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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 36)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 36)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 36)
Ebook99 pages52 minutes

कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 36)

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About this ebook

विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की छत्तीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

बहुत धन्यवाद

राजा शर्मा

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateJul 16, 2018
ISBN9780463176542
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 36)
Author

Raja Sharma

Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.

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    कथा सागर - Raja Sharma

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 36)

    www.smashwords.com

    Copyright

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 36)

    राजा शर्मा

    Copyright@2018 राजा शर्मा Raja Sharma

    Smashwords Edition

    All rights reserved

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 36)

    Copyright

    दो शब्द

    गुलाब Gulaab

    सुधा मूर्ती की उदारता Sudha Murti Ki Udarta

    गुलाम से सस्ता बादशाह Gulam Se Sasta Baadshah

    महान कौन है Mahaan Kaun Hai

    विलासिता ले डूबी Vilasita Le Doobi

    पैसे नहीं हैं Paise Nahi Hain

    एक ही रास्ता Ek Hi Rasta

    दीपाधार Deepadhaar

    ऐसे थे शास्त्री जी Aise The Shastri Ji

    महा आलसी Maha Alsi

    महा वीर गुरु गोविंद सिंह जी Maha Veer Guru Gobind Singh Ji

    सम्मान का कोई मूल्य नहीं Samman Ka Koi Moolya Nahi

    वो पशु भी चराते थे Wo Pashu Bhi Charatey The

    अवसर का चित्र Avsar Ka Chitra

    चालीस साल बाद Chalis Saal Baad

    जिंदगी पर लिखो Zindgi Par Likho

    हाथों की शोभा Hathon Ki Shobha

    क्रम चलता रहे Kram Chalta Rahey

    आप हैं कीमती हीरा Aap Hain Keemti Heera

    तुम नहीं समझोगे Tum Nahi Samjhogey

    खाई को पाटना Khai Ko Patna

    क्या वो बोझ था? Kya Wo Bojh Tha?

    अभिवादन वरदान बना Abhivadan Vardan Bana

    ऊँचें लोग ऊंची बातें Oonchey Log Oonchee Baatein

    जिगर वाला Zigar Wala

    दो शब्द

    विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

    इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की छत्तीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

    कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

    बहुत धन्यवाद

    राजा शर्मा

    गुलाब Gulaab

    वो सिर्फ पांच वर्ष की थी. उसकी पोशाक पुरानी और फटी हुई थी, परन्तु उसकी मुस्कान और उसके विचार बिलकुल नये नए थे.

    वो सात साल का था और उसके कपडे भी पुराने और फटे हुए थे, परन्तु उसका शरीर और दिमाग शक्तिशाली होते जा रहे थे.

    वो हाथ में एक फूल थामे हुआ था. उसने वो फूल उसकी तरफ बढ़ाया. वो उसने खोजे हुए फूलों में से सबसे सुन्दर फूल था. वो एक गुलाबी फूल था, परन्तु कहीं कहीं उसमे लाली थी. वो एक सुन्दर गुलाब था.

    वो आगे बड़ी और उसने अपने छोटे छोटे हाथों में वो फूल ले लिया और बोली, ये बहुत ही सुन्दर फूल है.

    उसने उस फूल को सूंघा. वो चकित हो गयी. उसने फिर से सूंघा, इस बार कुछ अधिक देर तक. वो फिर बोली, इसकी सुगंध इंद्रधनुष जैसी है.

    वो मुस्कुराया. कुछ वर्षों के बाद उसको भी शर्माना आ जाएगा परन्तु सात वर्ष की उम्र में उसकी भावनाएं अभी इतनी विकसित नहीं हुई थी के उसके शरीर के साथ तालमेल मिला सकें. वो बोला, इस फूल ने मुझे तुम्हारी याद दिला दी थी.

    वो मुस्कुराने लगी. उसके गालों पर गड्ढे स्पष्ट दिखाई दे रहे थे. वो बोली, क्या तुम सोचते हो के मैं एक फूल हूँ?

    वो बोला, नहीं, मैं सोचा हूँ के तुम एक गुलाब हो.

    वो मासूमियत से बोली, ये गुलाब क्या होता है?

    उसने उसके हाथ में पकडे हुए फूल की तरफ संकेत करके कहा, गुलाब वही है जो तुमने हाथ में पकड़ रखा है.

    वो गुलाब को देखने लगी और अपने हाथों से गुलाब की पंखुरियों को सहलाने लगी. उसने फिर से उस गुलाब को सूंघा और कहा, परन्तु मेरा नाम तो लीना है.

    मैं जानता हूँ, पर मेरे लिए तुम गुलाब हो, वो मुस्कुरा कर बोला.

    वो थोड़ा सा आगे बढ़ी और उसने उसका हाथ अपने हाथ में लेकर हलके से दबा दिया. वो भी मुस्कुराया और उसने भी उसका हाथ हलके से दबा दिया. वो बोली,, "तो तुम्हारे लिए मेरा नाम

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