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सबरनाखा
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Ebook46 pages11 minutes

सबरनाखा

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About this ebook

शायद तुम्हारे लिए आनंद है

सप्ताह भर से
भूखे पेट हूँ
पेट के गड्ढे में
आग जल रही है
धू-धू कर
हुंह और बर्दास्त नहीं हो रहा है
सर के ऊपर तक
आग की लपटें उठ रही हैं
पेट के गड्ढे को भरने
जलती आग को
बुझाने के लिए
तुमसे कितना प्रार्थना किया
एक मुट्ठी भोजन के लिए
बार-बार गया तुम्हारे पास
पर तुम
बचे हुए भोजन को
अधखाया और जूठन को
मुझे देने में
तुम्हें नागवार लगा
गन्दी नाली में बहा दिया
शायद तुम्हारे लिए आनंद है

सप्ताह भर से
भूखे पेट हूँ
पेट के गड्ढे में
आग जल रही है
धू-धू कर
हुंह और बर्दास्त नहीं हो रहा है
सर के ऊपर तक
आग की लपटें उठ रही हैं
पेट के गड्ढे को भरने
जलती आग को
बुझाने के लिए
तुमसे कितना प्रार्थना किया
एक मुट्ठी भोजन के लिए
बार-बार गया तुम्हारे पास
पर तुम
बचे हुए भोजन को
अधखाया और जूठन को
मुझे देने में
तुम्हें नागवार लगा
गन्दी नाली में बहा दिया

Languageहिन्दी
Release dateMay 25, 2018
ISBN9780463763445
सबरनाखा
Author

वर्जिन साहित्यपीठ

सम्पादक के पद पर कार्यरत

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    सबरनाखा - वर्जिन साहित्यपीठ

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    1. पाण्डुलिपि वर्ड फाइल में भेजें

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    5. ईमेल में इसकी उद्घोषणा करें कि उनकी रचना मौलिक है और किसी भी तरह के कॉपीराइट विवाद के लिए वे जिम्मेवार होंगे।

    रॉयल्टी: रॉयल्टी 70% प्रदान की

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