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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 41) राजा शर्मा
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 41) राजा शर्मा
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 41) राजा शर्मा
Ebook111 pages58 minutes

कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 41) राजा शर्मा

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About this ebook

विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की इक्तालीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

बहुत धन्यवाद

राजा शर्मा

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateSep 6, 2018
ISBN9780463344828
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 41) राजा शर्मा
Author

Raja Sharma

Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.

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    कथा सागर - Raja Sharma

    www.smashwords.com

    Copyright

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 41)

    राजा शर्मा

    Copyright@2018 राजा शर्मा Raja Sharma

    Smashwords Edition

    All rights reserved

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 41)

    Copyright

    दो शब्द

    घड़े पर हँसे या कुम्हार पर Ghade Par Hanse Ya Kumhar Par

    सूर्य नाराज़ हो गए Surya Naaraz Huey

    तुम्हारे लिए क्या लाऊँ? Tumharey Liye Kya Laun?

    सबसे गरीब Sabsey Gareeb

    मृत स्त्री का रहस्य Mrit Stree Ka Rahasya

    भगवान् बिक गए Bhagwaan Bik Gaye

    वो महान कवयित्री नहीं होती Wo Mahaan Kavyitri Nahi Hoti

    तुम मेरा घोडा ले जाओ Tum Mera Ghoda Le Jao

    समाचार पत्र का संपादक Samachar Patra Ka Sampadak

    मजा जो उनको आया Maza Jo Unko Aaya

    निर्दयी Nirdayi

    उसके पिता Uske Pita

    दुआ क़ुबूल हुई Dua Kubool Hui

    सब अच्छा होता है Sab Achha Hota Hai

    शकरकंदियाँ Shakarkandiyaan

    बेटी Beti

    तुम क्या हो? Tum Kya Ho?

    किस्मत की किताब Kismat Ki Kitab

    भगवान् को पाना Bhagwaan Ko Paana

    प्रकृति का शानदार चक्र Prakriti Ka Shaandar Chakra

    नक़ल मत करो Nakal Mat Karo

    मेरा कोई दोस्त नहीं Mera Koi Dost Nahi

    तीन डाकू Teen Daku

    चांडाल के हाथ का पानी Chaandal Ke Hath Ka Pani

    दो शब्द

    विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

    इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की इक्तालीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

    कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

    बहुत धन्यवाद

    राजा शर्मा

    घड़े पर हँसे या कुम्हार पर Ghade Par Hanse Ya Kumhar Par

    जनक मिथिला के राजा थे. लोग उनको एक बहुत ही विनम्र और बहुत अच्छे ह्रदय के राजा के रूप में सम्मान करते थे. उनकी ख्याति दूर दूर तक फैली हुई थी.

    एक दिन राजा जनक अपने मंत्रियों और विद्वानों से अपने दरबार में मंत्रणा कर रहे थे. अचानक ऋषि अष्टावक्र वहां पहुँच गए. वो दिखने में कुरूप थे.

    उनके शरीर के सभी अंग भी टेढ़े मेढ़े थे. किसी तरह धीरे धीरे अपने आप को संभालते हुए वो दरबार में दाखिल हुए.

    सभा में उपस्थित सभी विद्वान और मंत्री उनके रूप को देखकर हंसने लगे. अचानक अष्टावक्र भी बहुत जोर जोर से हंसने लगे.

    महाराज जनक इस असामान्य स्थिति में सिंहासन से उठकर अष्टावक्र के पास आए और उन्हें प्रणाम करते हुए बोले, महाराज! आपके हंसने का कारण विदित नहीं हुआ, कृपया समाधान करें?

    अष्टावक्र बोले, क्या आप इन विद्वानों के हंसने का खुलासा करेंगे?

    इतने में एक सभासद खड़ा हुआ और बोला, हमें तेरी व्यंग्यात्मक काया को देखकर हंसी आ रही है.

    अष्टावक्र बोले, "महाराज मैंने सुना था कि आपके दरबार में विद्वान, समझदार और संवेदनशील लोग हैं, इंसान की कद्र करने वाले पारखी लोग आपकी मंत्रिपरिषद के सदस्य हैं,

    परंतु यहां आकर देखा तो मुझे बहुत कष्ट हुआ कि आपने तो अज्ञानियों की जमात इकट्ठा कर रखी है. यही देखकर मुझे हंसी आ गई."

    राजा जनक बोले, महाराज! आप यह क्या कह रहे हैं! आपको इस तरह विद्वानों एवं मंत्रिपरिषद के काबिल सदस्यों का अपमान नहीं करना चाहिए.

    अष्टावक्र बोले, "महाराज! मैं ठीक ही तो कह रहा हूं. इन लोगों को मैं और क्या कहूं जो मेरे शरीर की बनावट को देखकर हंस रहे हैं, मेरी चेतना को परखने की कोशिश भी नहीं कर रहे.

    इनसे पूछकर मुझे इतना भर बता दें कि ये घड़े पर हंस रहे हैं या कुम्हार पर? यह सुनते ही राजा जनक सहित सभी विद्वानों को अपनी भूल का अहसास हो गया

    मित्रों,

    घड़े का तात्पर्य कृति से है और कुम्हार का तात्पर्य सृजनकार या भगवान् से है. भगवान् ही वो कुम्हार है जो इंसान रुपी घड़े बनाते हैं और अगर लोग भगवान् के बनाये हुए घड़ों पर हँसते हैं तो वो वास्तव में भगवान् पर हंस रहे होते हैं.

    किसी की भी शारीरिक रचना या रूप के कारण उसपर हंसना नहीं चाहिए. बनाने वाला तो सभी का एक ही है और उसने सबको अलग अलग रूप दिया है. कुम्हार को अपने बनाये हुए सभी बर्तन प्रिय होते हैं.

    सूर्य नाराज़ हो गए Surya Naaraz Huey

    सभी जानते हैं के

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