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National Documentation Centre (NDC)

ल ग
िं अनप
ु ात

सिंपन्न समाज में कम होती बेटियािं! (Amar Ujala:11 June 2010)

कोख भें कन्मा भ्रण


ू के रूऩ भें , फारऩन भें कुऩोषण से, जवानी भें कथथत खानदान की इज्जत के नाभ ऩय
औय वववाह के फाद दहे ज मा संतानोत्ऩत्त्त का अततरयक्त फोझ डारकय स्त्री को रगाताय भाया जा यहा है ।
दष्ु ऩरयणाभ साभने है - हरयमाणा, ऩंजाफ जैसे याज्मों भें फेटों को ब्माहने के लरए झायखंड, ऩत्चिभ फंगार से
रड़ककमां खयीदनी ऩड़ यही हैं। साप है , हभ तेजी से स्त्रीववहीन सभाज की ओय फढ़ यहे हैं। ‘ऐक्शन एड’
औय ‘इंटयनेशनर डेवरऩभें ट रयसिच सेंटय’ द्वाया संमुक्त रूऩ से ककमा गमा ताजा अध्ममन मही फता यहा
है । इस अध्ममन के अनस
ु ाय, वषच २००१ की जनगणना फताती है कक दे श भें ऩुरुषों की तुरना भें त्स्त्रमां
साढ़े तीन कयोड़ कभ हैं। वऩछरे दशक, मानी १९९१ से २००१ भें ऩहरी फाय दे श भें सभग्र लरंग अनुऩात भें
थोड़ा-सा सुधाय ददखाई ददमा था- प्रतत हजाय ऩुरुषों के भुकाफरे भदहराओं की संख्मा ९२७ से फढ़कय ९३१
हुई थी। इसका भूर कायण है , प्रौढ़ त्स्त्रमों की फढ़ती जीवन-अवथध। रेककन दस
ू यी तयप, २००१ की ही
जनगणना मह दशाचती है कक छह वषच तक के आमु-वगच भें दे श बय भें फार लरंग अनुऩात भें बायी अंतय
आमा है । इस आमु वगच भें फत्चििमों की संख्मा इसी अवथध भें ९४५ से घटकय ९२७ यह गई। एक दशक के
बीतय १८ अंकों की थगयावट के साथ फार लरंग अनुऩात इततहास भें ऩहरी फाय सभग्र आफादी के लरंग
अनुऩात से नीिे आ गमा। वषच २००१ की जनगणना के आंकड़ों के अनुसाय, केयर, लसत्क्कभ, त्ररऩुया औय
लभजोयभ, लसपच िाय ऐसे याज्म हैं, जहां फार लरंग अनुऩात भें थगयावट नहीं फढ़ी है , हारांकक उनभें बी
वमस्त्क लरंग अनुऩात की तुरना भें फार लरंग अनुऩात नीिे ही है । फार लरंग अनुऩात भें असंतुरन की
मह प्रवत्ृ त्त उन याज्मों भें बी ववयाट आकाय रे यही है , जहां ऩहरे फालरका भ्रूण हत्मा जैसी शभचनाक
घटनाएं नहीं घटती थीं। इसका सफसे फड़ा उदाहयण है दहभािर प्रदे श, जहां प्रतत १,००० फचििों ऩय फत्चििमों
की संख्मा १९९१ भें ९५१ थी, रेककन २००१ की जनगणना भें भें थगयकय ८९७ यह गई (५४ अंकों की
थगयावट), उड़ीसा भें १७ अंकों की थगयावट दे खी गई, तो त्रफहाय भें बी १५ अंकों की कभी दजच की गई। जहां
ऩहरे शहयी ऺेरों भें ही प्रततकूर लरंग अनुऩात दे खा जाता था, अफ दे हाती इराके बी उसी की याह ऩय फढ़
यहे हैं। जो रोग स्त्री-ऩरु
ु ष अनऩ
ु ात के इस फढ़ते असंतर
ु न के लरए गयीफ तफके की औयतों औय फालरकाओं
की असभम भत्ृ मु को भुख्म वजह थगनाते यहे हैं, उनके लरए मह तथ्म हतप्रब कय दे ने वारा है कक वषच
१९९१ से २००१ के फीि त्जन याज्मों भें फालरकाओं का अनऩ
ु ात सफसे ज्मादा थगया है , वे आथथचक रूऩ से
संऩन्न याज्म हैं। ददल्री, िंडीगढ़ औय अहभदाफाद जैसे अभीय एवं आधतु नक शहयों भें तो फार लरंग
अनुऩात फयु ा थिर ऩेश कयता ही है , छह वषच तक के आमु वगच भें दहभािर प्रदे श, हरयमाणा औय ऩंजाफ भें
मह असंतर
ु न थिंताजनक ऩतन की ओय फढ़ यहा है । इस भाभरे भें ऩंजाफ औय हरयमाणा के खयाफ
इततहास को दे खते हुए नई थगयावट इन याज्मों भें ववकास की प्रकृतत के फाये भें गंबीय सवार खड़े कयती
है । इसभें कोई दोयाम नहीं हो सकती कक ऊंिी स्त्री साऺयता दय औय शादी की अचिछी औसत आमु, मे दोनों
ही ववकास के भहत्वऩूणच भानक हैं। औय १९७१ से १९९९ तक के आंकड़े इस फात की तसदीक कयते हैं कक
रगबग सबी याज्मों भें रड़ककमों के वववाह की आमु फढ़ी है । अरफत्ता, इस भाभरे भें भध्म प्रदे श औय
याजस्त्थान ऩीछे हैं, जहां मह उम्र क्रभश् १९ औय १८ सार है । ऩंजाफ औय दहभािर प्रदे श भें औसत आमु
२२ सार है , जफकक हरयमाणा भें मह २० वषच है । रेककन वषच २००२-२००४ के रयप्रोडत्क्टव ऐंड िाइल्ड हे ल्थ
के आंकड़ों के अनुसाय, भध्म प्रदे श औय याजस्त्थान भें कयीफ आधी, तो हरयमाणा भें रगबग २९ प्रततशत
रड़ककमां शादी की कानूनी उम्र (१८ वषच) तक ऩहुंिने से ऩहरे ही ब्माह दी जाती हैं। एक ओय तो अफ
ज्मादा से ज्मादा ऩरयवायों ने एक रड़का मा एक रड़की के सरू को अऩना लरमा है , रेककन इनभें बी
ज्मादा ऩरयवाय ऐसे हैं, त्जनभें रडके ज्मादा हैं। फहुत कभ ही ऐसे ऩरयवाय हैं, जहां लसपच फेदटमां हैं। मही वह
प्रवत्ृ त्त है , जो फार लरंग अनऩ
ु ात भें आई ववकृतत के लरए त्जम्भेदाय है । केंद्र औय याज्म, दोनों स्त्तयों ऩय
हार के वषों भें भदहरा एवं कन्मा लशशु की त्स्त्थतत भें सध
ु ाय के लरए अनेक मोजनाएं शरू
ु की गईं। रेककन
त्जन इराकों भें ‘ऐक्शन एड’ औय ‘इंटयनेशनर डेवरऩभें ट रयसिच सेंटय’ ने अध्ममन ककमा, उनभें ज्मादातय
सयकायी मोजनाएं न तो रागू हो यही हैं, औय न ही रोगों के फीि उनकी कोई बनक है । फत्ल्क आंगनफाड़ी
संबारती भदहराओं ऩय ‘अचिछे नतीजे’ ददखाने के लरए, खासकय रड़के-रड़ककमों के अनऩ
ु ात के संदबच भें ,
अनुथित दफाव डारा जाता है । ऐसे भें , तसवीय कैसे फदरेगी?

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