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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 21)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 21)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 21)
Ebook115 pages1 hour

कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 21)

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About this ebook

विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की इक्कीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

बहुत धन्यवाद

राजा शर्मा

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateJun 15, 2018
ISBN9780463862445
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 21)
Author

Raja Sharma

Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.

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    कथा सागर - Raja Sharma

    www.smashwords.com

    Copyright

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 21)

    राजा शर्मा

    Copyright@2018 राजा शर्मा Raja Sharma

    Smashwords Edition

    All rights reserved

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 21)

    Copyright

    दो शब्द

    मैंने गालियां नहीं स्वीकारी Maine Galiyan Nahi Sweekari

    बच्चे का मित्र Bachhey Ka Mitr

    मैं आपका बेटा Main Apka Beta

    जेंटलमैन (सज्जन पुरुष) Gentleman

    बाप बेटा Baap Beta

    वो गुरु का सिख Wo Guru Ka Sikh

    देने वाले के हाथ Deney Waley Ke Hath

    तुम पाप करती हो Tum Paap Karti Ho

    थोड़ी सी ख़ुशी Thodi Si Khushi

    भगवान, जैसा चाहो करो Bhagwaan Jaisa Chaho Karo

    चार पत्नियां Chaar Patniyaan

    मौत का डर Maut Ka Dar

    नहीं भाग सकते Nahi Bhaag Saktey

    सुखी दंपत्ति Sukhi Dampatti

    घटता प्रेम Ghatata Prem

    बीरबल और उसका दोस्त Birbal Aur Uska Dost

    बुजुर्गों की भी सुनिए Bujurgon Ki Bhi Suniye

    रिश्तों के हीरे Rishton Ke Heerey

    जैसे चाहूंगी वैसे जियूँगी Jaise Chahungi Vaise Jiyungi

    एक मौका और Ek Mauka Aur

    बनारसी साड़ी Banarasi Saree

    माँ की चिट्ठी Maa Ki Chitthi

    प्रोफेसर और छात्र Professor Aur Chatra

    एक थप्पड़ Ek Thappad

    चुरा कर लाओ Chura Kar Lao

    दो शब्द

    विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

    इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की इक्कीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

    कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

    बहुत धन्यवाद

    राजा शर्मा

    मैंने गालियां नहीं स्वीकारी Maine Galiyan Nahi Sweekari

    एक बार बुद्धा एक पेड़ के नीचे ध्यान लगाए बैठे थे. वहाँ से एक व्यक्ति गुज़र रहा था. बुद्धा को पेड़ के नीचे देखकर उसने बुद्ध को गालियां देनी शुरू कर दी.

    बहुत देर तक गालियां देने के बाद वो व्यक्ति वहीं खड़ा होकर प्रतीक्षा करने लगा के बुद्धा की क्या प्रतिक्रिया होती है. बहुत समय बीत गया परन्तु बुद्धा ध्यानमग्न रहे और उन्होंने कोई भी प्रतिउत्तर नहीं दिया.

    उस व्यक्ति को बहुत गुस्सा आया और उसने और भी गन्दी गन्दी गलियां बकना शुरू कर दिया. वो बुद्धा का अपमान करने लगा, परन्तु बुद्धा ने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दिखाई. कई घंटो तक वो गालियां देता रहा और बुद्धा अपने स्थान पर शांतिपूर्वक बैठे रहे.

    जब उस व्यक्ति से सहन नहीं हुआ, उसने बुद्धा से पूछा, मैं इतनी देर से आपको गालियां दे रहा हूँ, क्या आपको मुझपर क्रोध नहीं आता?

    बुद्ध ने मुस्कुरा कर कहा, बिलकुल नहीं क्योंकि मैंने तुम्हारी गालियां स्वीकार ही नहीं की हैं.

    वो व्यक्ति समझ नहीं सका और उसने कहा, परन्तु आपने मेरी गालियां सुनी, एक एक शब्द सुना?

    बुद्धा ने कहा, मुझे गालियां चाहिए ही नहीं तो मैं सुनूंगा ही क्यों?

    वो व्यक्ति तो जैसे पागल ही जो गया. बुद्धा उस व्यक्ति की स्तिथि समझ गए और उन्होंने आगे बोलना शुरू किया, वो सभी गालियां तुम्हारे पास ही हैं.

    वो व्यक्ति बोला, जब मैंने वो सब गालियां आपको दे दी तो वो मेरे पास कैसे हैं?

    बुद्धा ने उस व्यक्ति से पूछा, मानो तुम किसी व्यक्ति को कुछ सिक्के देते हो और वो व्यक्ति उनको नहीं लेता तो सिक्के तुम्हारे पास रहते हैं के नहीं?

    उस व्यक्ति ने कहा, जब वो ले ही नहीं रहा, तो सिक्के तो मेरे पास ही रहेंगे ना.

    बुद्धा ने मुस्कुरा कर कहा, यही तो तुम्हारी गालियों के साथ हुआ. तुम मुझको गलियां देते रहे, परन्तु मैंने गालियां स्वीकारी ही नहीं. जब मैंने ली ही नहीं तो गालियां तुम्हारे पास ही रही के नहीं? तो फिर मेरे पास तो क्रोध करने का कोई कारण ही नहीं है.

    उस व्यक्ति को अपनी गलती का आभास हो गया और वो बुद्धा के चरणों में गिरकर माफ़ी मांगने लगा.

    मित्रों,

    लोग अगर कभी क्रोध में आपको कुछ कह भी दें, तो कृपया कभी भी जवाब मत दीजिये. संतोष के साथ जीवन बिताने के लिए आंतरिक शांति की आवश्यकता होती है. किसी भी बाहरी शक्ति को आपको विचलित करने की अनुमति मत दीजिये.

    बच्चे का मित्र Bachhey Ka Mitr

    जिमी अपने परिवार के साथ शहर में रहता था परन्तु उसको ग्रामीण क्षेत्र में प्रकृति के बीच रहकर समय बिताना बहुत अच्छा लगता था.

    एक बार अपने बेटे के जन्मदिन को मनाने के लिए वो अपने परिवार और कुछ मित्रों के साथ शहर के पास के एक जंगल में गए. उन्होंने कुछ दिन वहीँ बिताने की योजना बनायी थी.

    उन्होंने जंगल में एक कॉटेज किराए पर ले लिया था. वहां पर मेहमानो

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