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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 37)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 37)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 37)
Ebook101 pages52 minutes

कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 37)

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About this ebook

विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की सैंतीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

बहुत धन्यवाद

राजा शर्मा

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateJul 20, 2018
ISBN9780463730485
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 37)
Author

Raja Sharma

Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.

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    कथा सागर - Raja Sharma

    www.smashwords.com

    Copyright

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 37)

    राजा शर्मा

    Copyright@2018 राजा शर्मा Raja Sharma

    Smashwords Edition

    All rights reserved

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 37)

    Copyright

    दो शब्द

    संघर्ष Sangharsh

    झरना Jharna

    बेशर्म संतानें Besharm Santanein

    देशभक्त तवायफ Deshbhakt Tavayaf

    अहंकार का परित्याग Ahankaar Ka Parityag

    उसका अपना सिद्धांत Uska Apna Siddhant

    तारा बुझ गया Tara Bujh Gaya

    आहार और आश्रय Ahaar Aur Ashraya

    वैद्य झंडू भट्ट Vaidya Jhandu Bhatt

    बहुत लम्बा इंतज़ार Bahut Lamba Intezaar

    माँ की खिदमत Maa Ki Khidmat

    मूक समस्याएं Mook Samasyein

    क्या सब बता दे? Kya Sab Bata Dey?

    रेशम के धागे Resham Ke Dhagey

    गन्ने से पिटाई Ganney Se Pitayee

    परनिंदा मत कीजिये Parninda Mat Keejiye

    आँखों की जरूरत नहीं Ankhon Ki Zaroorat Nahi

    एक उग्र प्रेम संबंध Ek Ugra Prem Sambandh

    एक ऐसा प्रधानमंत्री Ek Aisa Pradhan Mantri

    सबसे बहुमूल्य वस्तु Sabse Bahumoolya Vastu

    कल खुदा देगा Kal Khuda Dega

    चारों दिशाओं को प्रणाम Charon Dishaon Ko Pranaam

    दवा की शीशी Davaa Ki Shishi

    दो शब्द

    विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

    इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की सैंतीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

    कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

    बहुत धन्यवाद

    राजा शर्मा

    संघर्ष Sangharsh

    एक कुम्हार के आँगन में मिट्टी और एक मटका साथ साथ रखे हुए थे. तभी मिटटी ने मटके से कहा, "मैं मिटटी हूँ और तुम मिट्टी के ही बने हो, परन्तु में पानी में बह जाती हूँ, और तुम पानी को अपने में रख लेते हो.

    पानी तुमको ना तो बहा सकता है और ना ही तुमको गला पाता है. मैं नहीं समझ पाती के ऐसा क्यों है?"

    मटके ने हँसते हुए जवाब दिया, "ये बात बिलकुल सच है तू मिटटी है और मैं भी मिटटी का बना हुआ हूँ, परन्तु मैं बहुत संघर्ष से गुजरा हूँ.

    मुझे मिटटी के रूप में पानी में भिगोकर रखा गया था, पैरों से गूंथा गया था और फिर कुम्हार ने चाक पर रखकर मुझे खूब घुमाया था और मुझे पीट पीट कर आकार दिया था.

    बाद में मुझे आग में डालकर तपाया गया था. इतने संघर्ष का सामना करके मैं पानी को अपने में रखने के काबिल बना."

    इसी तरह एक मंदिर की सीढ़ियों पर लगाए गए एक पत्थर ने एक दिन मंदिर में रखी पत्थर की मूर्ती से पूछा, "मैं भी पत्थर हूँ और तू भी पत्थर है.

    मैं रस्ते में लगाया गया हूँ और तुमको ऊपर रखा गया है. लोग मुझे पैरों के नीचे रौंदकर चलते हैं, पर तुम्हारे सामने लोग अपना सर झुकाते है और तुम्हारी पूजा करते है. ऐसा क्यों है?"

    पत्थर की मूर्ती ने मुस्कुरा कर रास्ते पर लगे हुए पत्थर से कहा, "तुम मेरे संघर्ष के बारे में नहीं जानते. मुझे छैनियों से कितनी ही बार काटा गया और कितनी ही बार हथौड़ों से पीटा गया.

    जगह जगह से मुझे घिसा गया परन्तु मैं पीड़ा को चुप चाप सहता रहा. फिर कही मैं मूर्ती बना और यहाँ रखा गया.. मैं संघर्षों की भट्ठी में तपकर यहाँ तक पहुंचा हूँ. संघर्षों की भट्टी में तपकर ही ‘जीवन’ स्वर्ण बनता है."

    मित्रों,

    सभी इंसान जीवन में एक जैसे ही जन्म लेते हैं. उनमें कुछ भी विलक्षण नहीं होता है परन्तु कुछ इंसान जीवन में मिटटी या पत्थर की तरह कुछ नहीं करते हैं और अपने भाग्य को ही कोसते रहते हैं,

    परन्तु कुछ लोग संघर्ष करते हैं और मटकों और मूर्तियों में परिवर्तित हो जाते हैं, अर्थात सफल हो जाते हैं.

    झरना Jharna

    एक दिन भगवान् बुद्ध

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