयसम्मान-2015प्राप्त
काव्यरंगोलीसाहित्यभूषणसम्मान- 2017प्राप्त
जनकपुरनेपालमेंसृजनसाहित्यसम्मान-२०१८मेंप्राप्त
समर्पण
पूज्यनीय माता-पिता
और
मेरे लघुकथाप्रेमी साथियों को
सादर समर्पित
अपनी बात
खुशियां जब मिलती हैं तो मन को लुभाती है। ये हरेक चीज से मिल सकती है। किसी से मिलने पर खुशी मिलती है। कभी सम्मान मिलने पर हम इसे प्राप्त करते हैं। कभी पुस्तक छपने पर मन प्रफुल्लित हो जाता है। कभी कोई रिश्ता बन जाए तो मन खुशियों से भर जाता है। ये सब खुशियां प्राप्ति के रास्ते हैं। जो जाने-अनजाने हमें प्राप्त होते हैं।
बहुत अच्छा लगता है जब अच्छेअच्छे काम होते हैं। अच्छे-अच्छे लोग मिलते हैं। उन से हम प्रेरित होते हैं। छोटीछोटी सफलताएं हमें लुभाती है। किसी की बधाई और शुभकामनाएं हमें प्रेरित करती है। यही सब बातें हमें खुशियों से भर देती है। बस ! इन्हें प्राप्त करने की कला और इन्हें मनाने का मन होना चाहिए।
मेरा पहला पत्र जब सरिता में छपा तो मुझे बहुत बड़ी खुशी मिली थी। उस के लिए मेरे गुरू डा महाराज कृष्ण जैन। कहानी लेखन महाविद्यालय ने मुझे प्रेरित किया था। उन्हीं की प्रेरणा से मैं बहुत कुछ लिख कर छपा हूं। मेरे कई लेख उन्हें की प्रेरणा से अच्छीअच्छी पत्रिका में छपे हैं।
दूसरी प्रेरणा मुझे मेरे पिताश्री केशवराम क्षत्रियजी से मिली थी। आप जिंदादिल व खुश मिजाज इनसान थे। उन्हों ने मुझे मुसीबत में हंसना सीखाया। कैसे इन का सामना किया जाता है। माता श्रीमती सुशीलादेवी जी ने मेरे मन में हिम्मत का संचार किया। वहीं मेरी जीवनसंगिनी श्रीमती गीता क्षत्रिय ने मुझे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से तनमनधन से सहयोग व सहारा दे कर सदा प्रेरित किया है।
मेरे पुत्र राहुल क्षत्रिय से मैं बहुत कुछ सीखा हूं। इसी ने मुझे फेसबुक और वाट्सएप से अवगत करवाया। उसी की बदौलत मैं फोटोशाप में बहुत कुछ काम कर पाया हूं। उसी ने पहला मोबाइल मुझे उपहार में दिया था। मेरी पुत्री प्रियंका क्षत्रिय से मैं पूरी तन्मयता से काम करने और अपने को सुंदर व सुदृढ़ रखने की प्रेरणा प्राप्त कर पाया हूं। मेरी पुत्रवधु दीपिका क्षत्रिय से जहां धैर्य के साथ कार्य करने और काम को सुंदर, व्यवस्थित और मन लगा कर करने की बातें सीखा हूँ।
मेंरे भाई साहब आदरणीय अरूणाकुमारजी ने पूरी लगन व हिम्मत से कार्य करने की प्रेरणा दी। वहीं छोटे भाई महेंद्रसिंह क्षत्रिय से जुझारीपन व सहयोग की भावना सीख कर जीवन में उतार पाया हूं।
इस लेखन यात्रा में अनेक विद्धानों से मेरा परिचय हुआ है। इन में सर्वश्री व आदरणीय दिल्लीप्रैस के परेशनाथजी, योजराज प्रभाकरजी , मधुदीपजी गुप्ता, राजकुमार जैन राजनजी, डा विमला भंडारीजी, किशोर कुमार श्रीवास्तवजी, अखंड गहमरीजी सहित अनेक रचनाकारों से मिला। इन से बहुत कुछ सीखा और प्रेरित हुआ हूं। इस संग्रह की प्रेरणा बालसाहित्यकार राजकुमार जैन राजनजी ने सलुंबर सम्मान समारोह में जाते वक्त दी थी। उसी की बदौलत यह संभव हो पाया है।
जानेअनजाने अनेक विद्धानों ने मुझे प्रेरित किया है। कई पत्रिकाओं ने नियमित छाप कर मेरा हौसला बुलंद किया है। शुभतारिका, नईदुनिया, चैथासंसार, भास्कर, बालभारती, पराग, नंदन, चंपक, सरससलिल, सरिता, मुक्ता, जीवन संगीनी, समझझरोखा, हंसती दुनिया, लोटपोट, बालहंस, समाजकल्याण, जयविजय, साहत्यकुंज, वेबदुनिया, फीचर ऐजेंसी आदि अनेक पत्रपत्रिकाओं ने मुझे नियमित रूप प्रकाशित व प्रसारित किया है।
वैसे मेरी 110 से ज्यादा कहानियां 8 भाषा में प्रकाषित और प्रसारित हो चुकी है। एक कहानी की पुस्तक यूरोप की कुमाम भाषा को पुनर्जीवित करने के लिए अनुदित हो कर अंतरर्जाल पर प्रकाशित व प्रसारित हो चुकी है। यह मेरे लिए सब से बड़ी खुशी की बात थी। मगर, सब से बड़ी खुशी की बात यह है कि मेरी