कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 32)
By Raja Sharma
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About this ebook
विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.
इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की बत्तीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.
कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.
बहुत धन्यवाद
राजा शर्मा
Raja Sharma
Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.
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कथा सागर - Raja Sharma
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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 32)
राजा शर्मा
Copyright@2018 राजा शर्मा Raja Sharma
Smashwords Edition
All rights reserved
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 32)
Copyright
दो शब्द
सुंदर घड़े का पानी Sundar Ghade Ka Pani
पतंगवाला Patang Wala
मेरे कुत्ते को घुमा लाओ Mere Kuttey Ko Ghumaa Lao
किराया चुका दो Kiraya Chuka Do
सौ डॉलर का शब्द Sou Dollar Ka Shabd
अधूरे पूरे Adhurey Poorey
उचित व्यवहार Uchit Vyavhaar
बेरोजगार Berojgaar
सेवा और भक्ति Seva Aur Bhakti
सोना मिलेगा Sona Milega
खेलते खेलते बने करोड़पति Khelte Khelte Baney Crorepati
मैं जनेऊ नहीं पहनूंगा Main Janeyu Nahi Pehnunga
आप भी मिठाई खाओ Aap Bhi Mithayee Khao
साधु और भोगी Sadhu Aur Bhogi
हर महीने एक वर्ष Har Mahiney Ek Varsh
धर्मग्रंथ बेच दिया Dharm Granth Bech Diya
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चाणक्य झोपड़ी में रहते थे Chanakya Jhopdi Mein Rehte The
विद्रोही बालक Vidrohi Balak
औरों की भावनाएं Auron Ki Bhavnayein
पीली पत्तियों पर बैठा बूढा Peeli Pattiyon Par Baitha Boodha
मैं बूढ़ा कब हो गया? Main Boodha Kab Ho Gaya वो एक रात Wo Ek Raat
दो शब्द
विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.
इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की बत्तीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.
कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.
बहुत धन्यवाद
राजा शर्मा
सुंदर घड़े का पानी Sundar Ghade Ka Pani
चाणक्य की कुशाग्र बुद्धि और न्याय के बारे में सभी ने कभी ना कभी तो पढ़ा ही होगा. वो सम्राट चन्द्रगुप्त के महामंत्री थे. चन्द्रगुप्त चाणक्य का बहुत सम्मान करते थे.
चाणक्य ने एक दिन महसूस किया के चन्द्रगुप्त अपने आप को औरों से श्रेष्ठ मानने लगे थे. चाणक्य सब कुछ जानते हुए भी सही अवसर की प्रतीक्षा करने लगे.
एक दिन सम्राट चन्द्रगुप्त ने व्यंग में चाणक्य से कहा, मैं आपकी विद्वत्ता, सूझ-बूझ और चातुर्य की दाद देता हूं, परंतु अच्छा होता भगवान ने आपको सुंदर रूप भी दे दिया होता.
चाणक्य ने जान लिया कि सम्राट को अपने सौंदर्य पर घमंड हो गया है और वे सौंदर्य के सामने विद्या को तुच्छ समझने लगे हैं. पर उस समय वह चुप रह गए। थोड़ी देर बाद सम्राट से विदा लेकर अपने आश्रम आ गए.
अगले दिन उन्होंने अपने सेवक को बुलाकर कहा, आज दरबार में महाराज के आने से पहले एक मिट्टी का घड़ा और एक सोने का घड़ा रखवा दो। दोनों घड़े शुद्ध जल से भरे होने चाहिए.
समय से सम्राट आए और दरबार का कामकाज शुरू हुआ.
थोड़ी देर में सम्राट को प्यास लगी तो चाणक्य के आदेशानुसार उन्हें सोने के घड़े का पानी पेश किया गया. पानी पीते ही सम्राट को गुस्सा आ गया, ये इतना गरम पानी हमें क्यों दिया गया?
चाणक्य के इशारा करते ही उन्हें मिट्टी के घड़े वाला शीतल जल दिया गया. चाणक्य बोले, महाराज, यह पानी पीकर देखें, क्या यह ठीक है?
इस बार सम्राट पानी पीकर संतुष्ट हुए।
फिर भी सम्राट ने पूछा, वह कैसा पानी था और क्यों दिया गया वैसा पानी?
चाणक्य बोले, वह सोने के घड़े का पानी था. हमने सोचा, मिट्टी के कुरूप घड़े के बजाय सोने के सुंदर घड़े का पानी आपको बेहतर लगेगा.
सम्राट को तुरंत पूरी बात समझ में आ गई. उन्हें जवाब मिल चुका था.
मित्रों,
विद्वान लोग कभी भी किसी व्यक्ति के मूर्खतापूर्ण प्रश्नो का तुरंत जवाब नहीं देते हैं. वो हमेशा सही अवसर की तलाश में रहते हैं जब वो ऐसे उत्तर देते हैं के घमंडी व्यक्ति जो मूर्खतापूर्ण प्रश्न पूछता है शर्म से सर झुका लेता है.
पतंगवाला Patang Wala
गली रामनाथ में एक ही पेड़ था। वह बरगद का पेड़ पुरानी मस्जिद की टूटी दीवार के बीच से निकला हुआ था। अली की पतंग उसकी टहनियों