अन्तर्द्वन्द्व
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साहित्य समाज को आईना दिखाता है और आईना कभी झूठ नहीं बोलता है।
समाज की संरचना हमने और आपने ही की है, आदरणीय विजय तन्हा जी की रचनाएं पढ़ी और विवश हो गया सोचने को।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य एवं विसंगतियों का मार्मिक शब्द चित्र है विजय तन्हा का काव्य संग्रह "अन्तर्द्वन्द्व" जिसमें "अहसास", "पेट की आग", "अपनापन", "एक सच" आदि रचनाओं में हृदय को स्पर्श कर झकझोर देने की क्षमता है।
"पैगाम" शीर्षक की रचना वास्तविकता में राजनीति पर एक करारा व्यंग्य है।
साहित्य समाज को आईना दिखाता है और आईना कभी झूठ नहीं बोलता है।
समाज की संरचना हमने और आपने ही की है, आदरणीय विजय तन्हा जी की रचनाएं पढ़ी और विवश हो गया सोचने को।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य एवं विसंगतियों का मार्मिक शब्द चित्र है विजय तन्हा का काव्य संग्रह "अन्तर्द्वन्द्व" जिसमें "अहसास", "पेट की आग", "अपनापन", "एक सच" आदि रचनाओं में हृदय को स्पर्श कर झकझोर देने की क्षमता है।
"पैगाम" शीर्षक की रचना वास्तविकता में राजनीति पर एक करारा व्यंग्य है।
वर्जिन साहित्यपीठ
सम्पादक के पद पर कार्यरत
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अन्तर्द्वन्द्व - वर्जिन साहित्यपीठ
वर्जिन साहित्यपीठ
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रॉयल्टी: 70% (गूगल और अमेज़न से मिली राशि का 70%)। नोट: पहली दस कॉपी की बिक्री की राशि प्रकाशक की होगी। ग्यारहवीं कॉपी की बिक्री से रॉयल्टी प्रारम्भ होगी।
पेपरबैक: दो विकल्प उपलब्ध (ISBN के साथ)
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प्लेटफार्म: पोथी डॉट कॉम। यदि अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर भी चाहते हैं तो 1500 रुपये और देने होंगे।
लेखक कॉपी: लागू नहीं
रॉयल्टी: 50% (पोथी डॉट कॉम से मिली राशि का 50%)
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2. प्रिंट: 160 पेज की पुस्तक की लागत राशि - 6500
लेखक कॉपी: 40
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